Post of 6th May 2021

भारत की आबादी 130 करोड है और बहुसंख्यक आबादी हिन्दु है। 20% ही अल्पसंख्यक समाज है मगर हिन्दु समाज को 20% के घर्म से डर लगता है। वजह जो भी हो मगर शोध का विषय है।

भारत तेल का बहुत बडा आयातक (importer) देश है मगर भारत की अर्थव्यवस्था चीन, अमेरिका और यूरोप से बहुत छोटी है।पढा लिखा, भारतीय प्रवासी (Indian diaspora) पूरी दुनिया मे हैं खास कर क्रिस्चन और मुस्लिम देशों मे।

पिछले चालीस साल से मंडल और कमंडल: क्या पढा लिखा, क्या जाहिल, क्या संघी सब कुऑ का मेढक विश्व मे हिन्दुत्वा का ख्वाब देखने और देखाने लगा क्योकि सर्वण जाति या वर्ण व्यवस्था पर सभी हिन्दु का विश्वास है, चाहे वह अमबेदकर का दलित समाज ही क्यों न हो।अल्पसंख्यक समाज धुर्वीकरण का केन्द्र बना रहा, भारतीय समाज और भारत का पतन होता रहा। पिछले सात साल मे आज़ादी का 70 साल गवॉ दिया।

चूकि अल्पसंख्यक समाज मे भी उर्दू नाम वाले पढे लिखे खाता-पीता पेट सब अपने को सर सैयद और मौलाना आजाद समझने लगा।मुस्लिम लिडरशिप खोखला, चौराहे पर की लिडरशिप तक महदूद रह गई। ग़ालिब और ईक़बाल तो छोडये कोई साहिर और शकील नही पैदा कर सका। सब हिन्दु नेता और गद्दार हिन्दु पत्रकारों का तख्ता मशक बना रहा। यह गौर व फ़िक्र का मुद्दा है।
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अब जब उत्तर भारत को चितपावनी सर्वण संघी सोंच ने बर्बाद कर दिया तो बिहार मे वाटसऐप पर एक मैसेज दो दिन से खूब फारवर्ड हो रहा है जिस मे कहा जा रहा है,

“मुसलमानो का विरोध करने वाले भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मणो से सवाल है कि आप बिहार मे पॉच धार्मिक दंगा का उदाहरण दो जो ब्राह्मण, भूमिहार और मुसलमानो के बीच हुआ हो मगर बकलोल लोग बेवजह मुस्लिम को अपना विरोधी बना लिया। झूठा हिंदूवाद का ख़ुमार ऐसा चढ़ा है कि चाहे मेरा अस्तित्व मिट जाये लेकिन मुस्लिम इस देश मे नही रहने चाहिये। मुख्यमंत्री श्रीबाबू के आश्वासन से 50 हजार मुस्लिम पाकिस्तान नही गये …..” वगैरह वगैरह

#नोट: नीचे एक तस्वीर 3,600 साल पुरानी मिस्र सभ्यता के चड्डी/लंगोट की है, जो Made in thin Egyptian cloth, still in good condition, ironed, clean and ready to wear kept in Cairo Museum.