Post of 26th June 2022
आज G7 के नेता जर्मनी मे रूस-यूक्रेन जंग के दौरान जमा हुऐ हैं।आज सूबह मे रूस ने यूक्रेन की राजधानी किव पर चार मिजाईल दाग़ा है, बहुत सारा मकान तबाह हो गया।इंगलैड के प्रधानमंत्री बोरीस जॉनसन ने कहा अगर रूस यह लडाई जीत गया तो यूरोप के लिए “बिल्कुल विनाशकारी” (absolutely catastrophic) होगा।
जो काम आज रूस ने यूक्रेन की राजधानी पर किया है वही काम G7 के नेता मिडिल ईस्ट के अफगानिस्तान, इराक़, सिरिया, अफ्रिका के माली, चाड, लिबिया वगैरह मे चालीस साल से करते आये हैं।मगर आज G7 के किसी नेता मे हिम्मत नही है कि रूस के किसी शहर पर कोई मिजाईल मार सकें क्योकि यूरोप रूस के तेल/गैस के मरहून मिन्नत (مرہون منت) है।
वक्त तेज़ी से कैसे बदलता है, यह शैतान को भी नही पता होता है।बराक ओबामा ने 2011 मे टूनिशिया मे अरब स्प्रिंग शुरू करते वक्त यह नहीं सोंचा होगा कि दस साल बाद G6 (GCC) देश G7 से ज्यादा दुनिया की राजनीति मे अहम रोल अदा करें गें।
निचे आज के G7 और पिछले हफ्ता की G6 की कुछ तस्वीर है जिस में मिस्र मे सीसी के साथ बहरीन और जोर्डन के बादशाह बैठे हैं।इराक़ के प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा कल प्रिंस सलमान के साथ थे और आज ईरान मे हैं।पाकिस्तान के जेनरल बाजवा को सऊदी प्रिंस मोहम्मद बीन सलमान किंग अब्दुल अज़ीज़ सम्मान पाकिस्तान-सऊदी अच्छे संबंध के लिए दे रहे हैं।
#नोट: शैतान ओबामा के बाईडेन 15-16 जुलाई को रेयाद जा रहे हैं जहॉ G6+मिस्र+जोर्डन+इराक़ के हुक्मरानों के साथ एक समझौता करें गें।कहा जा रहा है कि यह समझौता अगले पचीस साल के लिए एशिया की जिवपौलिटिक्स बदल जाये गी।हम लोगो को भविष्य के दूसरे शक्तिशाली समूह तुर्किया-आजरबाइजान-उज़्बेकिस्तान -कजाकिस्तान पर भी नज़र रखने की ज़रूरत है।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman अमेरिका के ऐलावा G7 के नेताओ के पास कुछ नही है जो यह यूकरेन की मद्द कर सकें या रूस को रोक लें। इस बैठक को बाद यह बुद्धवार के बाद यह लोग NATO के मिटिंग के लिए स्पेन जाये गे, जहॉ इन का सामना तुर्किया से होगा जो स्वीडन और फिंलैण्ड को नेटो का सदस्य बनने मे रोकावट बना हुआ है।
Misbah Siddiki आपके आखिरी जुमले पर याद आया कि G-7 की तर्ज़ पर हमनें भी सात मुल्कों वाला सार्क बनाया था SAPTA और SAFTA के इकरारनामे भी किए थे। लेकिन घर को जलाने वालों ने, पड़ोसियों को बर्बाद करने की इच्छा और विश्व गुरु बनने की चाह में उस सार्क को ही निष्प्रभावी करा दिया। जबकि सबसे बड़े देश होने के नाते सबसे बड़े फायदे में हम ही होते।
लेकिन दिलों के अंधों को नही पता था कि विकास का फेरा साउथ एशिया से बढ़कर सेंट्रल एशिया शिफ्ट कर जायेगा।
- Mohammed Seemab Zaman बिल्कुल सही सब से बडे देश होने के नाते हम विश्वगुरु होते मगर साउथ एशिया बन गया और अब तो सेंट्रल एशिया रूस लडाई के बाद एक अलग पहचान बना ले गा।
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