Post of 9th April 2022

1977 मे जनता सरकार के जनसंघ के अदवाणी जी के दूरदर्शन मंत्री बनने के बाद भारत मे पत्रकार हर गली, कूचा, नदी, नाला मे पैदा हो कर भारत को “विश्व गुरू” बनाने के मोहिम मे इतिहास को गलत लिख कर, सच को झूठ बता कर अपनी पत्रकारीता के माध्यम से जनता को भटकाते रहा। चाहे वह छोटा पत्रकार हो या एनडीटीवी का बडा पत्रकार, अपने चैनल पर ताजमहल और दिल्ली के जामा मस्जिद को शिव मंदिर बोलवाता रहा ताकि समाज मे नफरत पैदा हो।

आज कल एक पत्रकार आकार पटेल हैं जो सरकार के खेलाफ विदेश जाकर हेजाब, तीन तिलाक़, हलाल और आज़ान पर बोलने जा रहे थे।आज यह 52 साल के पटेल साहेब बोलते हैं कि “हम तो पाटीदार (पटेल) हैं, हम कोई मुसलिम या औरत नही हैं जो हम पर अत्याचार हो गा।अब समय आ गया है कि सवर्ण/बडे जाति के लोग इस सम्प्रदायिक माहौल के खेलाफ बोलें”। यह पटेल था कहॉ पिछले दस साल से जब जोगी ने औरत को कबर से निकाल कर रेप की बात कही थी? कर्नाटक कोर्ट ने बिल्कुल सही किया इस आकार पटेल को बाहर जाने से रोक दिया है।

मध्य प्रदेश मे थाना इनचार्ज मनोज सोनी ने भी बिल्कुल सही किया, पत्रकार कनिष्क तिवारी और दूसरो को नंगा कर खडा किया है।आकार पटेल के साथ भी यही करना चाहिए क्योकि अदवाणी और गुजरात मॉडल ने कुऑ का मेडक, जाहिल हिन्दी पत्रकारों की एक हजुम पैदा कर दिया है जो देश को बरबाद कर दिया।

आज दुनिया मे सब से ज्यादा अखबार और टीवी चैनल भारत मे है मगर एक भी पत्रकार नही है जो दुनिया मे भारत को “विश्व गुरू” बना सके।आज हर गली-मोहल्ला मे अखबार छप रहा है मगर एक भी अखबार भारत का दुनिया मे मशहूर नही है।

अंतोगत्वा हमारे आदरणीय, विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धारा प्रवाह हिन्दी वाचक डाक्टर मोहन जी को साधु समाज को कहना पडा कि “अब साधु ही देश को विश्वगुरू बना सकते हैं!” जय हिन्द।
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Some comments on the Post

  • Mohammed Seemab Zaman यह आकार पटेल का विडिव सूनये, यह क्या घमंड से बोल रहें है कि हम तो #पाटिदार हैं मेरा कोई ज्याद कुछ नही बिगाड सकता है क्योकि हम ने ही गुजरात मॉडल की सरका बीस साल से गुजरात मे बनवाई है।एक जगह यह आदमी बोलता है कि सवर्ण को अब बोलना होगा क्योकि इस को पता है कि यह बरबादी सवर्ण के अंधे हो गये दिल की वजह कर हुआ है।
  • Md Iqbal, Mohammed Seemab Zaman ये लोग ह्यूमन राइट्स कार्यकर्ता था, लेकिन इंडिया में जो मुस्लिम, आदिवासी और दलित का उत्पीडन होता था उस की ख़बरों को ये लोग देश से बाहर जाने नही देता था, ग्लोबल लेवल पर चीज़ें अम्प्लीफाई नही हो पाती थी , ये लोग बैरियर बना हुआ था, अब सोशल मीडिया की वजह से कुछ सालों से जब इंडिया की सारी हक़ीक़त दुनिया के सामने जाने लगी है तो इन सबको अपनी दुकान बंद होती दिख रही है इसलिए बौखलाया हुआ लगता है.
  • Mohammed Seemab Zaman, Md Iqbal साहेब, उसी पर तो यह पोस्ट किया है, यह आकार पटेल था कहॉ इतने दिनो से? आज इस की नींद टूटी है जब देश बरबाद हो गया। अब इस बदली दुनिया मे इन लोगो को कोई पूछ नही रहा है तो यह बोल रहा है।
  • Sirajuddin Zainul Khan, Mohammed Seemab Zaman 2002 में ये कुंभ कर्ण बन गया था आज विभीषण बनना चाहता है, सब धीरे धीरे नंगे होगे भांग का नशा उतरेगा सबका.
  • Kamran Rafiq, Mohammed Seemab Zaman सबकुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया।इनको भविष्य दिखने लगा शायद।

Abdul Bari बेहतरीन पोस्ट भारत के पत्रकार और पत्रकारिता पर ।जिस तरह से पूरे भारत में साधू अपना कर्त्तव्य का निर्वाहन कर रहे है। अब सचमुच विसगुरू वाली फीलिंग आने लगी है।

Khursheeid Ahmad बेहतरीन सर , आज जो एक्का दुक्का अच्छे पत्रकार हैं सब बाहर है जैसे फरीद जकारिया भारत में कोई विश्व स्तरीय पत्रकार नहीं है

  • Majid Ali Khan, Khursheeid Ahmad बहुत अच्छे अच्छे पत्रकार हैं लेकिन पीछे फाइनेंस नहीं है, पब्लिक भी उसे जानती है जिसके पीछे पैसे लगे हैं.

Kamil Khan अब जब आप के जरिए दुनिया की सही खबर मिल रही है तो सब से ज़्यादा तरस इन सेक्युलर पत्रकारों पर आता है.

Mirza Saalim Baig और उधर राना आयुब की मुस्लिम मुद्दो के आलाबा कोई पत्रकारीक्ता हे ही नही हे.

Arif Kamal बेहतरीन पोस्ट।

N. Huda हंस के मुस्लिम विशेषांक में पढ़ा था सर आडवाणी वाला किस्सा जब वो सुचना प्रसारण मंत्री बने थे, तभी से मीडिया में एक नया प्रोपेगैंडा बनना शुरू हुआ था. ये वो दौर था. जब सरकारी और प्राइवेट मीडिया में एक खास विचारधारा के लोगों को भरना शुरू किया गया था. आज उसी का नतीज़ा है कि मीडिया मुसलमानों के खिलाफ हर समय एक नया प्रोपेगैंडा चलाती रहती है.

Indian journalists standing in Police station in Madhya Pradesh, India.
Mohan Bhagwat