FB Post of 31st July 2021
सौ साल से संघीतकारों ने “नफरत और गर्व” फैला कर भारतीय समाज के एक बडे तबक़ा मे इस्लामोफोबिक विचारधारा फैला कर “ख़ानदानी मानसिक रोगी” पैदा कर दिया है।और यही ख़ानदानी मानसिक रोगी लोग हिन्दुत्वा के नाम पर राजनैतिक लबादा ओढ़े आज सत्ता मे हैं।
यह इस्लामोफोबिक रोग केवल संघीतकारो मे ही नही है ब्लकि कम्युनिस्ट, नास्तिक, अर्धनास्तिक, तर्कवादी, भीमवादी, समाजवादी और कथित मानववादी भी इस रोग को पाले हुऐ हैं।यही लोग मानवता का लबादा ओढ़ “संघी बीमारियों के अनेकों लक्षण” के साथ पिछले 45 साल से कांग्रेस से लेकर भाजपा तथा समाजवादी और अमबेदकरवादी पार्टियों मे हैं।
यही “मानसिक रोगी” मिडिया पर कब्जा कर संघ और भाजपा सरकार के “चीनी तुष्टिकरण” पर चुप थे मगर पाकिस्तान, तालिबान या सऊदी अरब से जुड़ी ख़बर को ज़हर घोल कर इस्लामोफोबिया खुल्लमखुल्ला परोसते रहे थे और हैं, और अच्छे भले भारतीय समाज को बरबाद कर दिया।आज लंदन मे इन मानसिक रोगियों पर शोध होने लगा और लिख रहा है कोई भी विदेशी कम्पनी या संस्था भारत मे निवेश न करे।
यही मानसिक रोगी लोगों ने अपने ही भाषण मे नफरत भी फैलाया और गर्व करना भी सिखाया। भारतीय समाज के “लव के खेलाफ जेहाद” छेड कर समाज तोड़ कर देश को आर्थिक तौर पर 21वी सदी मे बरबाद कर दिया और देश का नक्शा बदलने लगा। दुनिया सब सूनती और देखती है।
कल लंदन के एकोनौमिस्ट मे Imperfect Harmony के नाम से एक लेख छापा है जिस मे लिखा है “सिंगापुर मे दवे प्रकाश नाम के एक भारतीय प्रवासी एक चीनी गर्ल फ़्रेंड के साथ पार्क मे बैठे थे तो एक चीनी आदमी ने प्रकाश के लव के खेलाफ जेहाद कर दोनो को अलग कर दिया और प्रकाश को रोड पर दौड़ाने लगा जबकि प्रकाश के पिता हिन्दु भारतीय और मॉ फिलिपिनो क्रिस्चन हैं”. सिंगापुर मे 77% चीनी है, 14% मलाया हैं और 9% भारतीय हैं। वहॉ बहुत सख़्त सामाजिक नियम है। वहॉ यह हो जाना बताता है कि वहॉ भारतीय प्रवासी जो कई पुश्त से रह रहे हैं उन के खेलाफ माहौल बन रहा है।
संघीतकार अब मूसा एलैहिस्सलाम को भी याद करे गें और डीएनऐ एक होने की बात करें गें मगर नफरत भी फैलाये गें क्योकि वह ख़ानदानी मानसिक रोगी हो चूके हैं।अल्पसंख्यक समाज, यह देश अपना है, समाज अपना है, आप के कठिन आज़माइश का समय ख़त्म हुआ।अपने धर्म के अनूसार अपना ऐखलाक़ समाज मे अच्छा रखिये, मिलजुल कर रहिये। सोशल मिडिया पर गलत बात नही लिखये, बहस नही किजये।
(यह मेरा 22 Nov.2020 के Abdullah Abdullah of Afghanistan के पोस्ट पर मेरा ही कौमेंट था:
“आप गौर से याद किजये और सोंचये 1989 के बाद का पौलिटिकस। कैसे कैसे मंडल-कमंडल ने एक दूसरे को “मुस्लिम को बीच मे रख” कर मूल्क को तबाह कर दिया। बहुत कोशिश किया संघ/बीजेपी ने मुस्लिम को आतंकवादी बनाने का मगर कोई नही बना। पिछले साल तक एनआरसी जो आसाम मे हुआ था उस को पूरे देश मे लाना चाहा, दिल्ली मे ट्र्म्प के सामने दंगा किया मगर फिर भी नही बना। हम मुस्लिम जानते थे यह पेड उखाड़ रहे हैं और बहुत बूरे फँसे गे। आज वही हो गया। आम लोगो को पता नही है हम लोगो को इस गंदी राजनीति ने कहॉ से कहॉ पहुँचा दिया।”)