22 February 2019
कल हम ने सेन साहेब पर एक पोस्ट मे लिखा था। सोचा कही लोग को यह न लगे की नोबेल लौरियेट का नाम लिख कर यह अब अपने को “क़ाबिल” बता रहा है। नही भाई हम मरे गे तो कोई जाने गा भी नही मगर उन को तो दुनिया सदियों याद रखे गी।
इन को 1998 मे अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला और हम लोग 1999 मे भारत रत्न दिया। हमारे बिहार के मुख्यमन्त्री नितिश कुमार के यह सलाहकार रहे और नालन्दा विश्वविद्यालय को इन्होंने पुनर्जीवित किया। यह सिंगापुर सरकार के भी सलाहकार रहे है।
फिर मेरे भारत मे 2014 का चुनाव का घूम मचा और हम लोग “विश्व गूरु” बनने की तैयारी मे थे मगर सेन साहेब ने एक साक्षात्कार मे कह दिया “विश्व गूरु” बनने चले है 60% “बिमारू” आबादी को ले कर। फिर मेरा देश भक्ति जागा और इन को बुरा भला कहने लगे, इन की बेटी की morphed आपत्तिजनक तस्वीर सोशल मिडिया पर आने लगी। हम कोई ध्यान नही दिया कि 2-4 हफ़्ता की बात है विश्व गूरु हो जाये गे।
2016 की बात है कि ब्रिटिश विश्वविघालय के एक फरौफेसर ने हम को इन के शोध का data देखाया जिस पर इन के social theory से related था।हम से कहा हम इस पर further research करना चाहते है और तुम्हारा भी इसी से related है, तुम मेरी मदद करो। हम चौंक गये हम तो समझ रहे थे की यह अर्थशास्त्री है पर इन को social science मे नोबेल पुरस्कार मिला है। इस बात को यहॉ पर ख़त्म करते है।
समझ मे आया इन का शोध और यक़ीन हुआ के दुनिया इन को भूले गी नही। 2019 के World Economic Forum, Davos मे जब न्यूज़ीलैंड की प्रधानमन्त्री ने कहॉ की हम ईस साल से न्यूज़ीलैंड के बजट को “Well being index” use करे गे क्योंकि GDP सही index नही है किसी देश का worth measure करने के लिय, GDP अब outdated हो चूका है। हम बड़े ख़ुश हुऐ, चलो सेन साहेब का रिसर्च application में तो आया।
दो दिन पहले जापान के प्रधानमन्त्री ने कहा की वह भी अपने बजट मे “Well being index” use करे गे तो हम ने कहा अब यह अमर हो गये।
01/07/2022 at 4:45 PM
😃
03/07/2022 at 5:46 AM
ایسے ودوان ہمارے دیس کو نہیں چاہئے صرف نفرتیں ماحول بنانے والے بدھیجیوی چاہیے – صحیح کہا سین صاحب نے ملک پتن کی جانب جارہا ہے –