14 May 2022

लंदन के एकौनोमिस्ट के इस सप्ताह के अंक पर भारत पर दो लेख और एक संपादकीय है, जिस मे एक “सैफरौन नेशन” पर लेख है।

एकौनोमिस्ट लेख मे लिखता है कि बीजीपी सरकार पिछले आठ साल से मुस्लिम के खेलाफ पूरे देश मे एक अभियान “लव जिहाद”, लैंड जिहाद” और “जौब जिहाद” चला कर पूरे देश मे मुस्लिम को शैतान (demon) बना कर पेश कर रही है, जो देश के भविष्य के लिए बहुत ख़तरनाक है।लेख के अंत मे लिखता है कि “संघ की सरकार चिता पर लकड़ी डाल कर आग को भड़काने की बेवक़ूफ़ी न करे वरना पूरा गॉव जल जाये गा”

एकोनौमिस्ट ग्राफ बना कर लिखता है 140 करोड आबादी मे 15% मुस्लिम हैं मगर उन का 20% जेल मे है, 5% सरकारी नौकरी मे हैं और पुलिस, न्यायपालिका मे 4% से कम हैं।

15% मुस्लिम आबादी मे केवल 3% ही लोग संसद मे है। एकोनौमिस्ट लिखता है यही हाल दूसरे अल्पसंख्यक 3.5 करोड क्रिस्चन और 2.5 करोड सिख का है।

एकोनौमिस्ट लिखता है कि भारत का जीडीपी 2013-21 तक 5% से 7% ही रहा और भारत का शेयर बाजार पूँजीकरण (Stock market Capitalisation) दुनिया मे जापान के बाद चौथा है मगर बहुत बहुत छोटा 3% है जब कि दुनिया के $117 trillion पूजीबाजार मे अमेरिका के सटौक एक्सचेंज का 41.6% ($49 trillion) है। चीन का $16 trillion से ज्यादा है।

अंत मे लिखता है “So far, Indian Muslims responded to the humiliation (love jihad, land jihad, jobs jihad, bulldozers, Qutub Minar, Taj Mahal etc) with remarkable cool. But it would be foolish of Mr Modi to imagine that more and more wood can be piled on a pyre, without risk of burning the whole of village down”

#नोट: इस पोस्ट और ग्राफ को उर्दु नाम के सयासतदॉ, पत्रकार, बुद्धिजीवी तथा समाज के प्रतिष्ठित लोग पढे और इस मुद्दा को उठाये और इस पर काम करें क्योकि अभी रूस-यूक्रेन के लडाई से दुनिया और देश की हालत बहुत खराब होनी है।ऐसे ही नही ब्रिटेन ने सऊदी अरब और बहरैन के लोगो का विज़ा फ्री किया है.

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Mohammed Seemab Zaman इस पोस्ट को ख़ूब शेयर करें और मुस्लिम (Minority Concern) वाले ग्राफ को लेकर अगर हो सके तो हर आदमी एक अलग से अपना पोस्ट करे ताकि यह पता चले कि Bureaucracy, Police, Supreme Court तथा Business मे मुस्लिमानों की भागीदारी 5-3% है और यही कारण है कि भारत सत्तर साल बाद भी “विश्वगुरू” नही बना क्योकि जो इस मे हैं वह समाज और देश के साथ न्याय नही कर रहे हैं मगर देश को मुस्लिम त्रिसकार कर दंगा करा कर देश के 80 करोड जनता को गरीब रखे हुऐ हैं।

  • लोकेश सलारपुरी, Mohammed Seemab Zaman मुस्लिम एजुकेशन की क्या स्थिति है ये भी बताया जाना चाहिए ! ये चार्ट अधूरा सत्य है ! आप आइए हिंदुस्तान के मुस्लिम इलाको में और देखिए कि कितने प्रतिशत मुस्लिम बच्चे मेन स्ट्रीम एजुकेशन ले रहे हैं ! यद्यपि ये सच है कि स्वर्ण तबके का अभी भी कब्जा ही है ब्यूरोक्रेसी में ,परन्तु उच्च शिक्षित मुसलिम हों या दलित उनको जॉब भी मिली हैं ! ये चार्ट सही है पर कारणों का खुलासा नही करता

लोकेश सलारपुरी फासिज्म अपना समय पूरा करेगा ही !! तानाशाह अधिकांशतः चुनाव जीत कर ही आते हैं मगर चुनावी प्रक्रिया से हटते नही हैं ! भारत अगले 50 साल तक संघर्ष करने की दिशा में बढ़ रहा है ! सत्ताएं भले ही बदल जाये मगर फासिज्म गढ्ढे बहुत गहरे छोड़कर जाता है

  • Mohammed Seemab Zaman, लोकेश सलारपुरी साहेब, यह फैशिज़्म या तानाशाही नही है। यह False Pride है जो सौ साल से चंद लोगो द्वारा जाहिल लोगो के दिमाग़ मे कूट कूट कर शाखा द्वारा भरा गया।मेरा भी यही मानना है कि भारत 50 साल तीन पुश्त संघर्ष करे गा। हम ने जो आठ साल मे लिखा, क्या भारत के 110 करोड के बहुसंखयक आबादी मे कोई भी यह नही लिख पाया। अब तो हम यह कहे गें कि एशिया तेज़ी से बदला इस सरकार के कारण। आप भी कुछ दिन के बाद यह लिखये गा।

Mozaffar Haque बहुत शानदार लेख और The Economist ने भी बहुत अच्छा और बहुत सच्चा आँकलन किया है …

Misbah Siddiki रंगों से ही सब कम्यूनिटीज के पहचाने जाने वाले इस वक्त में अगर आर्टिकल की टॉप इमेज पर गौर करें तो और यकीननआपने गौर किया भी होगा जिसमे नारंगी पट्टी की चौड़ाई बाकी दोनों पट्टियों से कहीं ज़्यादा है। नारंगी पट्टी पर बहुत से लोग धर्म ध्वजाएं और हथियार उठाए नज़र आ रहे हैं नारंगी रंग सफ़ेद पट्टी को दबाते हुए हरी पट्टी को अंदर की तरफ़ दबाए हुए है। नारंगी रंग ने नीले रंग की अशोक चक्र को भी आधा धांप लिया है।लेकिन उसी नारंगी पट्टी धर्म ध्वजाओं और हथियार बंद भीड़ के नीचे में काला रंग उसी अंधेरे को बयान कर रहा है जो इस वक्त मुल्क और उसके सियासी, समाजी, आर्थिक मोर्चों पर बना हुआ है।अक्सर हम सफ़ेद रंग को अमन शांति से जोड़ते हैं नीले रंग को बहुजन वर्ग से निस्बत देते हैं अशोक चक्र को पुरातन/बौद्ध का सिंबल कहा जा सकता है और हरा तो ख़ैर कभी हरियाली की पहचान भले ही रहा हो लेकिन अब तो मुसलमानों से जोड़ कर देखा जाता है। काला रंग उदासी बर्बादी को दिखाता है।

  • Mohammed Seemab Zaman, Misbah Siddiki साहेब, इस इशू मे दो articles और एक Editorial भारत पर है। एक article economy पर है जिस मे समझाना चाहा है कि भारत विश्वगुरू बन सकता था जिस से हम दो ग्राफ लिया है और दूसरा India, Saffron Nation है अंत मे लिखा है पूरा गॉव जल जाये गा, यह गलती नही करना। उत्तर भारत जो 2/3 भारत है सोंच समझ कर अर्थी पर बैठाया गया है मगर उत्तर भारत ही भारत को विश्व गुरू बनाता आया है। लोग मूर्ख हैं।
  • Misbah Siddiki, Mohammed Seemab Zaman सर,दोनो आर्टिकल देखे हैं और यकीन मानिए उन्हे पढ़ते हुए ऐसा लगा कि आपकी ही पोस्ट्स को पढ़ रहा हूं। क्योंकि उनमें ऐसी कोई नई बात नही है जिसे आपने पहले न लिखा हो।वैसे इन तमाम हालात को ‘द इकॉनॉमिस्ट’ के बताने का मतलब ये हुआ कि दुनिया यहां पर भी नज़र रखे हुए है। वैसे भी दुनियाँ की दूसरे नंबर की धार्मिक आबादी के साथ किए गए किसी भी कृत्य पर दुनिया की नज़र रहनी ही है।