Post of 7th February 2024
इसराइल और प्रतिरोधी ताक़तों के बीच मार-काट और बमबारी को, आज पाँच महीना हो गया जिस मे 27,000 से ज़्यादा लोगों को ग़ाज़ा में अमेरिकी बम गिरा कर मार दिया गया और एक लाख से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हो गये, मग़र अब तक पश्चिमी देशों से इसराइल के खेलाफ मानवाधिकार के उल्लंघन की आवाज़ नहीं निकली।
दुख तो इस बात का है कि इसराइल ने ग़ाज़ा मे प्रतिरोधी ताक़तो के Tunnels को ख़त्म करने के लिए लाखों टन अमेरिकी बम गिराए और ग़ाज़ा मे “Genocide” कर पूरे ग़ाजा को एक क़ब्रिस्तान बना दिया, मगर आज 155 दिन बाद भी कोई अमेरिकी या इसराइली बंधक को प्रतिरोधी ताक़तों से अमेरिका “आज़ाद” नहीं करा सका, और न ही कोई टनल्स बर्बाद कर इसराइल अपने विजय की घोषणा कर सका।
आज अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन पाँच महीना मे पाँचवीं बार फिर मिडिल ईस्ट और इसराइल के दौरा पर हैं मगर यह Ceasefire कर “मार-काट” और “क़त्ल-व-ग़ारत” बन्द कराने की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि इसराइल को सऊदी अरब द्वारा मान्यता देने की ही बात बर बल दे रहे है।
ब्लिंकन को यह ग़लतफ़हमी हैं कि सऊदी अरब के मान्यता से दुनिया के मुस्लिम को Shock and Awe हो गा और फिर अमेरिका अपने इसराइली प्रॉक्सी को सुरक्षित कर ले गा।
मेरा मानना है कि सऊदी अरब के इसराइल को मान्यता देने से इसराइल और अमेरिका दोनों देश और ज़्यादा असुरक्षित हो जायें गें, क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध (WWII) के बाद अब दुनिया बदल गई है:
*फ़ॉल ऑफ काबुल” (2021) के बाद अमेरिका द्वारा फैलाया मुस्लिम आतंकवाद पूरी दुनिया से दो साल मे ख़त्म हो गया,
*1945 के बाद पहली बार रूस ने यूक्रेन में क़त्ल-व-ग़ारत (2022) कर यूरोप को असुरक्षित कर दिया है,
*पिछले साल चीन ने ईरान-सऊदी अरब (2023) के बीच दोस्ती करा कर एशिया में अपने को Soft Power तथा सैन्य और आर्थिक शक्ति के तौर पर स्थापित कर लिया है।
#नोट: यमन के हूथी को अमेरिका ने अरब स्प्रिंग के समय से अपना दोस्त (2015) बनाया ताकि सऊदी अरब को अमेरिका दबाव में रख कर लड़ाई का सामान बेचे वह भी अब अमेरिका के खिलाफ हो गया और चीन ने पिछले हफ़्ता हूथी-सऊदी अरब के बीच दोस्ती करा कर इस लड़ाई को ब्लिंकन (अमेरिका) के लिए एक चुनौती कर दिया।