FB Post 0f 24 June 2021

पिछले हफ्ता ईरान मे नये राषट्रपति ईब्राहिम रईसी, जिन्हें “तेहरान का क़साई” कहा जाता है वह जित गये। यह ईरान मे भविष्य मे कट्टरपंथी के सफ़ के नये लिडर होंगे जो ईमाम खेमेनाई के बहुत क़रीब रहे हैं। मगर इन को विदेशनीति की कोई समझ नही है जैसे हमारे संध के लोगो को नही है।

बराक ओबामा और आतंकी बाईडेन ने सिरिया मे ISIS पैदा किया और इधर उस को बैलेंस करने के लिये संध के प्रचारक मोदी को 2014 मे प्रधानमंत्री बनवा दिया। मगर सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने 2015 मे सिरिया मे रूस को बोला लिया और बराक और अमेरिका को नंगा कर दिया।मुस्लिम मूल्को के लिये एशिया का जियो पौलिटिक्स सौ साल के लिये बदल गया।

दो साल बाद ट्र्म्प आकर अफगानिस्तान मे कट्टरपंथी तालिबान से सुलह कर लिया मगर मेरे भारत मे मोहन जी या मोदी जी को कुछ भी समझ मे नही आया और यह दोनो वही सौ साल की पूरानी सोच को पालते रहे। यह तीन तिलाक़, NRC, 370 बकते रहे, फिर कोविड और चीन गलवान और अरूनाचल मे आ गया मगर देशभक्ति किसी नेता या पार्टी की नही जागी।अब भारत अगले बीस साल तक इस बरबादी को झेले गा।
———-
इस साल जब ईरान को यकीन हो गया कि तालेबान जिस ने 1998 मे 11 ईरानी डिप्लोमैटस और नजीबऊल्लाह को काबूल मे मारा था वह अब अफगानिस्तान मे एक political entity हो गया है तो फिर अहमदीनिजाद के तरह एक ultra-right leader को राष्ट्रपति बनवा दिया ताकि यह तालेबान का काट यमन, सिरिया, लेबनान, इराक मे करते रहें।

मेरा मान्ना है ईरान के रईसी हमारे मोदी जी के तरह कामयाब नही होंगें क्योकि अफगानिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, तुर्की और सेंट्रल एशिया के देश मे पिछले सात साल मे political, social, economic and technological changes बहुत अच्छा हुआ है जो ईरान मे नही हुआ है।

यह सभी देश तालेबान को अब सपोर्ट करें गें और अफगानिस्तान को एक इस्लामी रेयासत बना कर ईरान का एक rival खडा करे गें, जिस तरह से 1922 के बाद रूस के कौम्यूनिस्ट के काट के लिये सऊदी अरब मे वहाबिज्म को फ़रोग़ दिया गया था।

मेरा मान्ना है ईरान के रईसी सरकार को अपने को बदलना हो गा और अफगानिस्तान, यमन, इराक़, सिरिया मे आतंक बंद कर सऊदी अरब, तुर्की और पाकिस्तान से अच्छा संबंध बनाना हो गा।