Post on 5-02-2023

यह सच है दुनिया के मुसलमानो को बल्लीमॉरा (ग़ालिब) और दरियागंज (मुशरर्फ) का अहसानमंद होना चाहिये, क्योकि ग़लिब ने इब्न मरियम लिख कर लोगों को याद दिला कर नस्लों को बचाया और मोशर्रफ ने अमरिका को काबुल बुला कर “तुर्की से इंडोनेशिया” तक मुसलमानो को अमेरीकी बमबारी से बचाया।

9/11 एक ऐसी साजिश थी जो तुर्की से इंडोनेशिया तक मुस्लिम दुनिया को 21वी सदी मे भी नहीं उभरने देती।पूरी मुस्लिम दुनिया खास कर तेल उत्पादक देश 1973 अरब-इस्राईल लडाई के बाद पहली बार #घेर लिये गये थे।

9/11 के बाद, पूरे अरब दुनिया मे अमन के लिए इजतमाई नेमाज़ पढ़ी जा रही थी (हम ने पढ़ी है)।किसी अरब लीडर मे अमेरिका का सामना करने की हिम्मत नही थी, कोई मुस्लिम हुकमरॉ मुशर्रफ का फोन नही उठा रहा था।पॉच दिन बाद, आखिर मे मुशर्रफ ने अमेरिका का साथ देने का फैसला लिया।

मुशर्रफ ने काबुल और पाकिस्तान मे राष्ट्रपति बुश को बम्बारी करने की ऐजाजत दे दी।एक हफ्ता मे काबुल से तालिबान की हकूमत ख़त्म हो गई मगर वह तालिबान गये कहॉ, वह अमेरिका को भी पता नही चला।बीस साल बाद वही तालिबान ने 8/15 “फॉल ऑफ काबुल” कर अमेरिका के सुपर पावर के ताज को उडा दिया।रूस ने 80 साल बाद 2/24 को यूरोप मे फिर जंग शुरू कर दिया।यह थे दरियागंज के परवेज़ मुशर्रफ जिन का आज इंतक़ाल हो गया, इन्नालिलाह व इन्नाऐलैहे राजऊन।

9/11 का ही नतीजा है कि हमारे देश मे “गुजरात मॉडल” बनाया गया और आज भारत भूगत रहा है।चीन 62 साल बाद विस्तारवादी हो गया, साजिशी दिमाग़ हिंडनबर्ग ने भारत के पूंजी बाज़ार (capital market) को अगले दस साल के लिए बर्बाद कर दिया।

#नोट: परवेज़ मुशर्रफ 1999-2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे और 2016 से दुबई मे बिमारी के वजह कर रहे।मुशर्रफ को एक ऐसी बिमारी थी जिस का ऐलाज पाकिस्तान के किसी हॉस्पिटल मे नही है।सिर्फ मीडिल ईस्ट के दुबई के अमेरिकन हॉस्पिटल मे इस का एलाज होता है।पूरे ब्रिटेन मे केवल लंदन के University College London (UCL) के हॉस्पिटल मे इस बिमारी का एलाज होता है।ब्रिटिश सरकार वैसे मरीज़ को टैक्सी से लेकर लंदन मे होटल मे रहने तक का ख़र्चा देती है।
===========
Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman पाकिस्तान के लीडर भुट्टो, ज़ेया उल हक़ और परवेज़ मोशर्रफ को मुस्लिम दुनिया हमेशा याद रखे गी।आज भुट्टो की वजह कर oil as a weapon अरब दुनिया को मिला, ज़ेया की वजह कर सोवियत संघ टूटा और सेंट्रल एशिया के पॉच और अज़रबाइजान, कोसोवो, बोसनिया मूल्क आजाद हुआ। मुशर्रफ के वजह कर इस सदी मे तुर्की से लेकर, मीडिल ईस्ट और इंडोनेशिया मंज़रे आम पर लोगो को नज़र आ रहा है, वरना इन मूल्को का 20वी सदी तो बर्बादी ही मे ख़त्म हुआ। 9/11 के वक्त मुस्लिम दुनिया मे न अरदोगान थे न ही शाह सलमान, यह अकेले परवेज़ मुशर्रफ थे जिस ने अमेरिका को कंट्रोल किया।

Kamil Khan सर बहुत अच्छी पोस्ट, हमने भी यही सब सुना है के परवेज़ मुशरफ के पास दो रास्ते थे एक अफगान को बर्बाद होने दें या पाकिस्तान और अफगान दोनो को बर्बाद होने दें, परवेज़ मुशरफ ने तालिबान को अपनी मजबूरी बता कर, अमेरिका को इजाज़त दे दी,

  • Mohammed Seemab Zaman, Kamil Khan साहेब, परवेज मुशर्रफ के पास एक ही रास्ता था अफगान के खंडहर पर फिर अमेरिका को बम गिराने दें या सारे अरब मूल्क पर बम गिरवा दें, यही सच्चाई है। देख रहे हैं न 9/11 का मारा इराक़ आज तक बर्बाद है।

Kalam Azmi सर जी आपकी यह पोस्ट पढ़कर आज समझ में आया कि अफगानिस्तान वाले पाकिस्तान से इतनी नफरत क्यों करते थे वरना मैं अभी तक कंफ्यूज था समझ में नहीं आ रहा था खैर अल्लाह रब्बुल आलमीन परवेज मुशर्रफ साहब को जन्नत में आला मक़ाम दें और आपको लंबी उम्र आमीन.

Joginder Ranga Particular post sir.

Tanveer Aalam Teli बेसक हर सिक्के के दो पहलू होते हैं लेकीन हर कोई नुक्स देखता है अच्छाई नही खासकर जहनी ओर मानसिक गुलाम.आपकी यहीं खूबी आपको ओरो से अलग करती, सलाम आपको.

Misbah Siddiki 2008 में परवेज़ मुशर्रफ़ प्रेसिडेंट ऑफिस छोड़ते वक्त अलविदाई स्पीच सुनी थी। उस स्पीच के बाद समझा जा सकता है क्यों कर उस इंसान की होशमंदी अपने एक नाकामयाब मुल्क की तस्वीर को बदलने के लिए हर पाकिस्तानी को उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। अपने दौर (1999-2008) में इकोनॉमी, तालीम का शहरी सहूलियत के लिए अपने मुल्क में बुनियादी ढांचा खड़ा किया और मुल्क को पड़ोसी मुल्कों (ख़ासकर भारत और चीन, इमरान ख़ान की जिस चीन उल्फत को लोग कल तक देख रहे हैं उसकी शुरुआत परवेज़ मुशर्रफ़ ने को थी, और ये बात आप से बेहतर कोई नहीं समझता होगा) पड़ोसी मुल्क को 47 यूनिवर्सिटी परवेज़ मुशर्रफ़ की देन थी, डैम बने और सड़कों की लंबाई बढ़ी। ‘लाल मस्जिद’ एक दिन की कहानी नही थी, हालांकि उसका बदनुमा दाग परवेज़ मुशर्रफ़ पर ही लगा। और जैसा कि आपने बताया पाकिस्तान को अमेरिकी बमों से बचाया भी।

  • Mohammed Seemab Zaman, Misbah Siddiki साहेब, लोगों ने परवेज मुशर्रफ को समझा नही। वह बहुत intelligent शख़्स थे। कभी उन को काग़ज पर लिखी तक़रीर पढते देखा है। वह हमेशा extempore बोले और एक बात भी मुँह से फिसली नही।आप को याद होगा बुश ने कहा था हम इतना बमबारी करे गी “सब को Stone Age” मे पहुँचा दें गें। वह मुशर्रफ ही था जो सब को बचा दिया। पूरा काबुल तो बम से पहले ढेर हो चूका था इन्होने तो उसी पर फिर दोबारा बम गिराया। मगर सारे तालिब को ग़ायब करवा दिया।

Abu Fahad सर बहुत अच्छी जानकारी दी आपने सर एक बात अक्सर मेरे जानने वाले कहते हैं (इंडो पाक दोनों तरफ के लोग) परवेज़ मुशर्रफ ने लाल मस्जिद और आफिया सिद्दीकी को बर्बाद करवा दिया अमरीका के हाथों इसमें कितनी सच्चाई या मजबूरी थी?

  • Mohammed Seemab Zaman, Abu Fahad साहेब, लाल मस्जिद को जेनरल अयूब खॉन ने दारूलअलूम, देवबंद बनाने के लिए खोला था और वह सरकारी पैसा से चलता था, मगर वह आतंकी बनाने लगे। दूसरी बात क्या आफ़िया Abdul Qadir Khan से बडी asset थीं मुस्लिम पाकिस्तान या दुनिया के लिए? क़दिर खॉन को House arrest नही करता तो अमेरिका ईरानी scientist के तरह उन को भी मार देता……। ईरान के जेनरल सुलेमानी अमेरिका को पैदा किये थे, मगर ट्रेम्प ने मार दिया।

Shambhu Kumar आडवाणी गिरोह अगर आगरा समिट में अटल बिहारी बाजपेई का साथ दिए होता तो आज अपना मुल्क भी सुर्खरू होता. हिडेनबर्ग की हैसियत नहीं होती इधर झांकने की

  • Mohammed Seemab Zaman, Shambhu Kumar साहेब आप ने मेरे दिल की बात लिखी है। अगर वाजपेयी से समझौता हो जाता तो आज मेरा मूल्क सुर्खुरू होता और चीन अरब मे अपनी पैठ भी नही बना सकता और न BRI 146 मूल्को मे फैलत और न आज हिंडनबर्ग हमारे अर्थव्यवस्था को बर्बाद करता।

Parwez Ali Saifi ग्रेट पोस्ट सर …..हमारे अब्बू Sr. एडवोकेट थे वो हमेशा इनको एक मजबूत लीडर मानते थे। और इनके शक्सियत देख कर ही मेरा नाम भी रखे। अब्बू इंटरनेशनल न्यूज ज्यादा सुनते थे और हमेशा 10 बजे Voice Of America News सुन के ही सोते थे ।आप जो परवेज़ मुशर्रफ़ के बारे में बात बोले हैं, वो सोसल मीडिया हो या जमीनी स्तर पे आजतक कोई नही मिला हो जो उनके बारे में ये हकीकत जनता हो या बता सके।उन्होंने भारत से भी अच्छे रिश्ते रखने के लिए काफी पहल किया हैं।लोग ऊपर ऊपर ही समझ बोल देते हैं की उसने अफगानिस्तान पे हमला करा दिया ,बहुत गलत किया।लेकिन ये नही समझते की 10 हारने से अच्छा 1 ही हार कर मामला रोक लो ये दिमाग इन्होंने लगाया us वक्त।

  • Mohammed Seemab Zaman, Parwez साहेब, कितने आदमी को मालूम है कि 9/11 के बाद तीन दिन लगातार इजतमाई नेमाज़ अरब मूल्को मे पढ़ी गई। क्या भारत या पाकिस्तान के किसी मस्जिद मे नेमाज़ हुई? जो मुस्लिम या मौलवी मुशर्रफ को बूरा कह रहे हैं, उन से पूछये गा।आज तो मेरा पोस्ट पढ कर अपने वालिद साहेब की कही बात पर मोकम्मल यक़ीन हो गया होगा। देख लिजये कैसी दूरअनदेश शख्सियत आप को वालिद साहेब की थी कि आप का नाम परवेज रख दिया।

Javed Faridi Ali आपकी पोस्ट पढ़कर ग़लत फ़हमी दूर हुई जो सब आप लिखते हैं वो हज़ार साल में भी पता नही चलता।दूसरे लोग आज भी संघितकार वाला मसाला परोसते हैं।

Syed Asman Mustafa Kazmi ग़ालिबन 2007 की बात है मैं जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की बुराई कर रहा था मेरे ताया मरहूम जो यूपी के रिटायर्ड स्पेशल सेक्रेटरी थे उन्होंने कहा “चुप रहिए आपको नहीं मालूम अगर जरनल मुशर्रफ़ ना होते तो पाकिस्तान 6 टुकड़ों में बंट चुका होता और हर टुकड़ा अमेरिका और नाटो फ़ौज का ग़ुलाम होता ,

Tur Khan तभी ना हमारी फिक्र करने वाले लोग कहते हैं कि हमेशा बुजुर्गों की संगत मे बैठो और अच्छे बनो और अच्छे दोस्त बनाओ। लोगों की समझ उनके इर्द गिर्द के माहौल पर निर्भर होती है। आज आपने उस माहौल की सोच को बदलकर एक नया और सही नजरिया दिया है । आपका बहुत बहुत शुक्रिया अल्लाह का हम पर ये रहम ही है कि हमें आपकी संगत नसीब हुई।