Written on 29 March 2025

“भाग ऐसे रहनुमा से जो लगता है ख़िज़्र सा
जाने ये किस जगह तुझे चक्कर में डाल दे” (कैफ़ भोपाली)

संघ पिछले सौ साल में 6 बार फेल किया। वसुधैव कुटुम्बकम का नारा लगाने वाले न जाने किस दुनिया में रह रहे थे, इस बार नारा लगाते लगाते अंधे कुएं में गिर गए हैं।

#पहली बार 1948 में गांधी हत्या के बाद पंडित नेहरू ने इन लोगों से दूरी बनाई और “Mixed Economy” की अर्थव्यवस्था बना कर हिन्दुस्तान की मज़बूत नींव रखी। मगर नेहरू के बाद संघ फिर सक्रिय हो गया और हिन्दुस्तान के हर पार्टी में अपने सोंच वाले आदमी को पहुँचा दिया। दंगा होता रहा देश GDP जलता रहा।

#दूसरी बार 1971 मे बांग्लादेश बना तो इंदिरा गांधी को “दुर्गा” कह कर कांग्रेसियों में अपनी पहचान बनाई मगर 1973 के तेल संकट के बावजूद, फिर भटक कर 1974-77 में जयप्रकाश आंदोलन में घुस कर देश का GDP जलाया। जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो संघ के प्रचारक रहे अटल बिहारी वाजपेयी “हिन्दुत्वा” को बचाने के लिए अपने मुस्लिम तिरस्कार को भूल कर मुस्लिम देशों का दौरा किया और भारतीयो। को वहॉ मज़दूरी करने को भेजा ताकि “Foreign Exchange” आये और देस का बजट बने।

#मगर 1980 के दशक में यह फिर अपने मुस्लिम तिरस्कार के सिद्धांतों पर वापस आ गये और राजपूत राणा सांगा के आक़ा बाबर को याद कर राम-जन्मभूमि का मुद्दा हर रोड-चौराहे पर ले आये। पूरे देश में दंगा होता रहा ड्यूटी GDP जलता रहा, जिस का नतीजा हुआ कि 1991 में भारत सरकार को इंग्लैंड मे “सोना गिरवा” रख देश को बचना पड़ा। मगर यह फिर भी अपनी “मुस्लिम तिरस्कार” की सोंच को नहीं बदले।

#चौथी बार 1992 में बाबरी शहादत के बाद मुस्लिम दुनिया से “Subsidised Oil” मिलना बंद हुआ और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी तब भी संघ ने अपने सोंच को नहीं बदला।

#राम-जन्मभूमि की हर गली मोहल्ला में याद कर राणा सांगा के आक़ा बाबर को याद करते रहे और पांचवीं बार प्रचारक वाजपेयी की सरकार 1998 में बना दिया। वाजपेयी चार बार प्रधानमंत्री बने और “हिन्दुत्वा” को बचाने के लिए प्रवेज़ मुशर्रफ से दोस्ती कर कश्मीर मस्ला हल करना चाहा मगर संघ ने वाजपेयी को असफल कर दिया। संघ का यह ब्लंडर (blunder) भारत को बहुत मंहगा पड़ा और भारत रत्न नरसिम्हा राव वाला ब्लंडर LOC को LAC बनाने वाला हो गया।

#छठ्ठी (६) बार संघ को “न्यू वर्लंड ऑर्डर” में अपनी जगह बनाने का मौक़ा 2014 मे अंधे हो गये दिलों ने दिया, मगर यह इस बार भी #फेल कर गये। संघ को समझ में ही नहीं आया की ओबामा और पश्चिमी ताक़तों ने न्यू वर्ल्ड आर्डर में भारत की पहचान ख़त्म करने के लिए “संघ का सरकार” बनवाई ताकि भारत दूसरा चीन न बन सके।

संघ ने पिछले दस साल में “चीन का तुष्टिकरण” और “मुस्लिम तिरस्कार” कर अवसर को आपदा में बदल दिया।

*दस साल में कोई विदेशी निवेश भारत में नहीं आया; कोई बड़ी फैक्ट्री, रिफाइनरी या मैनुफैक्चरिंग यूनिट नहीं बना; World Bank, Asian Bank आदि से बेतहाशा क़र्ज़ लेकर रोड, हाईवे बना कर Current Account को घाटा में ला दिया;

*मुस्लिम देशों में मज़दूर भेजा और मिडिल ईस्ट का unprecedented development कराया; भारतीय मज़दूरों ने क़तर में सफलता पूर्वक World Cup का आयोजन करा दिया, जो दुनिया में फुटबॉल में मिसाल बन गया;

*2020 में चीन को विस्तारवादी बना दिया; चीन ने भारतीय राज्य का नाम-पता बदल दिया मगर यह दस साल तक मुग़ल के बनाये शहर का नाम-पता ही बदल कर गौरवमयी और आनंदमय होते रहे;

*अंततोगत्वा 17 मार्च 2025 को संघ के मुख्यालय और अम्बेडकर के “हिन्दु धर्म परिवर्तन” के Vatican कहे जाने वाले शहर नागपुर में राणा सांगा के आक़ा मुग़ल के नाम पर दंगा करा दिया। यह संघ का सौ साल का सब से बड़ा Failure है, अगर अभी भी संघ अपने “हिन्दुत्वा” और “मुस्लिम तिरस्कार” के सोंच को नहीं बदला तो सौ साल बाद की बदले “न्यू वर्ल्ड ऑर्डर” में भारत एक “अछूत देश” बन कर रह जाये गा, जिस का सब से बड़ा घाटा बहुसंख्यक समाज को होगा।

#NOTE:

भाग ऐसे रहनुमा से जो लगता है ख़िज़्र सा
जाने ये किस जगह तुझे चक्कर में डाल दे”

कैफ़ भोपाली का शेर भारत के बहुसंख्यक समाज और संघ की सही तर्जुमानी करता है।