1 April 2023

आज कल BBC Hindi पर एक रजनीश कुमार, बीबीसी संवाददाता विदेश मामला खास कर मीडिल इस्ट पर लम्बा चौडा लेख लिख रहे हैं जिस का हेडिंग कुछ और होता है और अंत मे निष्कर्ष कुछ और डाल देते हैं।बीबीसी के नाम पर लोग पढ कर वही सोंच पैदा कर लेते हैं।

दो दिन पहले रजनीश कुमार के एक लेख का हेडलाईन था, “सऊदी अरब का यह रूख क्या भारत को परेशान करे गा” और अंत मे लिखते हैं “अब दुनिया एकध्रुर्वीय नही रहे गी और बहुध्रुर्वीय दुनिया मे भारत भी एक ध्रुव होगा”

रजनीश कुमार भूल गये कि 2013-14 मे ओबामा ने भारत को चुनाव मे सपोर्ट किया तो भारत के वरिष्ठ हिन्दी पत्रकार, बुद्धिजीवियों, जातिगत नेता यशवंत सिन्हा, मोलायम सिंह यादव, ममता बनर्जी, प्रनब मुखर्जी, मायावती, नायडू जैसे सैकडो लोगो ने संघ की सरकार को स्थापित इस सोंच कर किया के “ओबामा और यूरोप अब भारत को इस्राईल के तरह स्पोर्ट करें गें।”

संघ के विचारक-प्रचारक तथा जातिगत नेताओं ने समझ लिया कि जिस तरह से इस्राईली फलस्तीन मे मुस्लिम का लिंचिंग करते हैं, बुलडोज़र से मकान गिराते हैं, मस्जिद पर दावा ठोकते हैं, अमेरिका $3.8 billion का सैन्य सहायता देता रहता है मगर मुस्लिम दुनिया अमेरिका/यूरोप से दोस्ती रखता है, उसी तरह से हम भी “#घरेलु राजनीति मे लिंचिंग, बुलडोज़र, एनआरसी, मस्जिद, निपुर शर्मा, दंगानवमी वगैरह करते रहे गें और वसुधैव कुटुंबकम का नारा लगा कर मीडिल इस्ट और सेंट्रल एशिया या अफ्रिका के मुस्लिम देश हम को #विश्वगुरू मानते रहें गें चूँकि अमेरिका और यूरोप हम को इस्राईल के श्रेणी मे रख दिया है।

भारत के पत्रकार, नेता, बुद्धिजीवियों को समझ मे ही नही आया कि चीन को आर्थीक पावर बने रहने और विश्वगुरू बन्ने के लिए अगले पचास साल तक उर्जा के लिए सऊदी अरब, ईरान, क़तर आदी मुस्लिम देशो पर निर्भर रहना है।रूस-यूक्रेन लडाई के बाद तो यह हालत हो गई है कि अब न चीन सऊदी अरब/मीडिल ईस्ट को छोडे गा न मीडिल ईस्ट चीन को छोडे गा।

#नोट: रजनीश कुमार याद रखीय गा अमेरिका Petrodollar से विश्वगुरू बना है और मीडिल ईस्ट भी तेल डॉलर मे बेच कर धनी बना है।सऊदी अरब का अमेरिका मे Hollywood से Nasdaq तथा Space तक मे पैसा लगा है, दोनो एक दूसरे को दो पुश्त और नही छोंडें गें।

#रजनीश कुमार मेरा 3 November 2021 का पोस्ट कौमेंट मे पढ लिजये और आईंदह लोगो को विदेश मामला मे गुमराह नही किजये, साफ साफ लिखये बाबरी कॉड के बाद हम लोगो ने क्या खो दिया।तास्सुब (संप्रदायिकता) की राजनीति से बाहर निकलये।