Post of 31st August 2021

توحید کی امانت سینوں میں ھے ھمارے
آساں نہیں مٹانا نام و نشاں ہمارا
(اقبال)

हम लोगो ने ज़हीरउद्दीन बाबर की फ़तह नही देखी, मगर जो नस्ल अभी है उस ने अफगानी लोगो के जद्दोजहद का पूराना इतिहास आज देख लिया।हम लोगो ने अपनी जिंदगी मे एतिहासिक दो बडी चीज़ें देखी, रूस का टूटना और यूरोप और अमेरिका की शर्मनाक शिकस्त। हम ने तो बचपन मे बंगलादेश बनते भी देखा है। 1989 मे झूठा परोपगंडा कर हमारे देश मे बाबरी नाम की मस्जिद को उडाने का आंदोलन छेड़ा गया वहीं अफगानियो ने 15 फरवरी 1989 को सोवियत संघ के लेफ़्टिनेण्ट जेनेरल बोरिस ग्रोमोव को हरा कर अफगान से जाने पर मजबूर कर सोवियत संघ को तोड़ कर 70 साल बाद सेंट्रल एशिया के बाबार के देश उजबेकिस्तान को आज़ाद करा दिया।

मेरे वालिद साहेब ने आजादी के पहले 1943 मे पटना यूनिवरसीटी से MA in History किया था।जब कभी मोग़ल के जवाल की बात होती तो वह अकसर कहते थे “अगर औरंगजेब अफगानिस्तान को कब्जा करने की जंग नही लड़ता तो मोग़ल की हकूमत कमज़ोर नही होती और ज़वाल देर से होता”कल रात की काबूल की घटना को देख और पढ कर अपने बच्चो को ज़हन मे डालते रहिये गा के 40 साल के मार-काट और जुल्म को कैसे सीने मे तौहिद की अमानत और जद्दोजहद से अफगानियो ने फ़तह पाया और अमेरिका के मेजर जेनरल क्रिस्टोफ़र डोनाह्यू और राजदूत विल्सन को 30 अगस्त 2021 को अंधेरी रात मे भागते देखा गया। अब तालेबान की हकूमत कामयाब होती है या नाकामयाब, यह कोई मुद्दा नही है मगर यह याद रखना है कि अफगानी सल्तनतें बनाते भी हैं और बरबाद भी करते हैं।

“तौहिद की अमानत सीनों मे है हमारे
आसॉ नही मिटाना नाम व निशॉ हमारा” (इक़बाल)
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Jamshed Jamshed
Mohammed Seemab Zaman भाईजान….आपकी इस पोस्ट के लिए अल्लाह की क़सम आपको दिल से सैल्यूट…प्लीज़ मेरी इस बात को अजीब नहीं समझियेगा…लेकिन मेरी नज़र में ये पोस्ट एक अज़ीम ख़ुतबे की मानिंद है…जिससे ईमान ताज़ा हो गया…ये पोस्ट दिल पर छप गई…

  • Mohammed Seemab ZamanJamshed Jamshed साहेब, हम को ख़ुद कभी कभी किसी पोस्ट लिखने के बाद लगता है हम ने यह नही लिखा है, हम से किसी ने यह पोस्ट लिखवा दिया है। लिखने के लिये कुछ और सोंचते हैं मगर लिख कुछ और देते हैं।जो हम ने कौमेंट मे लिखा है उस को पोस्ट पर लिखने वाले थे मगर शेर पढने के बाद कुछ और लिख दिया। दुआ मे याद रखिये गा।
  • Jamshed Jamshed, Mohammed Seemab Zaman भाईजान…हक़ पर चलने वाले इंसानों पर शाहकार नाज़िल होते हैं…क़ुदरत ख़ुद उनके रदीफ़ से अपने काफ़िया मिला देती है…और नतीजे में ऐसे शाहकार वुजूद में आते हैं…आपके लिए हमेशा दिल से दुआ ही निकलती है…

Saeed Khan Arshi “हम लोगों ने जहीरूद्दीन बाबर की फतेह नहीं देखी” सर आपने तो सिर्फ इस एक लाइन में तालिबान का पास्ट, प्रजेंट, फ्यूच बता दिया।मुझे लगता है कि हर हिंदुस्तानी मुसलमान को एक बार बाबरनामा जरूर पढ़नी चाहिए।

Syed Asman Mustafa Kazmi ये सिर्फ़ अफ़ग़ान लोगों की जीत नहीं है बल्कि ये कलोनियल पाॅवर पर एशिया अफ़्रीका के उन लोगों की जीत है जिनको ये कलोनियल पाॅवर्स सदियों से लूट रहीं है जिनके खून से ये नापाक ताकतें होली खेलती रही हैं ,उम्मीद है ये पूरे एशिया अफ़्रीका के लिए एक नये दौर का अगाज़ होगा

Jamshed Yousufzai बहुत ही शानदार पोस्टयूं तो आप की सब ही पोस्ट बहुत शानदार और बेहतरीन विश्लेषण और रिसर्च के साथ होती हैं।

Mozaffar Haque माशा अल्लाह, बहुत ख़ूबसूरत पोस्ट है ….. “अफ़ग़ानी सल्तनतें बनाते भी हैं और बर्बाद भी करते हैं”…