Post of 16 March 2024

हमारे आदरणीय विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धारा प्रवाह हिन्दी वाचक, इतिहास वित्, डाक्टर मोहन जी ने सौ साल के संघ के विचारधारा को अपने कार्यकाल में “एलक्ट्रोरल बॉड” कॉड द्वारा ध्वस्त कर दिया।

चंदा लेना और चंदा देना ग़लत नहीं है।संघ चंदा के पैसा से ही सौ सालो से चल रहा था और सरसंघचालक से लेकर प्रचारक तक उसी चंदा से अपने विचारधारा का प्रचार करते थे, जो देश और हिन्दु समाज के लिए बहुत हद तक उपयोगी था, वरना भारत में हर गली, चौराहे पर विभिन्न जातियों का संघ पैदा हो जाता।

21वी शताब्दी मे संघ के वर्तमान विचारकों और भारत के बुद्धिजीवियों को “गुजरात मॉडल” अपने विचारधारा को प्रवान चढ़ाने की कुंजी नज़र आई और देश की सत्ता गुजरात मॉडल को सौंप दिया जो संघ के विचारकों, प्रचारकों और भारतीय बुद्धिजीवियों ने इस शताब्दी का सब से बड़ा गुनाह देशहित में किया।

*यह चुनावी बॉड 2017 का है मगर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को सात (7) साल लगा संविधान पढ़ कर इस नतीजे में पहुँचने में की यह बॉड असंवैधानिक है।

*पिछले दशक मे संघ के लोग चीन का तुष्टिकरण करते रहे मगर चीन पुन: 2020 मे विस्तारवादी हो गया जो भारत के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और रहे गा।

*चीन की अर्थव्यवस्था भारत से हर क्षेत्र में लगभग 5 गुना ज़्यादा है।अगर भारत अगले पॉच साल में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था हो भी जाती है तब भी वह चीन से 5 गुना हर चीज़ में पिछे रहे गा क्योंकि चीन Research & development पर अपने GDP का 2.6% लगा रहा है जो पूरे यूरोप से अधिक है।

*चीन बेल्ट और रोड (BRI) द्वारा एशिया, अफ़्रीका और यूरोप के 120 देशों को जोड़ चूका है जो दस साल मे उस के अर्थव्यवस्था के लिए बहुत लाभदायक होगा।

#नोट: हम ने 2019 चुनाव में नारा दिया था “Please once more ….” ताकि जिस ने देश बर्बाद किया है वही भुगते। पॉच साल में अब बहुसंख्यक समाज के बुद्धिजीवियों को नज़र आने लगा कि संघ की विचारधारा भारत को विश्वगुरु बनाने के अपने लक्ष्य में असफल हो गया।

Electoral Bonds अगले कई वर्षों तक भारत की वैश्विक ईमेज पर एक काल धब्बा रहे गा। चंदा उगाही के कारण कोई देश भारत में निवेश नहीं करें गें।
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Comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman हम संघ प्रमुख डाक्टर मोहन जी से विनती करें गें कि आप संघ को गुजरात मॉडल के विचारधारा से अलग कर देशहित में कार्य करें क्योंकि दुनिया तेज़ी से बदल गई है और संघ को भी अपनी सौ साल वाली विचारधारा बदलना होगा। जय अल हिन्द।