Post of 9th February 2024

مکے نے دیا خاکِ جنیوا کو یہ پیغام
جمیعتِ اقوام کے جمیعتِ آدم؟

تہران ہو گر عالمِ مشرق کا جنیوا
شاید کرۂ ارض کی تقدیر بدل جاۓ

تیری دوا نہ جینیوا میں ہے، نہ لندن میں
فرنگ کی رگِ جاں پنجۂ یہود میں ہے

यह जो लोग कह रहे हैं कि नेतनयाहू ग़ाज़ा में नरसंहार (Genocide) कर रहे हैं वह ग़लत है बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति जोसफ़ बाईडेन ग़ाज़ा में नरसंहार कर रहे हैं।

दो साल से पुटिन के यूक्रेन में नरसंहार को बाईडेन “War Crime” कह रहे थे तो आज पॉच महीना मे दुनिया देख रही है कि बाईडेन ग़ाज़ा मे “War Criminal” बन गये हैं।

नेतनयाहू और उन की सरकार तो जर्मनी के हिटलर के तरह ग़लती कर पहली बार इसरायल के वजूद को ख़तरे में डाल दिया है और अफ़सोस की बात यह है कि पूरे यहूदी क़ौम को दुनिया में कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

इक़बाल ने World War I (1914-18) देखा था और पश्चिमी साम्राज्यों द्वारा 1919 में स्विट्ज़रलैंड के शहर जेनेवा (Geneva) मे League of Nations (جمیعتِ اقوام ) बना कर मुस्लिम दुनिया का यूरोप-एशिया-अफ़्रीका मे “बंदर-बांट” देखा था। यही League of Nations द्वितीय विश्वयुद्ध (WWII) के बाद 1948 मे United Nation, New York में बना।

इस शेर मे इक़बाल WWII (1939-45) के पहले फलस्तीन अरबों को कहते हैं कि पश्चिमी साम्राज्य से तेरी नजात न जेनेवा (League of Nations) में है और न लंदन (पश्चिमी साम्राज्य) में है, क्योंकि 1919 मे League of Nation, Geneva ने फलस्तीन को एक Mandate से ब्रितानिया को दे दिया था, जिस ने 1948 में इसराइल बनवाया।

इक़बाल का इंतक़ाल 1938 मे हुआ और इस शेर कि पेशनगोई से 1939 मे WWII शुरू हुआ और पश्चिमी साम्राज्यों की बीच पॉच साल जंग चली, यहूदियों का नरसंहार जर्मनी में हुआ और यूरोपियन साम्राज्य भी 1946-48 तक सब बिखर गया।

इक़बाल के इस शेर की दुआ मुस्तजाब (مستجاب) हुई कि “तेहरान” हो आलम-ए-मशरिक़ का जेनेवा तो शायद आसमान (कुर्रह अरज़) में तेरी तक़दीर बदल जाये।

आज इसराइल- प्रतिरोधी ताक़तों के बीच लड़ाई में ईरान का सब से ज़्यादा नाम लिया जा रहा है।सारे पश्चिमी ताक़तें ईरान-ईरान-ईरान चिल्ला रहे हैं, ख़ास कर बाईडेन और इसराइल।

“तेहरान हो गर आलमे मशरिक़ का जेनेवा
शायद कुर्ह अर्श की तक़दीर बदल जाये

तेरी दवा न जेनेवा में है, न लंदन मे
फिरंग की रगे जॉ पंजह यहूद मे है” (इक़बाल)

#नोट: इक़बाल की दुआ क़बूल हो गई, सब्र से काम लिजये, दुआ किजये और अपना अख़लाक़ अच्छा रखिये।बाईडेन द्वारा ग़ाज़ा का नरसंहार सौ साल बाद पश्चिमी साम्राज्य की दुनिया बदल देगी, जो हम-आप सब देखे गें, आमीन.