Post of 3rd November 2021

पिछले चालीस साल से #तास्सुब (सांप्रदायिक) की राजनीति भारत मे चली और हर राज्य मे हर जाति का बडा नेता पैदा हो गया।

सौ साल की सोंच ने कई डमी संस्था पैदा कर आग लगा और देश का जीडीपी जला कर धर्म का तास्सुब पैदा किया।इस दंगा एक्सपो से तास्सुब का ज़हर समाज मे पैदा होता गया और इसी का फायदा उठा कर भाजपा, बसपा, सपा, राजद, लोजपा आदि इत्यादि पैदा हो गया।यह सब पार्टी के नेता दुनिया देखा नेता नही थे और न ही राष्ट्रवाद या समाजवाद के सिद्धांत के पैरूकार थे।यह सब तास्सुब के पैदावार नेता थे।

कांग्रेस के कुछ नेताओ के कोख और गोद का खेल खेलने के कारण उर्दु नाम वालों ने इन तास्सुब वाली जातिगत क्षेत्रीय पार्टी के नेता को वोट दिया और यह चमक गये।यह कभी बीजेपी का साथ लिया और कभी कांग्रेस का और यह तास्सुब से भरे नेता चालीस साल से सत्ता मे रहे।

जब इन क्षेत्रीय जातियों के नेताओ की चमक ख़त्म हुई तो यही राजद, बसपा, सपा, लोजपा का वोटर धर्मीक तास्सुब वाली पार्टी बीजेपी को उत्तर भारत मे पावर मे ले आई और 40 साल की जाति सांप्रदायिकता ने धार्मिक सांप्रदायिकता का लबादा ओढ़ लिया।

अंधे हो गये दिल के नेताओं और उन का समाज भारत और एशिया के इतिहास भूगोल को समझ ही नही पाया मगर दूसरे एशिया के देश ने हमारे तास्सुब की राजनीति पर गहरी नजर रखी और उस का फायदा उठाया और वह चुप चाप तरक्की करते गये और अब हमारे भूगोल पर नजर डाल दिया।

इस तरह देश मे तास्सुब का सियासत की Cycle पैदा हुई, Mature हुई और अब यह Decay स्टेज मे आ गई जिस को ख़त्म होने मे अगला 20 साल लगे गा, जबतक एशिया के बडे और छोटे देश इस सदी मे ग़रीबी ख़त्म कर बहुत तरक्की कर चूके हों गें।

Let us celebrate climate change with bear-hugger!