Post of 25th January 2022
प्राचीन दुनिया की चार नदी घाटी सभ्याता ही दुनिया के इतिहास को दर्शातीं हैं।रवायती तौर पर किसी भी सभ्यता को उस के नफ़ासत, विकास, धरोहर, कृषि, शहरीकरण, व्यापार या वास्तुकला या आलीशान एमारत से ऑका जाता है।
#INDUS-SARASVATI CIVILISATION
सिंधु-सरवस्ती घाटी सभ्यता एशिया की बडी नदी सरवस्ती या घग्गर-हकरा (Ghaggar-Hakra) के प्लेन पर बसी थी।यह सभ्यता खाडी तट की संस्कृति (Gulf Coast Culture) से प्रभावित थी और वाया बहरैन मेसोपोटामिया की दक्षिण से व्यापार करती थी।यह मेसोपोटामिया को सोना, कौपर, लकड़ी, हाथी का दॉत निर्यात करती थी और वहॉ से पीतल, टीन, चॉदी, साबुन बनाने का पत्थर वगैरह आयात करती थी।
लगभग 4,300 BC मे लोग अफ्रिका और मेसोपोटामिया से हिजरत (migrate) कर के अफगानिस्तान के क़ंदहार से बलूचिस्तान (पाकिस्तान) मे आकर बसने लगे।इस के पहले 7,000 से 5,000 BC तक मेहरगढ (पाकिसतान) मे कृषक समुदाय (farming community) अफ्रिका से आकर बसने लगी थी।
2,500 BC तक सिंधु-सरवस्ती सभ्यता जिस को हरप्पन सभ्यता भी कहा जाता है दुनिया की सब से बडी सभ्यता हो गई जिस मे 50 लाख लोग दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मे रहते थे।मेहरगढ मे कौपर के ज़ेवर और कपडा का अंश भी मिला है।
यह बहुत ताजुब की बात है कि सिंधु घाटी की सभ्यता की खोदाई मे आज तक कोई बडी एमारत, मंदिर, स्मारक (Monuments), राजा-रानी, राजवंश (Dynasty) या सरकार का सबूत नही मिलता है।
हॉ 2,500 से 1,900 BC तक मोहनजो-दाडो (Mohenjo-Daro) एक आधुनिक शहर इस सभ्यता का मिलता है जो 250 एकड जमीन मे फैली थी जहॉ ऊचे टीले, पानी और नहाने की व्यवस्था, रोड वगैरह और 2600 BC की लिपि (Script) मिला है।
1,900 BC के बाद खराब मौनसून की वजह कर सूखा पड़ने से सरस्वती नदी सूखने लगी और बारहमासी (perennial) न होकर मौनसून पर निर्भर हो कर ख़त्म होने लगी और दुनिया की यह सब से बडी सभ्यता जो अरब सागर से गंगा तक फैली थी वह 1300 BC के बाद बिखर गई और लोग पलायन कर भारत के दूसरे एलाके मे बसने लगे।यह एलाक़ा सिकंदर के 326 BC मे आने के बाद फिर मशहूर हुआ।
आज इस रिवर वैली सभ्यता का आखरी पोस्ट चीन की “ह्वांग हो” सभ्यता का पोस्ट करें गें।