Post of 24 November 2022

फ़रवरी 1979 मे ईरान मे “इस्लामी क्रांति” 14 महीना के आंदोलन के बाद सफल हुआ।ईमाम खोमैनी के इंतक़ाल (1989) के बाद छोटों ज़हन के कमज़र्फ बुद्धिजीवियों ने उस को हाईजैक कर लिया।जिस के वजह कर दस साल बाद 1998 में वहाँ सरकार के खेलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई, मगर उस को कुचल दिया गया क्योंकि आम जनता का सपोर्ट नहीं मिला।

फिर 2009 में सरकार के खेलाफ महंगाई, बेरोज़गारी और डेमौक्रेसी का मुद्दा उठाया गया जिस को भी कुचल दिया गया।2014 में एक औरत ने ‘हिजाब’ का मसलह उठाया और चौराहे पर तेल छिडक कर आग लगा कर खुदकशी कर लिया मगर कुछ दिन में ख़त्म हो गया।

मगर इस बार आयातुल्लाह रईसी के राष्ट्रपति बनने के एक साल बाद फिर ‘हिजाब’ का मुद्दा उठा कर पूरे मूल्क में आंदोलन खड़ा कर दिया गया (नीचे France 24 TV का कल का नक़्शा देखें).

पूरे उत्तर ईरान में अज़री सूबा के शहर तबरेज़ (تبریز) से लेकर रश्त (رشت) और तेहरान तक यह आंदोलन फैल गया है।यहॉ तक की यह अफ़ग़ानिस्तान के सटे ईरान के ब्लूच प्रांत ज़ाहदान (زاہدان) और दूसरी तरफ ईरान के दूसरे बड़े आबादी वाले शहर मशहद (مشہد) तक फैल गया है।

इस आंदोलन की खूबी यह है कि इस मे कोई ख़ास मुद्दा और कोई विशेष नेता नहीं है, ब्लकि यह आंदोलन चालिस साल के असफल “इस्लामी क्रांति” के खेलाफ ऐहतेजाज है।हिजाब और लड़की की मौत तो एक बहाना है।इस में सभी मज़हब, ऐलाक़ा, अज़री, कुर्द, पख़्तून, ताजिक, मर्द, औरत, लड़की वग़ैरह सब शामिल हैं।

इब्राहिम रईसी और उन के सरकार के लोग कहते हैं कि ईरान के खेलाफ यह पश्चिमी देशों की साज़िश है, जो बिल्कुल ग़लत है।ईरान को 2001 से वेस्टर्न पावर ने पूरे मुस्लिम दुनिया के खेलाफ खडा करने की हर मुमकिन कोशिश किया उस के नतीजा में मिडिल ईस्ट, तुर्की या दूसरे मुस्लिम देश वेस्टर्न पावर से दूर होते गये और आज यूरोप इस की सज़ा यूक्रेन-रूस लड़ाई में ऊर्जा संकट के रूप में झेल रहा है।

9/11 के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बुश ने ही 23 जनवरी 2002 को एटम बम बनाने का प्लांट ईरान को लिख कर दिया और किसी दूसरे अरब देश को देने से इंकार किया।पश्चिमी देश के मद्द ख़ास कर फ़्रांस और इस्राईल के द्वारा दिये सामान और प्रशिक्षण से ईरान बम या मिज़ाइल बनने में कामयाब हुआ मगर आज ईरान वेस्टर्न पावर को कोसता है और कहता है यह आंदोलन पश्चिमी देशों की साज़िश है। यह झूठ है, आज भी फ़्रांस और यूरोप ईरान को indirect support कर रहा है।

#नोट: ईरान को मुस्लिम देशों जैसे, सीरिया, इराक़, अज़रबाइजान, माली, चाड, सूडान, सोमालिया, यमन आदि में अपनी आतंकी गतिविधियों (proxy war) को बंद कर ईरान के तरक़्क़ी पर ध्यान देना होगा वरना यह आंदोलन 1979 के बाद दूसरी क्रांति साबित होगा।अब वक्त जो लगे।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman इस पोस्ट को खूब शेयर किजये ताकि उर्दु नाम वाले जो #हिन्दी लेख और वीडियो सून कर ईरान को फ़रिश्ता समझते हैं वह हक़ीक़त को जाने। 1979 की क्रांति सही थी मगर खोमैनी के इंतकाल के बाद कमज़र्फ नेताओ ने ईरान बरबाद कर दिया और आज दो नस्ल बरबाद हो गई और चंद लोग हूकूमत कर मज़ा कर रहे हैं।

Mohammed Seemab Zaman ईरान की वजह कर पश्चिमी देश दूसरे मुस्लिम देशों से दूर होते जा रहे हैं। इसी ईरान की वजह कर आज बाईड़ेन-ब्लिंकन की जोड़ी मिडिल ईस्ट में रोज़ बे-इज़्ज़त हो रही है और चीन महाशक्ति बनता जा रहा है।

  • Anish Akhtar, Mohammed Seemab Zaman इसमे तो इन पश्चिम देख ओर अमेरिका की खुद की गलती है जो ईरान को अंदरूनी तौर पर मदद फहराम की जिसका नतीजा बाइडेन ब्लिकेज की जोड़ी को भुगतना पड़ रहा है.

Parmod Pahwa अंदरूनी हालात तफ़शीश नाक बताए जा रहे है अगर अब भी मज़हबी रहनुमा थोड़ा सोच ले तो साज़िशें नाकाम हो सकती है

  • Mohammed Seemab Zaman, Parmod Pahwa साहेब, हम बहुत दिन से यह पोस्ट लिखने को सोंच रहे थे। कल France 24 TV पर एक घंटा का Debate सूना और यह तस्वीर सबूत के तौर पर मिल गई तो यह पोस्ट आज कर दिया।हम रईसी के राष्ट्रपति बनने के दिन से कह रहे हैं कि यह उन से नही संभले गा, आज वहॉ मामला बहुत खराब हो गया है।कौन मज़हबी रहनूमा? क्या यह लोग आयातुल्लाह का लक़ब लगा लिया है तो मज़हबी रहनूमा के ठिकेदार हो गये। यह लोग संघी हैं कोई रहनूमा नही है।