Post of 12 September 2022

आज भारत के विदेश मंत्री सऊदी अरब के शहजादा मोहम्मद बिन सलमान से जद्दाह मे मिले और प्रधानमंत्री का पत्र दिया।जयशंकर साहेब ने प्रेिंस सलमान से भारत-सऊदी अरब के द्विदेशीय रिश्ता को मज़बूत करने तथा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसले पर एक हो कर काम करने की बात कही।इस के पहले विदेशमंत्री तीन दिन यूएई का दौरा कर चूके हैं।

लोगो को याद होगा प्रिंस सलमान 2019 फरवरी मे भारत आये थे और $100 billion निवेश की उमीद ने जन्म लिया था तथा मुकेश अम्बानी के रिलाएंस मे $15-20 billion निवेश की बात हुई थी मगर हम लोग लिंचिंग, एनआरसी, कशमीर, बाबरी का कोर्ट से फैसला आदि इत्यादि कर विश्वगुरू का सपना देख रहे थे।हम ने अपने पोस्ट मे उसी वक्त लिखा था टाटा के एलावा सऊदी अरब किसी दूसरे भारतीय उद्योगपति को सटीये गा नही।अंतोगत्वा चार साल मे कोई निवेश सऊदी अरब ने भारत मे नही किया।(पोस्ट कौमेंट मे ज़रूर पढें)

आज फिर बाबरी के तरह ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा कोर्ट ने जिंदा कर दिया।अब अगले 30-40 साल कोर्ट उस पर फैसला समय समय पर सूनाता रहे गा जबकि 1993 मे संसद ने कानून बना कर मामला को कोर्ट मे सूनवाई या बदलाव से वंचित कर दिया है।अब हम लोगो को कोशिश यह करनी है कि कोर्ट-कोर्ट खेल 30-40 साल खेलते रहें ताकि विश्वगुरू नही बने मगर सपना देखते रहें।

आज जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने प्रिंस सलमान से फोन पर बात किया ताकि Saudi-Japan Vision 2030 के अंतर्गत रिश्ता को और मज़बूत किया जाये।पिछले सप्ताह श्रीलंका के मंत्री सऊदी अरब जाकर कहा कि हम आप को फ्री ज़मीन देते हैं आप एक अपनी रिफायनरी तथा तेल संग्रह करने का दो बडा भंडार बनाईये जिस मे श्रीलंका साझेदार नही होगा।

#हम अकसर कहते और लिखते हैं कि पचास साल से संघ अपने ideology को लेकर confused है कि देश या बहुसंखयक समाज को किस दिशा मे ले जायें।आज के कोर्ट के ज्ञानवापी पर फैसला ने संघ के confusion को और बल दे दिया।अब भविष्य मे भारत मे अरब देशो से बडा या छोटा निवेश आने की कोई संभावना नही है, यूरोप तो खुद नंगा खडा है वह क्या नहाये गा, क्या निचोड़े गा।

#नोट: बुलंद आवाज़ मे वंदे मातरम का नारा लगाते रहें ताकि चीन तक आवाज़ जाये।