My FB Post of 13th November 2020
कल हम ने बिहार चुनाव पर Hope की बात लिखी थी के अब सेकलूरिज्म की उमीद जागी है क्योकि “मंदी-कोरोना-बर्बाद विदेशनीति” ने बूद्धिजिवी को जगा दिया।
सुबह मे दि एकौनोमिस्ट का कवर पेज “स्डेनली होप” कर के तुर्की के डाक्टर जोड़े द्वारा बनाये बियोनटेक वैकसीन पर छाप दिया। इस वैकसीन के 90% कामयाबी की खबर 9 नवंबर को आई और European Union ने 300 million dose, England ने 10 million, जर्मनी, फ्रांस, जापान, अमेरिका, केनाडा ने करोड़ों डोज़ का औडर फाईज़र कम्पनी को दे दिया।
फ़ाईज़र-बियोनटेक वैकसीन बहुत मंहगा है क्योकि यह दो आदमी के अपनी ज़ाती खोज है जो यह लोग कैंसर के वैकसीन बनाने के लिये खोज कर रहे थे। यह रूस ओर चीन के वैकसीन के तरह ही एक नई खोज है।यह (-) 70 डिग्री पर 975 के डोज़ के बैच मे रखना होगा। जब यह खोला जाये गा तो 24 घंटा मे 975 आदमी को दे देना होगा। कल से यूरोप मे कहा जा रहा है डाक्टर नर्स को क्रिसमस और नये साल की छुट्टी नही मिले गे क्योकि दिसंबर मे जब यह वैकसीन आये गा तो 24 घंटा सब को काम करना होगा।
मोदी जी की बीजेपी सरकार को “मंदी ओर कोरना” से क्या मतलब। इन को तो कशमीर-गाय गोबर के धुर्वीकरण कर चुनाव जीतना है। हम लोगो ने चीन का सस्ता वैकसीन जो (-) 25 डिग्री पर रखा जाता है गलवान के शरम से नही लिया। रूस का स्पूटनिक भी सस्ता और कामयाब वैकसीन है जहॉ सऊदी अरब का पैसा लगा है।हम को यक़ीन है, मोदी जी शाह सलमान को फोन कर के मॉंगे गें तो वह फ़्री दे दे गें।
मोदी जी के बस का नही है कि भारत मे लोगो को फाईज़र-बियोनटेक का वैकसीन ला कर दे दें क्योकि भारत मे (-) 70 डिग्री ठंडा पर रखने की कोई व्यवस्था नही है क्योकि हम लोगो डन-डन व्यवस्था मे व्यस्त हैं।
मेरा मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था सँभल चूका। अगले साल सब से पहले मिडिल इस्ट की अर्थव्यवस्था संभले गी और फिर यूरोप की, लेकिन दुनिया 2022 तक नौरमल नही हो गी।