FB Post of 15th April 2021
निचे विडियो देखये जिस मे एक मिस्री गाइड दो फ़्रांसीसी औरत को इडफू मंदिर (Temple of Edfu) मे घूमा रहा है। इडफू मंदिर 237-250 BC मे लक्ज़र के पास ग्रीको-रोमन राज मे बना है।यह भगवान होरस (God Horus) को समर्पित है जो शाहीन का सर और आदमी के शरीर के रूप मे पूजे जाते थे।मिस्र मे कारनक मंदिर के बाद यह दूसरा बडा मंदिर है।
मोहम्मद बदिउज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी किताब मे “फिरऔन के मानी ‘सूरज देवता की औलाद’ लिखा है। पुराने मिस्र मे रब्बे आला सूरज था।जिसे वह “रा” (رع) कहते थे।इस लिये जो शाही खांदान मिस्र मे बरसरे एक़तदार (सत्ता) मे आता था अपने आप को सूरज वंसी बना कर पेश करता था और हर राजा जो तख्त पर बैठता वह “फिरऔन” का लक़ब ऐख्तयार कर लोगो को कहता हम ‘सब से बडे भगवान’ (रब्बे आला) हैं”
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भारत मे वर्णाश्रम धर्म या ब्राह्मण धर्म एक प्राचीन धर्म है जिसे वैदिक धर्म कहा जाता है।और ब्राह्मणों की ज़ुबान संस्कृत है जिसे अधिकांश ब्राह्मण भूल गये हैं, लेकिन “ओम नम: शिवाय” सब को याद है।याद भी होना चाहिये।नीचे विडिव मे मिस्री गाइड कहता है यह भगवान अमून-रा है जो भगवान शिव को प्रसाद दे रहे हैं। और भगवान शिव के पिछे देवी सेखमेत (Goddess Sekhmet) खड़ी हैं।सेखमेत देवी का शेरनी का चेहरा है और शरीर औरत का है।
सवाल यह है कि मिस्री फेरौनिक जबान Heroliography मे “शिव” संस्कृत नाम कहॉ से आ गया? दूसरा सवाल है या तो मिस्री गाइड झूठा है या ताजमहल का सरकारी गाइड झूठा है जो कहता है ताजमहल पहले शिव मंदिर था।
हिन्दुत्वा के बचाव के लिये यह अति आवश्यक शोध का विषय है और आदरणीय मोहन जी भागवत को शीघ्र संज्ञानात्मक कारवाई करना चाहिये।
#नोट: उर्दू नाम वाले कौमेंट मे उलट-पुल्ट नही लिखये गा क्योंकि यह विश्वास/आस्था का बहुत complicated विषय हो गया है।
https://www.facebook.com/mohammed.seemabzaman/videos/4958316454181844