Post of 11 February 2024
कल संसद मे भारत के प्रधानमंत्री ने अपने पाँच साल के उपलब्धि में भारतीय मुस्लिम औरतों पर “तीन तलाक़” के प्रावधान को अपने सरकार द्वार हटाये जाने पर बहुत डींग हॉका है मगर उन्होंने अपने दस साल के कार्यकाल में किसी “हिन्दु औरत” को तलाक़ के बाद आज तक दस साल में पेंशन नहीं दिया और न ही उन के बच्चों को स्कूल और कालेज में कोई मद्द की योजना लागू किया।
Bimal Thakur साहिबा जो शिमला, हिमाचल प्रदेश मे समाज सेविका हैं और The Society for Connecting Lives चलाती हैं, उन्होंने ने आज भारत सरकार के द्वारा दस साल मे हिन्दु “तलाक़ शुदह” महिलायें को पेंशन देने के क़ानून बनाने या बजट में कोई प्रावधान नहीं रखने पर खेद व्यक्त किया है जो हिन्दी दैनिक Amar Ujala में छपा है।
बिमला ठाकुर साहिबा अपनी जवानी समाज के हज़ारों Single Mothers की सहायता करने मे लगा दिया।आज उन्होंने एक पोस्ट पर लिखा है कि,
“आज़माइश के वक़्त सब्र रखो, और अल्लाह के फैसलों में खुश रहो, तुम्हें बेहतर नहीं बेहतरीन मिलेगा.”
आज बिमला ठाकुर साहिबा ने हम को राजीव गांधी के समय बहुसंख्यक समाज के शाह बानो मामला में ढोल पिटने की याद ताज़ा करा दिया मगर चालीस साल बाद भी अपने हिन्दु समाज की कोई शाह बानो की फ़िक्र इस सरकार ने नहीं किया।
उम्मीद करते हैं कि बेटी-पढाव, बेटी-बचाव के नारा देने वाली सरकार हिन्दु तलाक़ शुदा औरतों को पूरे भारत मे “पेंशन” और उन के “बच्चों को विश्वविद्यालय शिक्षा को फ़्री” करने का क़ानून बना कर सामाजिक न्याय करे गी, और संसद मे “तलाक़” पर ढोल पिट कर ढोंग नहीं रचे गी।
#नोट: यहॉ हम बहुसंख्यक समाज को यह बताते चलें कि हिन्दु धर्म या क्रिसचन धर्म मे मर्द को “तलाक़” या औरतों द्वारा “खुला” लेने का प्रावधान नहीं था, इस्लाम ने 1400 साल पहले दुनिया में मर्द-औरतों को यह अधिकार और हक़ दिया।