Post of 1st November 2024

*अमेरिका का इंतख़ाब अपना आख़री हफ़्ता देख रहा है। नवंबर मे इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट को 13 महीना हो जाये गा और रूस-यूक्रेन के मार-काट को 32 महीना हो जाये गा।

*दुनिया ट्रम्प का कार्यकाल देख चूकी है, ट्रम्प एक संघीतकारी सोंच रखते हुए रोज़ एक नया narrative बनाते हैं। कमला को भी दुनिया पिछले चार साल मे देख चुकी है कि वह भी बाईडेन से अलग सोंच नहीं रखती हैं।

*रूस इसराइल के लिए ईरान को अपना proxy बना कर रखे गा ताकि यूक्रेन में यूरोप कामयाब नहीं हो।वहीं चीन यूरोप के लिए रूस को अपना proxy यूक्रेन में बना कर रखना चाहे गा ताकि वह अमेरिका के बाद दूसरा “विश्व गुरू” बन जाये।

*रूस-चीन दोनों मिल कर अब अमेरिका के लिए “उत्तर कोरिया” को South China Sea में वियतनाम के बाद एक नया “सर दर्द” दें गें।

*मिडिल ईस्ट और सेंट्रल एशिया के देशो को अमेरिकी चुनाव से कोई मतलब नहीं है क्योंकि उन को पता है कि ट्रम्प दुनिया बदल कर चले गये हैं। चीन और यूरोप को तेल, गैस, यूरेनियम, पैसा चाहिए। उन लोगों के पास दुनिया का तेल, गैस, यूरेनियम, rare earth metals तथा trillion dollars Sovereign Fund है।

#नोट: इसराइल 5 नवंबर के अमेरिकी इंतख़ाब के रिज़ल्ट के इंतज़ार में हैं, मगर मेरा मानना है कि इस चुनाव में कोई जीते इसराइल या उन के नेताओं को इस से कोई फ़ायदा नही होने वाला है। इसराइली नेताओं को अब “two-state solution” पर बात करना ही होगा।
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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman
इस पूरे खेल में भारत कहीं भी नहीं है।भारत को अपने मुस्लिम पड़ोसियों से रिश्ता बनान होगा ख़ास कर पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी, वरना मिडिल ईस्ट या सेंट्रल एशिया के देश न भारत मे #निवेश करें गे और न पाकिस्तान मे।
पाकिस्तान से ज़्यादा भारत को Foreign Investment चाहिय क्योंकि भारत की आबादी 1.4 billion है और चीन हम से नाम-पता बदलना सीख चूका है।

Arvind Srivastva, Mohammed Seemab Zaman मुस्लिम देशों से अच्छा संबंध संघी सरकार के एजेंडे में होता नहीं है

Mohammed Seemab Zaman, Arvind Srivastva साहेब अब तो मुस्लिम देशों से अच्छा संबंध संघी सरकार को बनाना मजबूरी हो गई है। दो दिन पहले Ambuj Gupta Bhartiya साहेब ने पोस्ट किया था “सौ से अधिक वर्षों की तपस्या से जो हासिल हुआ संघ ने अपनी जलन और डाह में उसको बर्बाद कर दिया। इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा। पीढ़ियां कोसेंगी कि हमने ये सब देखा और होने दिया”

अगर संबंध नहीं बनाया तो संघ को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियॉ अगले सौ साल कोसेंगी।

Arvind Srivastva साहेब अब तो मुस्लिम देशों से अच्छा संबंध संघी सरकार को बनाना मजबूरी हो गई है। दो दिन पहले Ambuj Gupta Bhartiya साहेब ने पोस्ट किया था “सौ से अधिक वर्षों की तपस्या से जो हासिल हुआ संघ ने अपनी जलन और डाह में उसको बर्बाद कर दिया। इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा। पीढ़ियां कोसेंगी कि हमने ये सब देखा और होने दिया”
अगर संबंध नहीं बनाया तो संघ को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियॉ अगले सौ साल कोसेंगी।

Parmod Pahwa. रूस युकराइन से शुरु हुए कॉंफ्लिकट के नतायज़ मे वर्ल्ड पावर ईस्ट की ओर शिफ्ट हो गयी,
फाइनेंसियल सेंटर लंदन की जगह दुबई और सिंगापुर हो गया, ईरान को धागे बाँध दिये अब उसके इंट्रेस्ट भी क्रीमलीन और बिज़िंग तय करेंगे।।
लेकिन सबसे बड़ा फायदा हम गोबर पट्टी वालों को हुआ जो पहले भी गोबर लीपते थे और अब भी वही करेंग.

Mohammed Seemab Zaman, Parmod Pahwa साहेब, रूस-यूक्रेन मार-काट ने प्रतिरोधी ताक़तों को 75 साल बाद एक नई ऊर्जा दिया है।
गोबर पट्टी वाले तो पहले भी गोबर लीप कर आनंदमयऐ होते था और अभी भी शहज़ादा सलीम गोबर लिपवा रहे है, मगर मुंबई जिस ने Marine Drive बनाया था ताकि हम लोग एशिया के फ़ाइनेंशियल सेंटर बने मगर वह भी गोबर लीपने लगा और देखते देखते Dubai 10 साल मे Asia का Financial Centre हो गया। दूसरा Istanbul होगा जो Europe-Asia को कनेक्ट करें गा।