दुनिया ने सब कुछ पूरानी मिस्री सभ्यता से नही लिया हो मगर भारत मे जो कुछ अभी है वह सारा मिस्री सभ्यता या इस्लामी सभ्यता की ही देन है। जितनी मंदिर अभी नज़र आप को आती है वह सब 800 से 1200 ईसवी मे बनी है चाहे वह अजंता-ऐलोरा का मंदिर हो या उड़ीसा मे कोनार्क का मंदिर हो या राजिस्थान मे भीलवाड़ा मंदिर हो। गौतम बूद्ध का मंदिर बौद्ध गया मे अभी जो है वह भी BC मे नही बना लगता है। सैकडो साल अशोक के बाद का बौद्ध मूर्ती या स्तुपा मिले गा मगर कोई मंदिर या मूर्ती गौतम बूद्ध के पहले की नही मिले गी।
#पहली तस्वीर वैली ऑफ किंग्स, लक्ज़र, ईजिप्ट के कारनक टेम्पुल (Karnak Temple) की है जहॉ कोई नंगी तस्वीर मर्द या औरत की उड़ीसा के सूर्य मंदिर कोनार्क के तरह नही मिले गा। फिरौन के वक्त मे मिस्र मे गाय भी बडी पूजनये थी और सूरज को भी वह पूजते थे।
#दूसरी तसवीर अनेबिस (Anubis, the god of death) जो जैकेल/कुत्ता के शक्ल का है। 29-30 अगस्त को चीन जब गलवान मे तांडव कर रहा था तो 30 अगस्त को “मन की बात” कुत्ता पर हुआ। नेपाल मे यमराज की सवारी कुत्ता को दिवाली मे पूजा जाता है।
#तीसरी और चौथी तस्वीर योगा की है जिस को आज हम लोग भारत मे “योग दिवस” मना कर अपना बता रहे हैं जैसे ताजमहल को शिव मंदिर बता रहे हैं।
7000 साल पहले का मिस्र मे सब कुछ अभी भी है। यहॉ तक के रंग रौग़न किया हुआ दिवार या मंदिर आज भी साफ और ख़ूबसूरत नज़र आता है। रोमन सभ्यता का खंढर या स्टेडियम आज भी ग्रीस, तुर्की या सिरिया मे है और नज़र आता है।
यह सारे देश फिरौन और रोमन के बाद तीन मजहब बदल चूके और सब को बचा कर रख रहे हैं और फिर से ज़िंदा कर रहे है। काफ़ी शोध कर रहे हैं। मगर भारत के कुऑ के मेढक सब को अपना बताने मे लगे हैं या बर्बाद कर बूद्ध के तरह सब को ख़त्म कर नया इतिहास लिखना चाहते हैं।