FB Post of 4th August 2021
राजा मोहन, विदेशनीति के विशेषज्ञ माने जाते हैं मगर सात साल मे यह भ्रमित हो गये और इन मे भी संघीतकार के मानसिक रोगी के लक्षण नजर आने लगे हैं। इन्होने डा० मोहन जी के तरह अजान देते हुऐ “हिन्दु-यहूदी” गठबंधन के साथ “इन्डो-अब्राहमिक एकॉर्ड” का नया नारा मिस्र के लेखक मोहम्मद सुलेमान के कंधे पर रख कर लम्बा-चौडा थर्ड-क्लास (third class) लेख लिख दिया।
राजा मोहन पूरे लेख मे तुर्की के खेलाफ नफरत फैला कर ट्रम्प के इस्राइल-यूऐई-अरब के “इब्राहिम एकॉर्ड” पर गर्व करते हुऐ “इन्डो-इब्राहिम” एकॉर्ड के पक्ष मे नारा लगाने लगे और ग्रेटर मिडिल इस्ट तक लिख दिया।
यही बात हम सात साल से समझा रहे थे कि सिरिया ने दुनिया बदल दिया है और मिडिल इस्ट दुनिया और एशिया का आर्थिक पावर हाऊस हो गया है तो लोग मेरे बात को नज़रअंदाज़ कर रहे थे और मैकरौन और शिंज़ो अबे को गंगा मे आरती करा कर हिन्दुत्वा और विश्व गुरू बन्ने का झूठा सपना हम लोगो को देखा रहे थे।
आज कोरोना काल मे भारत की अर्थव्यवस्था $2.0 trillion की हो गई और पिछले पॉच सालों (2015-2020) मे यूऐई-सऊदी अरब के लोगो की दौलत/धन $1.0 trillion से बढ कर 2.2 trillion हो गई है और अनुमान है कि 2025 मे $2.7 trillion हो जाये गा, तो हमारे बूद्धिजीवी को सऊदी अरब और यूऐई याद आने लगा।
भारत के बूद्धिजीवी को समझ मे नही आया कि संप्रदायिकता फैला कर राजनीति और देश कभी सफल नही हो सकता है।देश के पैसा को चुनाव ऐसे unproductive system मे लगा कर अर्थव्यवस्था को बरबाद कर दिया। बैंकिंग सिस्टम को खोखला कर एक नया संप्रदायिक समाज बना कर लिंचिग किया, ट्र्म्प के सामने दिल्ली दंगा कर मुस्लिम देशो से रिश्ता खराब कर लिया और अब “इब्राहिम एकॉर्ड” शब्द याद आ रहा है जो ट्र्म्प के हटने के साथ ख़त्म हो गया।
Syed Imran Balkhi साहेब सही लिखते हैं, संघीतीकर्ण छूत की बिमारी से भी बदतर बिमारी है और यह जेनेटिक रूप धारण कर 150 सालो से 65% लोगो को मानसिक रोगी बना कर भी मुसलमानो को अरब महासागर मे नहीं डुबो सके और न ही हिमालय के पार खदेड़ सके।उर्दु नाम वाले थोडा दिन और सबर किजये, बूद्धिजीवियों को अब इब्राहिम एलैहिस्सलाम और अरब महासागर/ खाडी के देश याद आने लगा जैसे डा० मोहन जी को डीएनए और मूसा एलैहिस्सलाम याद आते हैं।