Post of 19 March 2019

“HAPPY IS THE WORLD WITH THE NOWRUZ AND WITH THE EID”: RUMI

यह पोस्ट हम ख़ास कर अपने हिन्दुस्तानी मुसलमानों के लिए लिख रहे है।”नवरोज़” की ख़ुशी और मेला ज़माने क़दीम से ईरान, ईराक़, मिस्र और उस पूरे एलाके मे लोग मनाते आये है। आज के दिन ईरान मे नया साल शरू होता है। ईरान और ईराक़ मे ख़ास कर कुरदिसतान मे सरकारी छुट्टी होती है और हफ़्तों लोग दावत पार्टी करते है।

जब मूसा एलैहिसलाम फिरौन के पास “हिदायत” लेकर गये तो बह नही माना तो अपनी मुबारक लाठी को पटका तो वह साँप हो गया। तो लोगो ने कहा यह तो जादूगर है। तब फिरऔन ने मूसा एलैहिसलाम को अपने जादूगर से मोकाबला की दावत दी और पूछा तुम किस दिन यह मोकाबला करो गे?

मूसा एलैहिसलाम ने वह दिन “नवरोज़” का कहा और वक़्त “चाशत” का कहा। और बाद का सब वाक़या तो मुसलमान को क़ुरान से मालूम है यहाँ लिखने की ज़रूरत नही है।

इस वजह कर भी नवरोज़ को मोबारक दिन माना जाता है। अब रही “चाशत” के वक़्त की बात तो इस वक़्त दो रिक्त नफिल पढ़ कर दुआ करने की ताक़ीद की गई है। बहुत से बुज़ुर्गों ने चाशत की नफिल नेमाज को दिन का “तहजजुद” कहा है।
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Some comments on the Post

Misbah Siddiki Rumi says…
اندر دل من مها دل افروز توئي
ياران هستند ليك دلسوز توئي
شادند جهانيان به نوروز و به عيد
عيد من و نوروز من امروز توئي
In my heart you are the mirthful ray,You are the caring, though my companions they,Happy is the world with the Nowruz and with the Eid,You are both my Eid and my Nowruz today .

  • Mohammed Seemab Zaman ھم اس کا ایک شعر اس پوسٹ میں ڈال رھے- میرے والد صاحب رومی کے بھت مرید تھے- ان کی وجہ کر ھم ترکی جا کر رومی کو “سلام ” پیش کیا-
  • Misbah Siddiki ماشاءاللہالحمد للہمیں خود کو خوش نصیب مانتا ہوں کہ عمر کے ایک حصے میں رومی رہ. کو پڑھنے کا موقع ملا اور بچپن میں والد اور تایا اببا سے تمام قصے واقعے سنے کو ملے

Aslam Hindi बहुत बहुत मुबारक