अभी यूक्रेन मे 25,000 भारतीय लड़कों के फसें होने के कारण उन पर और उन के बाप-मॉ जो बीत रही है उस मे हमारी राष्ट्रवादी सरकार पूरी तरह नाकामयाब रही।
ऐसा नही है यूक्रेन मे केवल भारतीय ही लडाई मे फँसे हैं, दूसरे मूल्क सऊदी, मिस्र, तुर्की, पाकिस्तान, साऊथ अफ्रिका आदी इत्यादि के बहुत से देश के लोग या लडके फँसे हैं मगर सब ने चुप चाप निकाल लिया या निकाल रहे हैं।तुर्की ने तो 300 बस भेज कर लोगो को दस घंटा मे बुलगारिया के रास्ते ले आया।मगर भारत मे आपदा को अवसर बनाने वाली सरकार जो कर रही है वह एक मज़ाक़ से कम नही है।खैर जिस ने वोट दे कर सरकार बनाई है वह सोंचें।
शरियह तिलाक़ भारतीय संविधान मे न होता तो राजा दिग्विजय सिंह बेवह मर जाते मगर उन के प्रेमिका से दूसरी शादी नही होती।भारत मे शरिया न होता तो सामाजिक न्याय के दलित नेता राम बिलास जी दलित पत्नी को तिलाक़ देकर ब्राह्मण एयर होस्टेस से शादी कर चिराग़ पैदा कर वंश नही बढ़ाते और न ही बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी की दो पत्नी होतीं।
ना तो रूस #शरियह मुल्क है और न ही यूक्रेन, अब भारतीय संघीतकार मिडिया या लोगो को समझ में नहीं आ रहा है कि अखबार या फेसबुक पर किस देश के खिलाफ ज़हर उगले और समाज को बॉट कर गौरवमयिए हों।
तिलाक़ पर अल्पसंख्यक चुप रहा तो अब #हेजाब को कोर्ट ले गये और चाणक्य बन कर विश्वगुरू बन्ने लगे।मगर रूस-यूक्रेन का ड्रामा देश की बरबाद विदेशनीति को #बेहेजाब कर दिया तो कोई भारतीय बच्चो के मौलिक अधिकार/Fundamental rights के लिए न उच्च न्यायालय गया न सुप्रीम कोर्ट गया।
ईक़बाल का एक शेर भारतीय संघीतकारो और न्यायालय के नज़र-
“ग़ैरत फ़क़र कर न सकी इस को क़बूल
जब कहा उस ने यह है मेरी खोदाई की ज़कात”