Post of 10th May 2021

कुछ दिन पहले खानये काबा के फ़रिश्तों के ज़रिये जन्नत से भेजा गया पत्थर जिस को अरबी मे “हजर अल अस्वत” और फारसी मे “संग अस्वत” कहते हैं कि 50 घंटे मे लिये गये हाई रिजूलेशन (49,000 megapixel) के 1050 तसवीर (image) खैंची गई। I-Phone मोबाईल मे 2-pixel image होता है।

यह नई तस्वीर बे-मिसाल और अभूतपूर्व (unprecedented) है जो यह साबित करती है कि यह काला पत्थर नही है बल्कि लाल याकूत के रंग (Reddish Brown) का है।अब यह भी साबित हुआ कि यह कोई दुनयावी मामूली पत्थर या किसी पहाड़ का पत्थर नही है और न ही कोई मेटिवराईट (Meteorite) या आकाशीय पिंड है।

हजर अस्वत काबा के जमीन से 5.4 फ़ीट उँचाई पर एक कोने मे हजारो साल से fix है जिस मे अब चॉदी का फ़्रेम लगा दिया गया है।इसी जगह (point) से हजारो साल से लोग काबा का तवाफ (सात बार परिक्रमा) शुरू और ख़त्म करते हैं।

#दूसरा पत्थर वहॉ जो मौजूद है वह “मोक़ामे इब्राहिम है जिस से मुराद वह पत्थर है जिस पर खडे हो कर आप (इब्राहिम ए० स०) ने काबा की तामीर जारी रखी थी “इस पत्थर मे इब्राहिम ए० स० के क़दमों के निशान इसलाम के शुरूआती दौर तक बाक़ी थे।इस को भी चॉदी से फ़्रेम कर दिया गया है और सोने के धातु और शीशा से आवरण कर ढक दिया है।क़ोरान मे अल्लाह ने हुक्म दिया “जिस मोक़ाम पर इब्राहिम खडे हुऐ थे उस को नेमाज़ की जगह बना लो”

#नोट: नीचे संग अस्वत की नई और इब्राहिम एलैहिस्सलाम के पैर की पत्थर पर तस्वीर है।
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इसी पत्थर (संग अस्वत) के वजह कर बचपन से हिन्दु दोस्तों को अज्ञानतावश और बिना शोध के बोलते हुऐ सूनते आये हैं कि वह शिव लिंग है और काबा मक्केशवर नाथ मंदिर है।भारतीय पुरातत्ववेत्ता मुकेश सिंह हिमालय के नीचे 20 लाख साल पुराना अफ्रिका का पत्थर खोच कर भारत के प्राचीन सभ्यता के परिकल्पना (hypothesis) को सच साबित करने मे असफल रहे, जबकि ईरान मानवजाति के 20 लाख वाले परिकल्पना को शोध कर लिखता है कि ईरान के दश्ते-लूत (Desert of Loot) से होते हुऐ सिरिया और मेसोपोटामिया से लोग अफगानिस्तान और बलूचिस्तान आये (दोनो लिंक कौमेंट मे है).

मिस्र के 7000 साल पूराने पिरामिड और मंदिरों से लिखा और खुदा दस्तावेज़ से जानकारी मिलती है कि समुंदर मंथन से सूरज भगवान ने शिव और सेखमेत देवी पैदा किया और फिर 9 (2+2+5) भगवान और देवी का सेट पैदा हुआ।

मिस्र की मुस्लिम सरकार बिलियन डॉलर खर्च कर मंदिरों को मरम्मत कर बचा रही है मगर मेरे यहॉ कहा जाता है बाबर और औरंगजेब बेवजह चून चून कर राम, कृष्ण और शिव जी के जन्म स्थान के मंदिरों को तोड़ कर मसजिद बना दिया।

आदरणीय श्री मोहन जी भागवत कृप्या चीन से एजाज़त लेकर कैलाश पर्वत जाईये और मिस्र और ईरान के तरह शोध कर सच्चाई लोग को बताईये कौन कहॉ से आया और भारत को बरबादी से बचाईये।