Post of 3rd November 2024
संघ को आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में 2014 मे एक बड़ी सफलता मिली। सर्वोच्च पद पर चुन आ कर आये लोगों ने भारत का इतिहास-भूगोल भूल कर ‘हिन्दु राष्ट्र’ बनाना चाहा मगर भारत को दुनिया मे ‘संघी राष्ट्र’ बना दिया।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन के सरकार मे ‘युग के सामान्य ज्ञान’ वाले नेताओं ने लगातार देश में सामाजिक संकट पैदा कर अधिकांश नेताओं, बुद्धिजीवियों तथा वरिष्ठ पत्रकारों के दिल को अंधा कर दिया ताकि देश में संघ का वर्चस्व क़ायम हो जाये।
संघ के किसी बुद्धिजीवी को दुनिया की राजनीति के बदले “भू-राजनीतिक” और “अर्थव्यवस्था” की समझ नही आई। सब अपने सौ साल की सोंच को लेकर ही जीते रहे और घरेलू स्तर पर रोज़ एक नया नारा देते रहे।
“भू-राजनीतिक” स्थिति चिंताजनक है; मिडिल ईस्ट को देखें, रूस और चीन के विस्तारवादी लक्षणों को देखें। भारत ऐसे बड़ी आबादी वाले देश के नेताओं, बुद्धिजीवियों और वरिष्ठ पत्रकारों को इसे कम करके नहीं आंकना चाहिए।
भविष्य के अर्थव्यवस्था के लिए भू-राजनीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियाँ पैदा करती रही मगर संघ मलेशिया से लेकर उत्तर अमेरिका तक अपना जाल फैलाता रहा और आनंदमयऐ होता रहा।
अन्ततोगत्वा दो दिन पहले उत्तर अमेरिका के एक देश ने इतिहास में पहली बार हमें ‘शत्रु राष्ट्र’ घोषित कर दिया जो बहुत दु:खद समाचार है।
#Note: Ambuj Gupta Bhartiya साहेब ने अपनी पिछले पोस्ट में लिखा है कि “सौ से अधिक वर्षों की तपस्या से जो हासिल हुआ संघ ने अपनी जलन और डाह में उसको बर्बाद कर दिया। इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा। पीढ़ियां कोसेंगी कि हमने ये सब देखा और होने दिया।”
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman 40 साल के वैश्विकरण का लाभ भारतीयों को उत्तर अमेरिका के देशों का वीज़ा (Visa) बहुत आसानी से मिलता रहा। वहॉ जा कर हम लोग उच्च पदों पर हर जगह नज़र आने लगे, मंत्री बन्ने लगे, कम्पनी के CEO बन्ने लगे मगर अब यही उत्तर अमेरिका के देश ने इतिहास में पहली बार हम को ‘शत्रु राष्ट्र’ घोषित कर दिया तो दूसरे उत्तर अमेरिका के देश ने हमारे कम्पनियों पर ‘Sanctions’ लगाना शुरू कर दिया, बहुत दु:खद खबर है। अब तो भारतीयों को उत्तर अमेरिकी देशों का वीज़ा मिलना भी अफ़ग़ानियों की तरह कठिन हो जाये गा।
हम ने हमेशा कहा संघ से बहुसंख्यकों को नुक़सान ज़्यादा है फ़ायदा कम!
Sarfaraz Nadwi: Mohammed Seemab Zaman sir, Ap ki ak bat so feesadi sahi h ki dil andhe ho gaye hain, roshni Zara dair s ayegi.
Anwar Ali: संघियों ने नफरत का पाठ पढ़ा कर पूरे भारत को बदनाम कर दिया है। वो “हिन्दू हिंदी हिंदुस्तान’ की थीम पर चलकर न सिर्फ दुनिया की नज़र में भारत की “सर्व धर्म समभाव” की सोच को नष्ट कर रहे हैं बल्कि भारत की विविधता में एकता की मिसाल को आघात पहुंचाकर भारत की अखंडता को चुनौती दे रहे हैं। विदेश नीति में दो नावों की सवारी भी उनको कहीं का नहीं छोड़ रही है।
वक़्त रहते भूल-सुधार की सख़्त ज़रूरत है।
Ambuj Gupta Bhartiya: चूंकि मैं संघ इसके काडर और इसके लोगों से करीबी मेल जोल रखता रहा हूँ, मैं जानता हूँ इनकी सोच एक फासीवादी राष्ट्र की है, जमीन का एक टुकड़ा भले वो छोटा सा हो,एक कोने पर पड़े गोबर खाएंगे पर जमीन अपनी चाहिए, बहुत लड़ लिए बहुत लड़ना बाकी है पर अपील है मादरे वतन के लिए जो बन सकता है किया जाए, वो गद्दार हैं जो अपने लाभ के लिए किसी भी रूप में संघ के साथ हैं
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