FB Post of 18th November 2021
डा० वेदप्रताप वैदिक साहेब बहुत मशहूर लेखक-पत्रकार हैं और भारतीय विदेशनीति परिषद के अध्यक्ष हैं। पत्रकारिता का सारा भारतीय एवार्ड प्राप्त कर चूके हैं।उन्होने कल गेट वे ऑफ एशिया, दुबई मे भव्य समारोह मे भाषण मे कहा यूएई भारत का ही एक सुंदर प्रतिरूप है, जहॉ सभी देशो, धर्मों, रंगों और जाति के लोग रहते हैं।आदत से मजबूर वैदिक साहेब वहॉ भी “जाति” बोल गये।
वैदिक साहेब लिखते हैं “वास्तव मे हिंदू कोई धर्म नही है” मगर यह पूरा लेख वह सलमान ख़ुर्शीद और राहुल के “हिन्दुत्व” पर लिख गये।हम इन से पूछना चाहते हैं कि अगर हिंदू धर्म नही है तो डेढ सौ साल मे धर्म और आस्था के नाम पर बाबरी कॉड का षड्यंत्र क्यो रच कर देश को बरबाद किया?
वैदिक साहेब ने सही कहा जो लोग हिन्दुत्व के नाम पर डेढ सौ साल से सांप्रदायिकता और घृणा फैला कर जीडीपी जला रहें है वह वास्तव मे हिन्दुत्व के असलियत को जानते ही नही है।
7,000-5,000 साल पूराना मिस्र मे पिरामिड खूल रहा है, सूरज भगवान और शीव जी का मंदिर मिल रहा है, राम रोड मिल रहा है।फलस्तीन की राजधानी रामल्लाह का पूराना नाम राम पहाड़ी था।मगर हम लोग यहॉ धर्म और राम जी के नाम पर बाबर को बदनाम कर रहे हैं और नाम-पता बदल कर गर्व कर रहे हैं।
मेरा सुझाव है आदरणीय विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक मोहन जी और वैदिक साहेब दुबई के अमीर शेख राशिद अल मकदूम की पॉच मे से केवल एक किताब “क़सती” (खंड-खंड) ही पढ लेते तो पता चलता अरब के सिरिया मे चालीस (40) सभ्यता बसती और बहती हैं।
आदरणीय मोहन जी या लेखक-पत्रकार वैदिक साहेब बाईबूल ही पढ लेते तो पता चल जाता की ईसा एलैहिस्सलाम के पूर्वज का नाम राम था तो आज बाबर के नाम पर देश बरबाद नही होता और चीन के बदले हम आज विश्वगुरू होते।
मोहन जी, वैदिक साहेब, मुठ्ठी भर अराजक तत्व और नेता जो प्रामाणिक इतिहासकार या चर्चित विषय के विशेषज्ञ नही हैं मगर बेझिझक बोले चले जा रहे हैं, वह अब इक़बाल का एक मिसरा पढ कर बाकी ज़िन्दगी गुज़ार लें
“ज़िकरे अरब की सोज़ मे, फ़िक्र अजम के साज़ मे”