Post of 26 February 2022

“इतिहासकारों के लिए हर घटना एक महत्वपूर्ण है” मगर अर्थशास्त्रियों के लिए घटना दुनिया के आर्थिक रूप-रेखा को बदल देता है।

कुछ लोगो का कहना है अमेरिका ने रूस को यूक्रेन में उलझा दिया और अब अगला नंबर चीन का होगा। जो काम अमेरिका ने यूक्रेन के साथ किया है और वही भारत के साथ कर रहा है ताकि चीन से युद्ध की स्थिति में भारत की तरफ से लड़ने को।

मेरा मान्ना है कि रूस ने 1939 से चल रहे #डॉलर के मोनोपौली के चलते रहने को एक “विराम” लगाया है। यूरोप 2008 से NATO को विस्तार कर दोबारा खडा कर एक बडे भू-भाग मे फिर डॉलर/यूरो का बर्चस्व बढा कर रखना चाहता था ताकि जब चाहे sanctions लगा कर किसी देश की अर्थव्यवस्था बरबाद करें।

पुटिन ने यूरोप के इस चाल को यूकरेन जा कर ख़त्म कर दिया क्योकि रूस-चीन ने मिल कर SWIFT messaging system बनाने की घोषणा कर दिया है जो अगले पॉच साल मे यूरोप/अमेरिका के SWIFT के monopoly को ख़त्म करे गा, जिस से चीन को बहुत फायदा होगा।

आज यूएनओ मे रूस के खेलाफ वोटिंग मे चीन-भारत-यूऐई ने बाहर जा कर किसी के पक्ष वोट नही दिया।भारत की विदेशनीति तो आठ साल मे बरबाद हो कर लँगड़ी हो गई है मगर यूऐई का बाहर जाना एक “ऐतिहासिक घटना” है जो बदलते दुनिया के New World Order के ख़ाबों की ताबीर है।

मिडिल ईस्ट के पास न कोई बडी आबादी है और न ही आधुनिक हथियार मगर उन के पास उर्जा (तेल/गैस) अभी दस साल हथियार है जो इस लडाई से बीस साल और उन के पास रहे गा।

जहॉ तक भारत और चीन के युद्ध की बात है तो बूरा नही मानये गा भारत ने यह #क़बर चालीस साल मे खूद खोदी है जिस मे हमारे नेता, बुद्धिजिवी ने 2011 के अरब स्प्रिंग के बाद बराक का साथ देकर बहुत बडी गलती कर दिया।

“इतिहासकारों के लिए हर घटना एक महत्वपूर्ण है”
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Mohammed Seemab Zaman कल के मेरे पोस्ट पर Vinay Kumar Singh और Arif Kamal साहेब ने हम को एक पोस्ट लिखने को कहा। यह वही पोस्ट है।

  • Arif Kamal सर्इज़्ज़त अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।UAE जैसे मुल्क का बाहर रहना बताता है कि चूहे जहाज़ छोड़ कर भागने शुरू हो गए हैं।

Irfan Zibran सर कल ही मैं एक लोग कह रहा था कि अब रूस-चीन का अगला कदम होगा स्विफ्ट का बायपास खोजना।इससे पश्चिम का फिनांशियल सिस्टम पर वर्चस्व खत्म हो जाएगा और फिर शक्ति संतुलन भी बदल जायेगा।सर uae का बाहर रहना ऐतिहासिक है।

Neeraj Singh बहुत बड़े और गहरे संदर्भों वाली जानकारी के लिए शुक्रिया। अंतराष्ट्रीय जगत में 3 चीजें ही होती है, ट्रेड, डिप्लोमेसी एंड वॉर। युद्ध दुनिया और जनता को दिखती है। लेकिन यह कूटनीति के फेल होने का परिणाम होता है। जाहिर सी बात है की यूक्रेन की पीठ पर अमेरिका का हाथ था, और अब युद्ध की स्थिति में अमेरिकी कूटनीति घुटनों पर है।

Syed Abid Naqvi सर, बहुत उम्दा एनालिसिस किया है आपने, अमेरिका एंड गैंग के पास इकोनॉमिकल सेंक्शन सबसे बड़ा हथियार है जिसने लाखों लोगों की जान ली, कहते हैं ईराक़ में लाखों बच्चे पैरासिटामॉल जैसी मामूली दवा न होने की वजह से मर गए, इकोनॉमिकल सेंक्शन की ईजाद नेपोलियन बोनापार्ट ने कांटिनेंटल सिस्टम के नाम से की थी बहरहाल आगे जो भी हो लेकिन रूस ने अमेरिका एंड गैंग की मोनोपॉली तोड़ी है, और अमेरिका एंड गैंग ने अपना भरोसा ख़त्म किया है, भारत की विदेश, होम और फाइनेंशियल नीति तो “ज़ी” न्यूज़ तैयार करता है।।

  • Mohammed Seemab Zaman, इस अमेरिका एंड गैंग को पता है कि सवाये South Africa के आजतक 45 साल मे कोई sanctions कामयाब नही हुआ बल्कि हर जगह तबाही मचाया है, चाहे वह ईरान हो, या सुडान या इराक़, सुमालिया या अफ्रिका का दूसरा देश।

Jamshed Jamshed वाह, आपकी इस पोस्ट से ये बात फिर कन्फ़र्म हो गई कि…””जो दिखाया जाता है वो प्रचार है…ख़बर तो वही होती है जो छुपाई जाती है.””आपकी एक्सरे जैसी बारीक और गहरी नज़र को सलाम…लाजवाब पोस्ट…

MJ Malik SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) धोखाधड़ी वाले लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) ज़रिए “सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT) नेटवर्क का उपयोग करके ऋण की गारंटी और इसी आधार पर ऋण प्राप्त कर बाद में चुना।

Athar Ali Khan نہ جانے کتنوں کو چٔبھے گی آپ کی یہ بات