Post iof 30 October 2022

विदेश मंत्री जयशंकर साहेब ने कल संयुक्त राष्ट्र मे अपने “आतंकवाद” के भाषण मे कहा कि “इंटरनेट तथा सोशल मीडिया आतंकवाद, साजिश, कट्टरता फैलाने मे एक प्रबल इंस्ट्रुमेंट बन कर आतंकियों का महत्वपूर्ण उपकरण (toolkit) हो गया है जो एशिया और अफ्रिका मे समाज को अस्थिर कर सरकार को काम करने नही दे रहा है” (लिंक कौमेंट मे पढे).

जयशंकर साहेब, सोशल मीडिया को एशिया और अफ्रिका मे आतंकवाद का ज़िम्मेदार बता रहे हैं मगर सच्चाई यह है कि सोशल मीडिया नही ब्लकि भारतीय या वेस्टर्न प्रिंट मीडिया (किताब, अखबार), संचार मीडिया (रेडियो, टीवी), कथित बुद्धिजीवियों, तथा दूसरी संस्था आदि ने आतंकवाद को जन्म दिया।

जयशंकर साहेब रवांडा रेडियो (1994) ने तीन दिन मे 3 लाख और 100 दिन मे 12 लाख लोगो को मार दिया, उस वक्त तो इंटरनेट नही था।1995 मे बोसनिया मे स्रेब्रनित्सा और तुज़ला नरसंहार किया, उस वक्त तो सोशल मिडिया यूरोप मे नही था बल्कि प्रिंट मिडिया का यह कमाल था।भारत मे ऐसा कई उदाहरण है।

जयशंकर साहेब पूर्व मंत्री सोमनाथ शास्त्री का पूराने झूठे पांडुलिपि का हवाला दे कर कहना कि जाट ने अमीर तैमूर को भाला मारा के वह भारत से वापस जाकर उसी चोट से मर गया। क्या यह कट्टरता नही है।इतिहासकार प्रोफेसर हरीशचंद्र वर्मा का किताब मे लिखना कि मुस्लिम शासक कृषि पर 50% अनाज टैक्स ज़मींदारों से ले कर उस को किसान बना देते थे। क्या यह प्रिंट मीडिया का आतंकवाद नही है।

हरीशचंद्र वर्मा को तो यह लिखना चाहिये था कि इस्लाम ने सरकारी/बंजर/ वक़्फ़ ज़मीन को किसानों को देकर भारत को अनाज मे आत्मनिर्भर किया और बटैय्या पर खेती का रेवाज भारत को दिया, जो आज तक भारत मे लागू है।

जयशंकर साहेब सोशल मिडिया दुनिया मे फैले आतंकवाद को समझने का एक thermometer है।अगर सोशल मीडिया नही होता तो सोमनाथ शास्त्री का झूठ, हरीशचंद्र वर्मा का इस्लामोफोबिया, नूपुर शर्मा का कट्टरता या हेट स्पीच नज़र नही आता।सरकार का NRC आतंकवाद दुनिया को पता नही चलता जबकि हम लोग 1959 से तिब्बत के शरणार्थी को रख रहे हैं। फ्रांस के मैकरौन का Lafarge/ISIS का संबंध आम आदमी को कभी पता ही नही चलने दिया जाता।

#नोट: हम पहले आदमी हैं सोशल मीडिया मे जो अपने पोस्ट मे अकसर लिखते हैं “उलट-पलट कौमेंट नही किजये गा” या दूसरो के ग़लत कौमेंट या विडियो मेरे पोस्ट के कौमेंट पर डालने पर हम अपना पोस्ट ही डिलीट कर देते हैं।

https://timesofindia.indiatimes.com/india/threat-of-terrorism-growing-and-expanding-in-asia-and-africa-despite-un-security-councils-best-efforts-says-jaishankar/articleshow/95158284.cms?fbclid=IwAR1jf_ZqLNTibhbeMiVUxcKAw92vNxhrQVkzbz20mOPBF-n-w7n3PAuck-E
==========
Some comments on the Post

Anil Khamparia बहुत सटीक और जोरदार लिखते हैं आप

Naim AKhtar बहुत धुर्त आदमी है इतनी सफाई से सरकार की नाकामियों को हजम कर जाता है और झूठ का पुलिंदा बनाकर गुमराह करदेता है बहुत ही शातिर इंसान है यह विश्व पटल पर भारत की छवि खराब करने में इसका भी भरपूर सहयोग है.

Kamil Khan इसको कहते हैं नाच न जाने आंगन टेढ़ा, मोदी कहते हैं नेहरू की नीतियाँ मुझे काम नहीं करने दे रहीं हैं अब जय शंकर कह रहे हैं सोशल मीडिया इन्हें काम नहीं करने दे रहा है,ये सब मक्कारी है इसके सिवा कुछ नहीं, भारत विभिन्न तहज़ीबों का देश है और जब तक हर तहज़ीब को उचित सम्मान नहीं मिलेगा ये देश अपनी जगह यूँ ही गोल गोल घूमता रहेगा,,

Parmod Pahwa दूसरे मुल्कों की गवाही से इतर अपने मुल्क़ को याद कर लेते तो हमे कुछ लिखना ही न पड़ता. 47 में दस लाख जाने ज़ाया हुई जिसमे सभी क़ौम थी, वो क़त्लों गारत सिर्फ़ ज़ुबानी अफ़वाहों की बिना पर हुई थी. भारत में तो गणेश जी दूध पिलाने से लेकर तबलीगी ज़मात और गरीब सब्ज़ी वालों पर बीमारी फैलाने के इल्ज़ाम इंटरनेट ने नहीं लगाए थे. अख़लाक़ के फ्रिज में गोश्त की झूठी खबर भी सोशल मीडिया पर नहीं आई थी. जय बाबू सर्विस टाइम में तो बहुत संजीदा होते थे , सोहबत का इतना असर !

  • Nishant Gupta, Parmod Pahwa जी कांग्रेस के समय मे सभी संघी चुपचाप संजीदगी से ही रहते हैं सरकार आने पर ये अपने पर दांत और नाखून निकाल लेते हैं मेरे एक पड़ोसी गैर कांग्रेसी सरकारों में मिमयाता घूमता था अब यहां वहां चड्डिधारी अफसरों और नेताओं को मेरे पोस्ट कमेंट के स्क्रीनशॉट दिखाता घूमता है ,,बेसिकली बड़े हRAमी लोग्स हैं ये.
  • Mohammed Seemab Zaman, Parmod Pahwa साहेब, बहुत सही कहा सोहबत का असर है।हम लोगो को बचपन मे जब गाली मूँह से निकल जाता था तो कहा जाता था कि लगता है स्कूल मे गलत सोहबत मे पड गया है।

Kamal Siddiqui सर ये बर्बादी का ठीकरा दूसरे पर फोड़ रहे हैं, जय साहेब भी अपना किरदार निभा रहे हैं और रोने के लिए दूसरे का कंधा ढूंढ रहे हैं।

Shalini Rai Rajput सोशल मीडिया के जरिए इमेज़ बनाने और सत्ता में काबिज होने में कामयाब होने वाले लोग आज सोशल मीडिया के विरुद्ध हो गए हैं। राहुल गांधी की यात्रा की कवरेज शेयर करने पर पाबंदी लगाई गई है।ये लोग सोशल मीडिया की ताकत जानते हैं।इन्होंने जो इमेज़ बनाई और जो किया उसके अंतर को सोशल मीडिया ने ही सामने लाकर रख दिया। इनके इतिहास , भूगोल पर जमकर चर्चा हुई।

  • Mohammed Seemab Zaman बिल्कुल सही लिखा, सोशल मीडिया से यह कामयाब हुऐ और जब अब वही इन के बरबादी का toolkit हो गया तो उस को कोसने लगे। राहुल गॉधी एक दूसरे गॉधी हो गये, भारत की पूरी राजनीति अगले दस साल मे बदले गी। राहुल गॉधी प्रधानमंत्री नही बने गें मगर दूसरो को प्रधानमंत्री बनायें गें।