خاک مشرق پر چمک جاے مثال آفتاب
تا بدخشاں پھر وہی لعل گراں پیدا کر
(اقبال)

खबर है कि अशरफ ग़नी ने दोहा मे यह ख़त भेजा है कि वह तालेबान के साथ पावर शेयर करने को तैयार है और तालेबान ने कहा है वह जल्द पावर शेयर करने का अपना नज़रिये पेश करे गा।

बदिऊज़्ज़मॉं साहेब ने अपनी जोग़राफिआई इस्तलाह की किताब मे लिखा है कि इक़बाल ने बदखशॉ के इस्तलाह पर तीन शेर कहे हैं। “ज़मॉं साहेब लिखते है “बदखशॉ” एक मूल्क का बहुत पहले नाम था जो हिन्दुस्तान और खरॉसा के दरमियान था। यह लाल और सोने के खानों के लिये मशहूर था। यह शेर इक़बाल के नज़म ज़िंदगी के दूसरे बंद का है जिस से “खाके मशरिक़” से मुराद एशिया है और “बदखशॉ” से मूराद मिल्लते इस्लामिया है।इक़बाल ने शेर मे डूबते हुऐ आफताब के किरणों को “लाल बदखशॉ” से मिसाल दे कर शेर को आसमान पर पहुँचा दिया है”

बदखशॉ आज अफगानिस्तान के उत्तर मे एक सूबा/राज्य है जिस के कैपिटल का नाम फ़ैज़ाबाद है।कल तालिबान ने पूरे बदखशॉ को कब्जा कर लिया और इसी तरह पूरे उत्तर और ईरान से सटे सभी सूबा को कब्जा कर लिया।अब दूसरे मूल्क से कोई दूसरा देश आतंकी नही भेज पा रहा है और पूरा ऐलाक़ा शांत है, जिंदगी तकरीबन नौरमल है क्योकि कोई विरोध नही कर रहा है।जो खबर मिडिया मे आतंक का छप रहा है वह सब 80% झूठ है।

मेरा मान्ना है महामारी कालखंड मे ईमरान-बाजवा-चीन ने अमेरिका/यूरोप के एशिया मे बीस साल के मार-काट का चुप चाप से पासा तीन साल मे पलट दिया।हो सकता है हम गलत हों मगर मेरे हिसाब से वहॉ गृह युद्ध नही होगा।आज भारत समेत सभी देश दोहा मे पहुँच कर समझौता कराने मे लगे हैं।

ईमरान खॉ और अरदोगान के कल के साक्षात्कार के बाद आज अशरफ ग़नी के साझा सरकार की बात एक महत्वपूर्ण डेवलौपमेंट है।तुर्की के रक्षामंत्री ने काबूल एयरपोर्ट की सुरक्षा भविष्य मे तुर्की द्वारा किये जाने की उमीद ज़ाहिर किया है।

हम को उमीद है इस बार इंशाअल्लाह कामयाब समझौता हो गा और “खाके मशरिक़ (एशिया)” फिर “लाल बदखशॉ” के तरह रौशन होगा (आमीन)।”

खाके मशरिक़ पर चमक जाये मिसाले आफताब
ता बदखशॉ फिर वही लाल गरॉ पैदा कर”

(Khursheeid Ahmad Comment on FB “आमीन , सर इतिहास में बदख्शां व फैज़ाबाद दोनों बहुत मशहूर हैं दोनों को महमूद गजनवी ने शिक्षा का केंद्र बना दिया था. अल्लाह ताला बदीउज़जमां साहब को जन्नत में आला मुकाम दे बहुत अच्छी तशरीह की है उन्होंने”)