Post of 16 April 2024

19 अप्रैल को चुनाव का शुभ लगन शुरू हो रहा है, जिस में हिन्दी नाम वाले बहुसंख्यक समाज भारत के भविष्य पर मोहर लगायें गें।

उर्दु नाम वाले आप इस चुनाव मे भाग-दौड न करे, और ने चुनाव के नतीजा पर ग़ौर-व-शोर करें। आप भाग्यशाली हैं कि पिछले दो चुनाव (2014 तथा 2019) में जो सरकार बनी है वह आप के वोट से नहीं बनी है, बल्कि बहुसंख्यक समाज के निर्णायक वोट से बनी है।निर्णायक वोट ने मंदिर बना दिया और नरसिम्हा राव को 2024 मे भारत रत्न से नवाज़ दिया क्योंकि वह 1993 में मस्जिद उड़ा कर भारत माता का नक़्शा चीन के साथ बदल कर चले गये।

अयोध्या निर्माण के बाद, अब ज्ञानवापी का मसला कोर्ट में है। चीन पुनः विस्तारवादी हो गया और “कश्मीर अटूट अंग है” पूराना नारा हो गया।

दुख की बात यह है कि संघ जो अखंड भारत का नारा लगाता है, उसी के दस साल की सरकार ने अप्रैल 2024 मे एक नया नारा लगा दिया, “अरूनाचल प्रदेश भारत का अटूट अंग है।”

2024 जून मे जो सरकार बने गी, भविष्य में ज्ञानवापी मुद्दा के इर्द-गिर्द घूमे गा और फिर एक तीसरा नारा भी लगे गा क्योंकि मथुरा अभी बाक़ी है।

*आप को एक उदाहरण सून कर ताज्जुब होगा कि हम लोग दुनिया मे IT में विश्वगुरु हैं मगर भारत की IT industry केवल $250 billion की ही है और हम कोई वर्ल्ड क्लास Mobile नहीं बनाते हैं, और न कोई Nanometer Chips बनाते हैं और न अगले 10-20 साल बना पायें गें।

ताईवान की TSMC जो दुनिया में सब से अच्छा गुणवत्ता वाला चिप्स बनाती है वह जापान और अमेरिका मे $60 billion मे दो प्लांट बना रही, मगर भारत नहीं आया। Intel जो कम्प्यूटर का चिप्स बनाता है वह मलेशिया, यूरोप और अमेरिका मे प्लांट लगा रहा है।यूएई की चिप्स की कम्पनी अमेरिका मे है जो वहॉ आधुनिक चिप्स बना रही है और मिडिल ईस्ट दस साल मे AI का केन्द्र हो जाये गा।

*दूसरा उदाहरण, बाईडेन ने पिछले हफ़्ता कहा है कि चॉद पर अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा देश जापान होगा जिस के आदमी चॉद पर कदम रखें गें, यानि अमेरिका जापान के लोग को चॉद मिशन पर ले जा रहा है। अमेरिका अगले वर्षों में एशिया का वाहिद क्रिसचन देश फलिपिंस मे IT और Infrastructure पर $100 billion निवेश करे गा।

भारत दस साल बराक-बराक, हाऊडी मोदी, नमस्ते ट्रम्प ही करता रह गया और कश्मीर के बाद “अरूनाचल अटूट अंग है” का नारा लग गया। मथुरा अभी बाक़ी है, तीसरा नारा लगना बाक़ी है।

#नोट: उर्दु नाम वाले आप चुप-चाप इस चुनाव मे तमाशा देखेंये और सरकार बन्ने की चिंता न करें।यह हिन्दी नाम वालों के चिंता का विषय है।कोई भी सरकार बने, वह समाज में फैलाये गये ज़हर, दो मंदिर और दो नये “अटूट अंग” के नारा के चक्रव्यूह में फँसी रहे गी और देश में न विदेशी निवेश होगा, न विकास पैदा होगा और न भारत विश्वगुरु बने गा।
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Mohammed Seemab Zaman दुख हुआ अमृत काल मे “अरूनाचल अटूट अंग है” का नारा सून कर क्योंकि चीन विस्तारवादी हो गया है।उत्तराखंड मे भी कुछ हिस्सा पर दावा ठोक रहा है जो तीसरे अटूट अंग का नारा का कारण होगा।
बहुसंख्यक समाज को पता ही नहीं चला की दुनिया बदल रही है और 2014 में भारत में बनी सरकार ने उस को गति दे दिया। अब तो रूस-यूक्रेन जंग और इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट ने दुनिया में एक नया geopolitical equation बना दिया, जिस मे भारत अकेला खड़ा है, जिस को इस पोस्ट में जापान का उदाहरण दे कर हम ने लिखा है।
हमारे बहुसंख्यक समाज और उन के बुद्धिजीवी भारत का इतिहास-भूगोल भूल गये हैं कि भारत 80% तेल और गैस विदेश से ख़रीदता है और 2050 तक तेल और गैस दुनिया के अर्थव्यवस्था का निर्णायक factor बना रहे गा।
उर्दु नाम वाले सराकर की चिंता न करें, जो भी सरकार बने गी वह दस साल के baggage को ढोये गी……..

  • Mohammed Seemab Zaman, Mohammad Amir साहेब, यह वैसा ही झूठा नारा है जैसे 15-15 लाख देने का नारा था, 100 Smart City बनाने का नारा था, सब को Latrines देने का वादा था……अमेरिका मे Tesla Car को charge करने का बूथ आज तक हर रोड चौराहे पर नही बन सका, यह कहॉ से बना पायें गें। आप को पता है 5 kilo अनाज देने पर हर साल $27 billion खर्च हो रहा है, इतना तो बहुत से state का बजट भी नहीं है।

Jamshed Jamshed बहुत लाजवाब हक़ीक़त लिखी है आपने Mohammed Seemab Zaman भाईजान….

आपकी इस पोस्ट पर मुझे ये सॉन्ग बहुत याद आ रहा है…
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई…
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई..।
पात पात झर गए कि शाख़ शाख़ जल गई…
चाह तो सकी निकल न पर उमर निकल गई..।
हो सका न कुछ मगर शाम बन गई ज़हर…
वो उठी लहर कि ढल गए किले बिखर बिखर..।
और हम लुटे पिटे वक़्त से पिटे पिटे…
दाम गाँठ के गँवा बज़ार देखते रहे..।
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे…।।।

  • Mohammed Seemab Zaman, Jamshed Jamshed साहेब शुक्रिया। इस चुनाव मे “टक टक दिदम, दम न कशीदम” फ़ारसी का यह महावरा याद रखिये गा। जो भी नतीजा आये, सिर्फ़ साँस रोक कर तमाशा देखये।

Maqsood Ali उल्टी रखी कुल्हाड़ी पर पैर मारती हिंद की सियासत पर शानदार पोस्ट,…. उम्मीद है ज़ख्मी पैर एक शानदार नज़ीर बनेंगे जो भर जाने के बाद भी बने हुए निशान से दुनिया को बतायेंगे…. कि “क्या से क्या हो गए देखते देखते” 

  • Mohammed Seemab Zaman हम 24-28 जनवरी 2015 ओबामा के visit के दिन से लिखना शुरू किया था “उल्टी रखी कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया”, आप को बहुत अच्छे से याद होगा, क्योंकि हम ने आप को उस वक्त कई बार समझाया था सब्र किजये। लोग result फ़ौरन-फौरन खोजता है जैसे अभी फलस्तीन में खोज रहे हैं।ज़ख़्मी पैर तो नज़ीर बन गया, जापान और मलेशिया, फलिपिंस वग़ैरह को देखये, अमेरिका उन के साथ साझेदारी शुरू कर दिया