Post of 11 June 2022

कल से देख रहे हैं कि कुछ बहुसंख्यक बुद्धिजीवी, पत्रकार तथा सोशल मिडिया पर जो लोग इघर कुछ दिन से बहुत सेकुलर और सामाजिक अंधे पन के खेलाफ लिख रहे थे वह फिर अपने वही पूराने रंग मे लगे मुस्लिम को ही कल के नूपुर शर्मा के ऐहतेजाज पर दोष देने।

#कुछ लोग लिख रहे हैं, शांति भंग कर देश मे तोड-फोड कर आग लगाने की क्या ज़रूरत थी? मगर वही बेशरम बहुसंख्यक दो साल पहले दिल्ली मे राष्ट्रपति ट्र्मप के सामने दंगा कर देशभक्त बन रहे थे।उस दंगा पर किसी बूद्धिजिवी या पार्टी ने कोई जलूस जलसा नही निकाला।

#कुछ लोग लिख रहे हैं कि मुस्लिम कभी रोज़ी, रोटी, शिक्षा के लिए रोड पर नही आया मगर कोरान, हदीस और परौफ़ेट के नाम पर रोड पर आ गया।लिखना वाले भूल गये कि आज़म खॉन ने एक विश्वविघालय खोला तो भैंस चोरी तक का झूठा केस बना दिया।

#धर्म के नाम पर मुसलमान उतरे तो उन का राष्ट्रवाद और देशभक्ति जाग गया।अपना भूल गये आस्था के नाम पर राम मंदिर के लिए हर गली चौराहा पर चालीस साल से दंगा फ़साद कर देश को बरबाद किया और चीन को सुपर पावर बना दिया।

#यही बहुसंखयक समाज जो कल से मुस्लिम की आलोचना कर रहा है वह भूल गया नरसिमहा राव मस्जिद तोड कर 350 km (19,000 sq.km) चीन को लिख कर 1993 अगस्त मे दे आये।अब वह राष्ट्रवादी बन रहा है।

#आस्था के नाम पर तो देश के न्यायालय तक को divine judgment देलवा दिया क्योकि कोई सबूत नही मिला जन्मभूमि का।आज वही लोग कह रहा है कि देश संविधान से चलता है।

और लिखे या इतना काफी है?

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