Post of 7th October 2-22
कल चेक देश की राजधानी प्राग मे यूरोप और एशिया के 44 देशो की मीटिंग फ्रांस के मैकरोन के कहने पर “यूरोपीयन पॉलिटिकल कम्युनिटी” (EPC) के नाम से प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध (WWI & II) के बाद पहली बार यूरोप मे मुस्लिम देशो के साथ बैठक हुई, जिस मे यूक्रेन लडाई से उत्पन्न उर्जा संकट पर बात हुई।
इस EPC (ईपीसी) मे यूरोपीयन यूनियन (EU) देश के 27 सदस्य के एलावा 17 अन्य ब्रिटेन, तुर्किया, आर्मेनिया, अज़रबाइजान, कोसोवो, यूक्रेन, जौरजिया आदि देश शामिल थे।यूरोप का केवल दो देश रूस तथा बेलोरूस मौजूद नही था।यह ईपीसी भी BRICS तथा QUAD के तरह काग़ज़ पर बनी संस्था है जिस का कोई ऑफ़िस या पदाधिकारी, कर्मचारी नही हैं।मगर भविष्य मे यह एक संस्था का रूप लेगा क्योकि दुनिया का नेज़ाम यूरोप से उठ कर एशिया मे शिफ्ट हो गया है।
इंगलैड की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने अगले साल मार्च मे लंदन मे EPC की दूसरी बैठक करने की ख़्वाहिश ज़ाहिर किया है मगर मैकरोन पेरिस मे करना चाहते हैं।
कल आर्मेनिया के प्रधानमंत्री पशिनयान प्राग मे अरदोगान से मिले और अंकारा मे दूतावास खोलने की बात किया ताकि तुर्की और आर्मेनिया भविष्य मे साथ काम करें और अज़रबाइजान से लडाई ख़त्म हो।
कल फ्रांस के मैकरोन बहुत गर्मजोशी से अरदोगान और इंगलैड की लिज़ ट्रस से मिले।मैकरोन ने अरदोगान से कहा कि आप हम को 5 देशो के समूह Organisation of Turkic States (OTS) और तुर्की मे बोलाईये ताकि सब लोग मिल जूल कर काम करें।अरदोगान ने मैकरोन को कहा G20 मिटिंग के बाद आप तुर्की आईये मगर एक शर्त है बीवी के साथ आये गा।देखये दुनिया कैसे बदली है यही मैकरोन कुछ साल पहले बनारस के गंगा मे आरती करते थे और इस्लाम मे बदलाव की बात करते थे और आज OTS और तुर्की मे आने की दावत मॉग रहे हैं।
#नोट: अब हमारे सौ साल की सोंच की संस्था RSS के संघ प्रमुख को भारत मे एक धर्म विशेष के विरोध नफरत फैलाने के मुख्य उद्देश्य के निरर्थक प्रयास को त्यागना हो गा तथा बहुसंख्यक कुऑ के मेढक कथित बुद्धिजीवियों तथा पत्रकारों को अल्पसंख्यक समुदाय का तिरस्कार कर सांप्रदायिक माहौल बना कर विश्वगुरु बनने का सपना देखाना और देखना बंद करना होगा।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman भारत केवल दुनिया के दो संस्था UNO और SCO का सद्स्य है। SCO का सरदार चीन है और इस की आफिस चीन मे है। दुनिया के किसी दूसरे संस्था मे हम लोग भागीदार नही हैं और आज इस EPC जो Ottoman Empire के 1923 मे टूटने के बाद बना है फिर तुर्की का साथ लेने पर यूरोप मजबूर हो गया है।आज अरदोगान रूस के पुटिन से अनाज, उर्वरक के निर्यात पर बात करें गें ताकि दुनिया मे अनाज महगॉ नही हो।
- Sirajuddin Zainul Khan, Mohammed Seemab Zaman सर ग्रीस और तुर्किया का टसन बढ़ता जा रहा हैकुछ इसपे भी लिखे.
- Mohammed Seemab Zaman ग्रीस झक मार कर तुर्किया के पास आये गा। कल अरदोगान ने प्राग मे कहा है कि ग्रीस को याद रखना चाहिये हम लोग रात मे किसी दिन आ जाते हैं। यह सब को मैकरोन हवा दे रहे थे, जब वह टोपी रख दिया तो यह ग्रीस क्या करे गा। अब अमेरिका से यूरोप अपने को अलग करे गा, मगर ब्रिटेन अमेरिका का साथ दे गा।
Kamil Khan तेल उत्पादक देशों ने चीन और अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर यूरोप को ऐसे जाल मे फांस दिया है के इस जाल से जितना निकलने की कोशिश करेंगे ये उतना उस जाल मे उलझते जायेंगे. दूसरी तरफ़ इस्लामी हिस्ट्री में हिजाज़ की आंधी दूसरी बार चलती हुई मुझे नज़र आ रही है, मुझे खुशी है के बदलती दुनिया हम अपनी आँख से देख रहे हैं.
Prateek Rao आपकी पोस्ट ना पढ़ी तो फेसबुक पर आना व्यर्थ हो जाता है सर जी.
एम एम हयात एर्डोगन की बीवी तो हिजाब पहनकर जायेगी पेरिस मैक्रॉन कैसे बर्दाश्त करेगा.
- Mohammed Seemab Zaman इसी से तो खास कर कल कहा, एक शर्त है आप जब तुर्की आईये गा तो बीवी के साथ आईये गा। मेरी बीवी स्वागत करे गें। अब हिजाबी के साथ तसवीर फ्रांस के लोग देखें गें।देखये मैकरोन अपने देश के लिए अपनी दक्षिणपंथी सोंच को त्याग रहे हैं मगर हमारे यहॉ कुछ लोग देश को बरबाद कर दिया मगर संघी सोंच से समझौता नही किया। अभी दो साल है, देखये क्या होता है?
Sahaab Ansari Dadda देश बदल रहा है का नारा लगाया था मगर बदल दुनिया गई अब देश को बदलना ही पड़ेगा वरना हम किसी लाइन में कहीं भी खड़े नहीं दिखेंगे
- Mohammed Seemab Zaman बिल्कुल सही लिखा “नारा लगाया देश बदल रहा है” और बदल गई दुनिया। इस को बदलना तो था ही मगर इतनी तेज़ी से दुनिया बदले गा हम ने नही सोंचा था।
Mozaffar Haque Shandar! Jazak Allah khair
- Mohammed Seemab Zaman, Mozaffar Haque साहेब, देखा सौ साल के बाद दुनिया घूम कर वहीं तुर्की, अज़रबाइजान और कोसोवो पर आ गई। याद है ने cut off year 1876 and end 1923. फिर 1973 and now 2022.
Abdul Bari, सर अपने ज्यादतर पोस्ट मे यह लाइन क्यों लिखते आए है आज हम सब को दिखने लगा क्युकी आज दुनिया दुबारा से 1973 तेल और गैस संकट पर आकर खड़ी हो गई यह जो तबाही की सुनामी आ रही बहुत सारे देश इसके लिए तैयार नही है उन्हे अब समझ में नहीं आ रहा है करे तो क्या करे …
“तेल और गैस का संकट 1973 के अरब-इस्राईल जंग से बडा होने वाला है जिस को केवल मिडिल ईस्ट ही कंट्रोल कर सकता है, सत्तर साल के सारे सुपर पावर को दिन मे तारा नज़र आने लगा”
कुलदीप सिंह क्या महसा अमिनी की मौत पर विरोध के ईरानी अधिकारियों के क्रूर दमन ने ईरान परमाणु वार्ता में पार्टियों को एक नाजुक स्थिति में डाल दिया है सर ??
- Mohammed Seemab Zaman नहीं। दोनो अलग चीज़ है। महसा घरेलू मामला है और परमाणु वार्ता अंतरराष्ट्रीय मसला है।
- कुलदीप सिंह, Mohammed Seemab Zaman सर फ्रांस 24 में लाइव सुन रहा था तभी मेरे दिमाग में विचार आयाशुक्रिया सर सादर चरण स्पर्श