Post of 13 December 2021

1971 मे हम लोगों ने बंगलादेश बनाया; 1973 मे तेल का दाम बढा और मिडिल ईस्ट की दुनिया बदली; 1976 मे चीन के माओ का देहांत हुआ और चीन बदला; 1976 मे पॉच देशो के ASEAN की पहली मिटिंग इंडोनेशिया के बाली मे हुई और आपसी व्यापार से तरक्की हुई।

50 साल बाद सत्तर के दशक की यह चार अद्भुत घटना ने एशिया का बदल दिया और आज एशिया मे मिडिल ईस्ट, चीन, तुर्की, मलेशिया, इंडोनेशिया, बरूनाई, साऊथ कोरिया दुनिया के भू-राजनीति मे यूरोप और अमेरिका को टक्कर देने लगे।

कहा जाता है कि जब 1967 मे आसियान बना था तो आसियान देशो के नेताओ को यकीन नही था कि यह कामयाब होगा। मगर इंडोनेशिया के #मूशावरत (Consultations, आपसी बात-चीत) और #मूवाफक़्त (Consensus, आपसी दोस्ती) ने आज आसियान को दुनिया का सब से बडा व्यापारिक समूह बना दिया और RCEP को जन्म दे दिया (लिंक मे किशोर महबूबानी का लिंक पढे).

पिछले आठ साल मे शी जिंपिंग, शाह सलमान, अरदोगान और पुटिन जैसे चार कामयाब नेताओ के कारण दुनिया बहुत तेज़ी से बदली है जो पिछले चालीस साल मे नही बदली।ओबामा के कार्यकाल ने उत्प्रेरक (catalyst) का काम किया और ट्रेम्प के चार साल ने बदलाव को उभार दिया।

हम पॉच साल से यह कह रहे हैं कि चीन के आर्थीक विकास और सैन्य शक्ति को अब यूरोप या अमेरिका बिना ग्रेटर मिडिल ईस्ट और आसियान देशो के सहयोग के अकेले चीन का मोकाबला नही कर सकता है।यही बात आज कल ट्र्म्प प्रशासन के लोग टीवी पर कह रहे हैं।

आज एक साल बाद अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन हार मान कर इंडोनेशिया के दौरा पर गये हैं ताकि चीन के प्रभाव को कम किया जाये। इंडोनेशिया के बाद वह मलेशिया और थाईलैंड जाये गें।

मेरा मानना है कि अब अमेरिका या ब्लिंकन मिडिल ईस्ट या सेंट्रल एशिया के देश या इंडोनेशिया, मेलेशिया, बरूनाई मे चीन के खेलाफ माहौल बनाने मे कामयाब नही होगा।ओबामा की गंदी राजनीति और चीन के उदय ने मुस्लिम देशो को अमिरिका से दूरी बढा दिया है जिस का नमूना फौल ऑफ काबूल है।

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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman कल शाम मे ब्लिंकन G7 विदेश मंत्री के मिटिंग मे दो दिन से इंग्लैंड मे थे और आज जकारता मे हैं। बाईडेन के राष्ट्रपति बन्ने के बाद पहली बाल अमेरिका के विदेश मंत्री Southeast Asia के ट्रिप पर गये हैं। रात तक खबर आये गी वहॉ इन को क्या जवाब मिला।मलेशिया का अभी सब से बडा ट्रेड पार्टनर चीन है और मेलेशिया सब से ज्यादा निर्यात चीन को करता है। अमेरिका के गुमराह करने पर मलेशिया चीन के खेलाफ नही जाये गा क्योकि रोहिंगिया कराईसिस मे अमेरिका ने बंगलादेश, मलेशिया का साथ नही दिया था। अफगानिस्तान और सिरिया की तरह रोहिंगया सब को याद रहे गा जबतक यह मसला हल नही होता है। यह लाख यूगूर का हल्ला पिटें मगर रोहंगिया को कोई नही भूला है।

  • Anish Akhtar शानदार….मैं इतने दिनों से सोच रहा था कि अमेरिका को उइगर की बड़ी चिंता है और रोहिंग्या पर आज तक एक शब्द भी नही बोला…

Shalini Rai Rajput दुनिया अर्थ के आधार पर चलती है धर्म के आधार पर नहीं। सारी राजनीती भले ही धर्म या संप्रदाय की आड़ लेकर की जाती है। चीन की तरक्की के साथ ही एशिया के देशों को आर्थिक उन्नति के अवसर मिलने लगे हैं ऐसे में किसी भी देश को अपने अनूरूप करना अमेरिका के लिए मुश्किल या लगभग अब नामुमकिन लगता है।

  • Mohammed Seemab Zaman एशिया मे चीन के साथ रह कर ही दूसरा छोटा-छोटा देश तरक्की कर गा। अमेरिका तो मार-काट और तख्ता पलट यही सब कर के पिछले साठ साल से देश को बरबाद करता रहा। इंडोनेशिया क्या बंदाअचे का आतंकी आंदोलन भूल गया। वह तो सूनामी आ गया जो वहॉ आतंकवाद ख़त्म हुआ, वरना इंडोनेशिया को तोड़ने का काम तो यह लोग कर ही रहे थे।

Lalit Mohan आपकी पोस्ट बहुत धैर्य और स्टीकता का बेहतरीन प्रदर्शन करती है।समय साल सब कुछ सबूतों समेत दर्शाते है।

  • Mohammed Seemab Zaman, Lalit Mohan साहेब बहुत शुक्रिया। इस मे तो हम रूस का 1979 मे अफगानिस्तान जाना लिखना भूल ही गये। आज तक दुनिया सत्तर के दशक के इसी पॉच घटना के अच्छे-बूरे असर से ग्रस्त है।मगर जितनी तेज़ी से दुनिया आठ साल मे बदली है उतना चालीस साल मे नही बदली।

Azaz Siddiqui Sir, बेहतरीन जानकारी जिसको मैं पढ़ना चाह रहा था इन देशों के productivity के बारे, आपके लेख से वो जानकारी हासिल हुई.

Javed Hasan बहुत खूबसर माशाअल्लाह याददाश्त बहुत कमाल की है आपकी70 के दशक की एक महत्वपूर्ण घटना रूस की अफगानिस्तान में आने की भी है