“सल्तनत का क़ब्रगाह” कहे जाने वाले अफगानियों ने एशिया मे चल रहे 40 साल के मार-काट के जियोपौलिटिक्स का अन्त कर दिया और अब सेंट्रल एशिया के देश उज़बेकिस्तान से लेकर ग्रेटर मिडिल इस्ट तक जियोएकोनौमिक्स का नया दौर शुरू होगा।
तालेबान की सरकार कामयाब हो या न हो यह कोई मुद्दा नही है मगर अफगान मे अब विदेशी शक्तियों का आतंकवाद ख़त्म हो गया।तालेबान ने मूल्क का नाम इमेरेटस् रखा है और शायद राजधानी काबूल से बदल कर कंधार ले जायें।
कल लंदन के Financial Times मे अफगानिस्तान मे माईंस और मिंरल्स पर लम्बा लेख छपा है। फाईनेनशियल टाईम्स लिखता है अफगानिस्तान मे रेयर अर्थ मेटल्स, सोना, लोहा, लिथियम की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है जिस को वह $1.0 trillion से अधिक बताता है।
दुनिया मे अफगानिस्तान मे लिथियम का सब से बडा भंडार 21 million tonnes है और दूसरे, तीसरे स्थान पर बोलिविया (Bolivia) और अर्जेंटीना है।इस अफगानी लिथियम को अमेरिका का पेंटागौन Saudi Arabia of Lithium कहता है।आज के ग्रीन एनर्जी की बैटरी लिथियम से बनती है चाहे वह सोलर एनर्जी के स्टोरेज की बैट्री हो या एलेक्ट्रिक कार की बैट्री।
चीन की कुछ कम्पनी अफगानिस्तान के कौपर और लिथियम माईंस मे काम कर रही है और कहा जा रहा है तालेबान की एक तेहाई आमदनी इसी से आ रही है।चीन ने अफगानिस्तान मे रह रहे अपने नागरिकों को “शरिया कानून” पालन करने का निर्देश जारी किया है।
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उज़बेकिस्तान सेंट्रल एशिया मे सब से बडा पेट्रोकेमिकल्स कम्पलेक्स बना रहा है और कह रहा है वह 2024 से किसी के तेल या गैस नही बेचे गा बल्कि वह Petrochemical complex मे बने Products बेचे गा। पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह पर उज़बेकिस्तान का अपना एक बर्थ होगा जिस से वह अपना आयात-निर्यात करे गा।
अब एशिया मे जियो-एकोनौमिक्स का खेल शुरू होगा.
https://www.ft.com/content/dafa5a17-1fff-4f3c-96ff-ec0e951c210e
http://edition.cnn.com/2010/WORLD/asiapcf/06/14/afghanistan.minerals/index.html