Post of 21-01-2022

. भारत की आबादी 130 करोड है और उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड है मगर आज भारत मे केवल 45 करोड (36%) लोग रोज़गार मे हैं।यह पैंडेमिक के कारण नही हुआ है यह गुजरात मॉडल से विश्वगुरू बन्ने का प्रसाद है।

भारत मे अभी कोई पार्टी, नेता, अर्थशास्त्री, बूद्धिजिवी नही है जो भारत को इस बरबादी से बचा ले।यह बरबादी रोड बना कर, एलिवेटेट हाईवे, भाषण, निजीकरण या रिफौर्मस से हल नही होगा क्योकि कोई सरकार भारत मे 18-19 करोड (188 million) जौब पैदा नही कर सकती है और दुनिया के जौब मार्केट के स्टैंडर्ड को छू सकती है।

तेल और गैस हम open market से खरीदते हैं, आज जिस का आठ साल मे सब से अधिक $90.80 दाम हो गया और उमीद है इस साल दुनिया की अर्थव्यवस्था ठीक होगी तो यह $99-110 हो गा।हम चीन या जापान के तरह किसी अरब देश से लम्बे समय (20-25 साल) का तेल/गैस का अनुबंध नही किये हुऐ हैं।कतर मेरे पड़ोस मे दुनिया का सब से बडा गैस निर्यातक है मगर हम ने गुजरात मॉडल मुकेश के कारण कोई अनुबंध नही किया।

आठ साल से देश का investment ratings BBB(-) है, सामाजिक ताना-बाना नफरत फैला कर हम ने दुनिया को देखा दिया।कोई विदेशी कम्पनी 10-12 साल मे भारत मे कोई बडा निवेश नही किया है क्योकि हम नफरत की राजनीति कर विश्वगुरू का सपना देख और देखा रहे थे।

पैंडेमिक ने service sector का रोज़गार ख़त्म कर दिया।एयर इंडिया दान हो गया और अब LIC का नम्बर है। कोई सरकार 19 करोड नौकरी 5-10 साल मे नही दे सकती है। रेलवे के 35,000 या उप्र के 69,000 शिक्षक के नौकरी से न बेरोजगारी ख़त्म हो गी, न अर्थव्यवस्था ठिक होगी।

#नोट: बरबादी बहुत बडी है।उत्तर भारत मे कोई नेता नही है जो इस दलदल से निकाल दे।मायावती बंद कमरे की राजनीति करती हैं, बीस साल से सूरज नही देखा है।समाजवादी नेता मोलायम सिंह संधीतकार हैं, यह चार बार मुख्यमंत्री रह चूके और 19,000 लैपटॉप से उप्र हॉंगकॉंग या सिंगापुर नही बने गा।

इस बार चुनाव मे SP/BSP के जिताने के चक्कर मे नही पड़िये, इस चुनाव मे नया नेता चूनये। जिस ने गुजरात मॉडल या शहजादा सलीम जोगी को वोट देकर तख्त पर बैठाया है, वह जाने किस को बैठाना है या हटाना है। बन्ने दिजये “वन्स मोर शहजादा सलीम जोगी”, आप इस ज़ात-पात/बैक्वर्ड-फार्वर्ड के गंदी राजनीति से दूर हो जाईए और अपने नेता को वोट देकर अपना नेता चुने।

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Some of the comments on the Post

Qasim Chaudhary बहुत सही लिखा हैमुझे अफ़सोस है मुझसे गलती हो गयी

  • Mohammed Seemab Zaman, Qasim Chaudhary साहेब, अफसोस नही किजये, यह सब नेता 5-7 साल मे नज़र नही आये गें।जिस तरह से दुनिया पिछले 8-9 साल मे बदली है वह भारत के किसी नेता या बूद्धिजिवी के समझ से बाहर है आप अकेले थोड़े ही हैं।आप समाज मे ईमांदारी से काम किजये, इन लोगो की तरह ज़ात-पात-धर्म की राजनीति नही किजये, झक मार कर यह लोग आप के पास आयें गें।
  • Qasim Chaudhary, Mohammed Seemab Zaman इंशाअल्लाह आएंगे एकदिन.. हम कह कर आये थे सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी जी एकदिन आपलोग हमको बुलाओगे.. आप भी ओर राष्ट्रीय अध्यक्षअखिलेश यादव जी भी.

Salim Qidwai Fb पर मौजूद बड़े-2 सेक्युलर बुद्धजीवि इस बात को समझने के लिए तैयार नही है…मुस्लिम इतना अंधा हो चुका है बीजेपी को हराने में कि सपा अगर किसी भी बड़े से बड़ा संघी को सामिल करले या कर भी रही है तो भी ये BJP को हराने के लिए ही वोट करेगे…अफसोस कि बात तो ये है कि इनके दिलो से bJP का खौफ निकलेगा कैसे?वैसे अब मुस्लिम को BJP का विरोध करना छोड़ देना चाइए।

  • Mohammed Seemab Zaman, Salim Qidwai साहेब, exception पर नही जाईये। जितेन्द्र नारायण त्यागी इतने बेड समाज मे आप को दो-चार मिल ही जायें गे। इन लोगो को पता नही है दुनिया कैसे बदली है और भारत कहॉ पर है। यह लोग को समझये village leader.क्या आप को या इनलोगो को यह शोध पता है कि भारत मे 18-19 करोड जौब की जरूरत है। यह सब लोग जिस माहौल मे रहते आये हैं वही सोंच लेकर चलें गें। यह आप लोगो का काम है जो लोगो को जागरूक किजये। मेरे तरह कोई आदमी FB पर data देकर नही समझाता है।

Purushotam Singh If this government not make competitive policy no one can invest in Indian market right now Indian market completely monopoly

  • Mohammed Seemab Zaman Please give me example if any about this gov’t competitive policy to break the monopoly. India is the only country in the world which has no monopolistic market. It has both Public & Private sectors in all sectors of economy.
  • Purushotam Singh This government policy helping private player to make a market monopoly like Telecom only major players will sustain jio and Ariel very soon retail Sector also.

Anish Akhtar शानदार आर्थिक राजनीतिक आईना.

  • Mohammed Seemab Zaman इधर तो हम बहुत दिन से आर्थिक विषय पर लिखना ही छोड दिया था क्योकि दुनिया पागल थी पैंडेमिक से। बरबाद तो सब मूल्क हुआ कोई कम या कोई ज्यादा।अब हालत सुधरे गा और उप्र चुनाव है, लोग वही घिसा पिटा भाषण दे रहे है तो यह सब लिख कर लोगो को समझाना ज़रूरी है। हम यह भी कहें गे, लेकिन जो हुआ वह सही हुआ।

Syed Abid Naqvi सर बिल्कुल लाजवाब एनालिसिस किया है, भारतीय युवा कम से कम पचीस साल के लिए जॉब भूल जाएं (हालांकि उर्दू नाम वालों पर कोई बहुत फ़र्क़ नहीं पड़ेगा) यह एक कड़वी हक़ीक़त है, हां अच्छा रहेगा कि पचीस साल बाद अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए रोज़गार की सोचें नहीं तो तय बात है कि अगली पीढ़ी भी इसमें ही खपेगी, रेलवे सबसे बदतरीन हालत में है बस चल रहा है नई भर्ती तो छोड़िए जो फ़िलहाल स्टाफ़ है उसकी ही तनख़्वाह निकाल ले तो बहुत है, बाक़ी और संस्थाओं का हाल सब जानते हैं।

Kalam Azmi बिल्कुल सत्यवादी लेख सर जी हम आपके लेख से सहमत हैं.

arooq Khan भारत की 20% जनता महाकवि कालिदास बनी बैठी है (विद्द्योत्तमा से विवाह पूर्व वाले कालिदास)