Post of 31st August 2024
यूरोपीयन परिषद (European Council) के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने 27-29 अगस्त को खाड़ी देशों का दौरा किया।मिशेल ने बुधवार को सब से पहले सऊदी अरब का दौरा किया और प्रिंस मोहम्मद सलमान से मिले।
चार्लस मिशेल ने 16 अक्टूबर 2024 को यूरोपियन संघ के मुख्यालय और बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (EU) और गल्फ़ कोपरेशन कौंसिल (GCC) के बीच होने वाले “प्रथम शिखर सम्मेलन” मे खाड़ी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भाग लेने का निमंत्रण देने आये थे।
सऊदी अरब में एक विशेष साक्षात्कार में, चार्ल्स मिशेल ने कहा, “हम 16 अक्टूबर को ब्रसेल्स में GCC और EU के बीच होने वाले प्रथम शिखर सम्मेलन की तैयारी में जुटे हैं, यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा और हम चाहेंगे कि यह शिखर सम्मेलन सफल हो।”
मिशेल ने कहा “मैं बहुत आशावादी हूँ कि यह शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षण हो सकता है क्योंकि, यूरोपीयन संघ और खाड़ी देशों के नेताओं के साथ मिलकर, हम अपने संबंधों को रणनीतिक स्तर (Strategic Partnerships) तक बढ़ाना चाहते हैं।हम चाहते हैं कि यह संबंध टिकाऊ हो और दीर्घकालिक हो।”
*हम दस साल से लिख रहे हैं दुनिया 1876 के बाद बदल रही है, जिस को रूस-यूक्रेन और इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट ने पिछले दो साल मे बहुत तेज़ी से बदल दिया।देख लिजये यूरोपियन संघ (EU) को बने तीस साल (30) साल से ज़्यादा हो गया मगर अब बदली दुनिया मे यूरोपियन संघ को फलस्तीन और खाड़ी देश याद आ गया।
*कोरोना महामारी और उस के बाद यूक्रेन-फ़लस्तीन के मार-काट ने पश्चिमी देशों ख़ास कर यूरोप और एशिया के कुछ देश की अर्थव्यवस्था बद-से-बदतर कर दिया है जिस के कारण यूरोप के अंधे हो गये दिल मे रौशनी आनी शुरू हो गया और यह कहने लगे की “खाडी देश से संबंध टिकाऊ और दिर्धकालिक हो।”
*फलस्तीन के वर्तमान संघर्ष ने एशिया और यूरोप के समुंदर को असुरक्षित कर दिया है जिस के कारण आयात-निर्यात और Logistics पूरी तरह बर्बाद हो गया है।पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ गई है, तेल का दाम कम नहीं हो रहा है, और बैंक का ब्याज घट नहीं रहा है, जहाज़ रानी व्यवस्था अगले कई दशकों के लिये बर्बाद हो गई, आदि इत्यादि।
*फलस्तीन के मार-काट को अक्टूबर मे एक साल हो जाये गा और यह अभी बंद होता नज़र नहीं आता है जब तक कि एक “निर्णायक फ़ैसला” फ़िलस्तीनियों के हक़ में न हो जाये।
#नोट: रूस-यूक्रेन के मार-काट ने 150 साल बाद Geopolitics को तेज़ी से बदल दिया है और अब जो लोग सौ साल से देश का “इतिहास-भूगोल” भूल गये थे उन के लिए अक्टूबर मे ब्रसेल्स सम्मेलन उम्मीद है, दिल मे रौशनी ला दे और दुआ है कि उन को जल्द देश का “इतिहास-भूगोल” याद आ जाये।