Post of Ist July 2022
कोलकत्ता मे 30 जून को Amartya Sen Research Centre का उद्घाटन हुआ जिस मे नोबेल पुरस्कार विजयी अमर्त्य सेन ने भाषण दिया।भाषण बहुत बडा था जिस मे उन्होने कहा “राष्ट्र पतन के संकट” से गुजर रहा है।
उन्होने कहा कि “प्रौफेट के खेलाफ बदतमीज़ी ने देश के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया”, राष्ट्रीय हित के लिए “हिन्दु-मुस्लिम को एक साथ काम करना होगा, बहुसंख्यक समाज हर चीज़ का अन्त नही है”
अमर्त्य सेन ने कहा इंडिया केवल हिन्दु संस्कृति का प्रतिनिधित्व नही करता है बल्कि मुस्लिम संस्कृति इस का जीवंत इतिहास है। सेन साहेब ने कहा कि वह 1963 मे दिल्ली विश्वविघालय मे कहा था “शाहजहॉ के बेटा दारा शिकोह ने 50 उपनिषद का संस्कृत से फारसी मे अनुवाद किया था, इस इतिहास को नही भूलना”
उन्होने कहा कि भारतीय न्यायपालिका विखंडन (fragmentation) को हमेशा नज़र अंदाजाज़ करती है जिस का हम को हमेशा डर रहता है। इतिहास हमेशा सत्य लिखता है मगर इतिहास को मिटाया जा रहा है। हम सब नागरिक को जोखिम उठा कर राष्ट्र के साझा इतिहास को बचाना होगा (लिंक कौमेंट मे पढें)
#नोट: हम यहॉ बहुसंख्यक समाज को बताते चलें दारा शिकोह ने तो 1650 मे उपनिषद् को फारसी मे लिखा मगर इस्लामी विद्वान अबू रेहान अल बिरूनी (Al Biruni 973-1051) ने इगारहवीं सदी मे अपनी किताब अल-सईदनह (The Book of Civilisation) मे भगवद्- गीता के श्लोक का हवाला दे कर लिखा है क्योकि बिरूनी संस्कृत के भी विद्वान थे। इसी से कहते हैं कि हिन्दी/ हिन्दु के चक्कर मे अरबी, फारसी, उर्दु ज़बान को भारत से ख़त्म नही करो।
मेरा अमर्त्य सेन पर 2019 का पोस्ट zamaniyat पर एक बार ज़रूर पढे।
https://www.ndtv.com/india-news/situation-in-the-country-cause-for-fear-amartya-sen-appeals-for-unity-3117048
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman हम ने 31 जनवरी को लिखा था भारत मे अभी कोई पार्टी, नेता, अर्थशास्त्री, बूद्धिजिवी नही है जो भारत को इस बरबादी से बचा ले।तेल और गैस हम open market से खरीदते हैं, आज जिस का आठ साल मे सब से अधिक $90.80 दाम हो गया, आठ साल से देश का investment ratings BBB(-) है, पैंडेमिक ने service sector का रोज़गार ख़त्म कर दिया।एयर इंडिया दान हो गया और अब LIC का नम्बर है, सामाजिक ताना-बाना नफरत फैला कर हम ने दुनिया को देखा दिया.
Khursheeid Ahmad सर, यह लोग दारा शिकोह का नाम भी किसी मकसद से इस्तेमाल करते हैं. वरना दारा शिकोह से अधिक तर्जुमा का काम मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी व मुल्ला अबुल फ़ज़ल ने किया है दारा शिकोह का नाम लाने के पीछे इनका उद्देश्य कुछ और होता है नियत साफ नहीं होती.
Dr-Asif Masood आप की सभी पोस्ट बहुत शानदार होती है हम जैसे जाहिल लोगों को दुनिया जहान के बारे में पता चलता है।अल्लाह आप की उम्र में बरकत दे।कौम को आप जैसे लोगों की ज़रूरत है।
Iftekhar Anjum He said what is true.
कुलदीप सिंह हमेशा की तरह बेहतरीन लेख सर, लेकिन रिपोस्ट.