Post of 3 July 2023

नौ साल से देश मे संघ की National Democratic Alliance (NDA) की सरकार देश मे है और चीन 5 मई 2020 से पुन: भारत की जमीन क़ब्ज़ा कर लिया है।

कल राष्ट्रवादी बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक वीडियो मे कहा है कि चीन ने भारत की 4042 वर्ग किलोमीटर जमीन कब्ज़ा कर लिया जो 1962 के लडाई से ज्यादा जमीन है।

आज यह खबर दुनिया बता रही है कि चीन भारत मे विस्तारवादी हो गया है मगर भारत अब रूस से जो तेल खरीद रहा है उस का भुगतान चीन के करेंसी यूआन (Yuan) मे भी करने लगा है।

भारत पिछले दस महीना मे रूस का तेल सब से ज्यादा 2.2 million बैरल प्रति दिन ख़रीदने लगा है और रूस सब मुद्रा रोबूल मे भुगतान नही चाहता है ब्लकि वह चीनी मुद्रा मे भी भुगतान चाहता है।

यह जान कर बहुत अफसोस हुआ कि अमृत कालखंड मे संघ की राष्ट्रवादी सरकार है और अब विस्तारवादी चीन के मुद्रा मे भारत ने रूस के तेल का भुगतान शुरू कर दिया।

“है राम के वजूद पे हिन्दुस्तॉ को नाज़
अहले नज़र समझते हैं, इस को इमामे हिन्द”

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Some comments on the Post

Skand Kumar Singh खरी खरी।करारा जबाब।रक्षा सौदे होते हैं बस कड़ी निन्दा नही होते।

  • Mohammed Seemab Zaman, Skand Kumar Singh साहेब देख रहे हैं, यह हिन्दु-मुस्लिम करते करते देश को किस बर्बादी के मोड़ पर ला खड़ा कर दिया।अगर बाबरी मस्जिद बम से नहीं उड़ता तो अरब देश भारत को subsidised long term तेल देना 1992 मे बंद नहीं करता। आज भारत तीस साल से Open market से तेल ख़रीद रहा है, कोई Permanent Supplier नहीं है 140 करोड़ आबादी के लिए।क्या मिला मुस्लिम तिरस्कार कर के भारत को?

Tur Khan बचपन से बड़े बूढ़ो से सुनते आए हैं कि चीन गढ़मुक्तेश्वर गंगा तक अपने देश का हिस्सा बताता है अब संदेह होता है कि काशी मथुरा के पश्चात ये भी एक दिन सम्भव ना हो जाए।

एम एम हयात मोदी 2024 के चुनाव के लिए अमेरिका और चीन दोनों का समर्थन चाहता है.

Misbah Siddiki चीनी तुष्टिकरण की एक मिसाल. भारतीय जनमानस की सोच को अगर किसी ने सही से पढ़ा है तो वो संघ है और संघ और उसके संगठनों को अगर किसी ने पूरी तरह से पढ़ा है तो वो चीन है। 2002 में पोस्ट गुजरात जब अमेरिका ने वीजा रद्द कर दिया था तब से साहेब और संघ को चीनी प्रेम हो गया था। संघ की तरफ़ से राम माधव की कयादत में संघी/बीजेपी टीम सीपीसी से संगठनात्मक टिप्स लेने जाते थे जबकि मुख्यमंत्री जी विदेशी निवेश के नाम पर चीन ही जाते थे।

  • Mohammed Seemab Zaman बिलकुल सही कहा कि संघ का “चीनी तुष्टिकरण एक एतिहासिक मिसाल” है। इन लोगो ने सोंचा तुष्टिकरण कर के चीन को अपना बना लें गें मगर यह नही सोंचा कि चीन भी भारत के तरह 80-90% मुस्लिम देशो पर निर्भर है।

चौधरी ज़ैद एक ही नारा एक ही नाम. जय श्री राम जय मोदी जय योगी भक्तो को बस यही आता है उसके बाद कुछ नही सर खैर आप ने पोस्ट जबरदस्त की सर.

Turab Qureshi बेहतरीन सर. अब तो लाल आँख भी नही दिखा सकते. यह भँवर में फंस गए हैं चिपटो के

  • Mohammed Seemab Zamanहम ने ऐसे ही नहीं कहा था 2019 के चुनाव मे ‘Please once more…..” जो भारत को बर्बाद किया है वहीं भुगते। अभी तो बहुत कुछ होना बाक़ी है।

Salim Khan चीन का विस्तारवादी होने से अधिक अपमानजनक बात ये रही है कि हमारे यहाँ से संदेश प्रसारित हुआ कि चीन हमसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तो इसके मायने कितने गहरे हैं और बल्कि विपक्ष के कहने को सिरे से नकार दिया गया ये कहकर कि वहाँ ना कोई आया है ना कोई घुसा है और मणिपुर तो जैसे सीमा से बाहर है तभी तकरीबन 50दिनों की हिंसा पर कोई चर्चा की जरूरत ही नहीं समझते और सीधे फिजूल के मुद्दे को हवा देकर देश को किस ओर ले जाना चाह रहे हैं समझ पाना मुश्किल नहीं है।