अभी बाईडेन और इस्राईल प्रधानमंत्री यैर लैपिड का प्रेस कौनफेरेंस ख़त्म हुआ, जिस मे लैपिड ने #अमन का नारा लगाया।उन्हों ने अरब को शांति के लिए “अहलन-व-सहलन” कहा।
लैपिड का स्पीच अच्छा था।लैपिड ने प्रेसिडेंट बाईडेन को कहा “वह जब सऊदी अरब मे अरब नेताओं से मिलें तो उन को मेरा एक मेसेज पास कर दें कि “इस्राईल शान्ति का हाथ बढा रहा है” माशा अल्लाह लोग अब अमन की बात करने लगे।
बाईडेन बहुत कम बोले मगर अपने स्पीच के शुरू मे कहा जब हम पहली बार जवानी मे सेनेटर बने था तो Yom Kippur War (1973) हुआ था तो हम बहुत परिशान हो गये थे, मगर इस्राईल की मद्द हम लोगों ने किया।लोगो को याद होगा इसी लडाई से सौ साल बाद (1876) अरब दुनिया बदली है।अरब ने इस अरब-इस्राईल लडाई मे “oil as a weapon” पहली बार इस्तमाल किया था और अमेरिका/यूरोप 15 साल पिछे हो गया और 1989 मे सोवियत संघ टूट गया और अरब दुनियान तथा सेंट्रल एशिया के देश उभर कर सामने आ गये।
आज पचास साल बाद फिर दुनिया मे रूस-यूक्रेन लडाई मे रूस/अरब “oil/gas as a weapon” इस्तमाल कर रहे हैं। फिर यूरोप और अमेरिका तबाह हो रहा है और बीस साल पिछे चला जाये गा और चीन महाशक्ति बन कर सब के सामने आ जाये गा।अभी ग्रेटर मिडिल ईस्ट के पास महाशक्ति बनाने की कुंजी है।
#नोट: दुनिया WWII के बाद अभी सत्तर साल मे पहली बार पॉच बडे संकट से गुजर रही है।सब लोग 15 अगस्त 2021 “फाल ऑफ काबूल” याद रखिये गा, भूलये गा नही।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman रूस-यूक्रेन लडाई के बाद अभी जो मिडिल ईस्ट मे सयासत develop हो रही है, मेरा अंदाज़ा है कि सऊदी अरब के प्रिंस सलमान और ईरान मे जल्द बातचीत शुरू होगी और सब लोग जो ईरान के न्यूक्लिअर प्लांट को मुद्दा बनाये हुऐ हैं वह बेवक़ूफ़ बन जायें गें।
Mohammed Seemab Zaman WHAT A MESS OF FOREIGN POLICY: #I2U2
आज मिडिल ईस्ट के चार दिन के दौरा पर बाईड़ेन इस्राईल में हैं, जहॉ I2U2 की वर्चूअल मीटिंग हुई है, जिस की कोई ज़रूरत नहीं थी मगर हम लोगों को खुश रखने के लिए यह किया गया।
इस मिटिंग में यह फ़ैसला हुआ कि अमेरिका, इस्राईल, यूएई और भारत ‘ईरान को न्यूक्लियर पावर नहीं बन्ने दे गा’
शायद बाईड़ेन को मालूम नहीं है हम लोग आठ साल से मिडिल ईस्ट को छोटा करने के लिए समय समय पर ईरान के चाबहार बंदरगाह बनाने का नारा लगाते रहते हैं। अभी हम लोग रुस का तेल ईरान के चाबहार बंदरगाह से लाने की बड़ी योजना की घोषणा किया है ताकि मिस्र के स्वेज़ नहर या सऊदी अरब के लाल सागर से नहीं आना पड़े।