Post of 13 August 2022
आरएसएस बहुसंखयक समाज की संस्था है, इस पर किसी अल्पसंख्यक को टिका टिपण्णी करने का कोई अधिकार नही है।मगर मेरा कहना है कि हिन्दुस्तान मे आरएसएस रहना चाहिये, मगर वैसा आरएसएस नही जो पिछले पचास साल (इंदिरा गॉधी के समय) से अपने ideology को ले कर ही confused है कि देश/बहुसंख्यक समाज को किस दिशा मे ले जायें।
यह बहुत से भारतीयो को मालूम नही होगा कि जिस झंडा को अमृत महोत्सव मे लगाने का शोर-व-ग़ुल हो रहा है उस का design, Ashok chakra, colour, fabric, sewing को एक भारतीय मुस्लिम महिला Surayya Tayabji ने किया था, जिस को पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी कार पर 22 जुलाई 1947 को लगा कर रात मे Raisina Hill के रोड पर लहराते लोगो को देखाया।पंडित जी ने 15 अगस्त 1947 को लाल क़िला पर तिरंगा फहराया।
गॉधी जी राष्ट्रीय ध्वज मे चरख़ा चाहते थे मगर सुरैय्या तैयबजी ने कहा अशोक चक्र (wheel) भारत मे सब जाति और धर्म इज्जत से देखते हैं, इस को ही रखा जाये।गॉधी जी तैयार हो गये और कहा चक्र को काला न रखो, निला कर दो। सुरैय्या ने चक्र को निला कर दिया, तिरंगा के तीन विकृत रंग को मानकीकृत किया जो आज तक है।अब तक यही कहा जाता है कि राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वेंकैय्या ने बनाय जो ग़लत है।पिंगली वेंकैय्या ने कांग्रेस पार्टी का स्वराज ध्वज का डिजाईन/रचना किया था।
#Surayya Taybji designed India’s national flag at the age of 28, not Pingali Venkayyah. India’ national flag symbolises sacrifice, purity and growth.
#सुरैय्या तैयबजी के पति बदरूद्दीन तैयबजी को पंडित नेहरू ने आजाद भारत का “राज्य-चिह्न” (Emblem) बनाने का ज़िम्मा दिया।बहुत सारे प्रस्ताव आये जो ज्यादा तर ब्रिटिश राज्य से मिलता जुलता था।किसी को कोई पसंद नही आया।अंतोगत्वा बदरूद्दीन और सुरैय्या तैयबजी ने अशोक स्तंभ के चार शेर और चक्र को चूना।सुरैय्या और बदरूद्दीन तैयबजी दोनों Constituent Assembly के सदस्य थे और विभिन्न समिति मे थे।
#नोट: पिछले चालीस साल मे आरएसएस दुनिया मे मलेशिया से अमेरिका तक फैल गया।इस सौ साल के सोंच वाली संस्था से भारतीय अल्पसंख्यक को नोकसान से ज्यादा फायदा हुआ।अल्पसंख्यक इन के सौ साल के कार्यक्रम को विश्लेषण कर खूद नतीजा निकालें।
जय अल हिन्द।