Post of 23 January 2023

यह हैं ईटली की घोर दक्षिणपंथी नेता जार्जिया मेलोनी जो देशभक्ति और राष्ट्रवाद से लबरेज़ थीं और नारा था “God, Country, Family”

पिछले साल अक्टूबर मे मेलोनी ईटली की प्रधानमंत्री बनी तो कल अपना पहला विदेश का दौरा अफ्रिका के मुस्लिम देश अल्जीरिया से शुरू किया।अल्जीरिया, फ्रांस का कौलोनी रहा था मगर मेकरौन के राष्ट्रपति बनने के बाद अल्जीरिया ने फ्रांस, स्पेन की कम्पनी को निकालना शुरू किया क्योकि मेकरौन फ्रांस मे “इस्लामोफोबिया” को बढावा देने लगे थे।

प्रधानमंत्री मेलोनी आज सब से पहले अल्जीरिया मे शहीद लोगो के स्मारक पर जा कर फूल रखा।वह आज अल्जीरिया के राष्ट्रपति से मिल कर “गैस” का एक लम्बे वक्त के लिए समझौता करें गीं।ईटली अपने उर्जा के लिए 95% गैस विदेश से आयात करता है जिस मे 40% रूस से आयात करता था।

रूस के यूरोप (यूक्रेन) मे लडाई शुरू करने के बात यूरोपियन देश को बेरोजगारी, महँगाई तथा जन-आंदोलन का डर लगने लगा तो यह लोग अब #दक्षिणपंथी सोंच को त्याग कर सेकुलर का जामा पहन्ने लगीं।

दावोस मे सऊदी अरब के वित्तमंत्री ने कहा कि भविष्य मे सऊदी अरब किसी देश को पैसा दे गा तो अब “शर्त” (string) लगा कर दे गा, पहले के तरह उन के बैंक मे पैसा जमा नही करे गा और न उन देशो का Bond खरीदे गा।

#नोट: कल बुर्किना फासो के राष्ट्रपति ने फ्रांस की फौज को एक महीना के अंदर वापस जाने को कहा है।तुर्की ने मानवाधिकार के अलमबरदार स्वीडेन और फिनलैंड को “आतंकवादियों का गेस्ट हाऊस” कहा और NATO का सदस्य नही बनने दे रहा है।स्वीडन और फिनलैंड को रूस के यूरोप मे विस्तारवादी होना का डर सता रहा है, जिस के कारण अब यह NATO की सदस्यता लेना चाह रहे हैं।
===============
Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman यह जो आप दो दिन से स्वीडेन मे तुर्की के दूतावास के सामने कुरआन जलाने का हंगामा सून रहे हैं, वह डेनमार्क जहॉ दक्षिणपंथी सरकार है, उस के एक नागरिक जो स्वीडन की भी नागरिकता रखता है उस ने हरकत किया है। वह आदमी पहले भी इस तरह की हरकत कर चूका है और सज़ा हुई है। स्वीडन की सरकार ने उस को बैन नही किया जबकि उस पर जर्मनी ने बैन लगा रखा है।

  • Anish Akhtar, Mohammed Seemab Zaman स्वीडन में तुर्की दूतावास की घटना मुस्लिम दुनिया को एक बार फिर उकसा कर उनपर इल्जाम आयत करने का षड्यंत्र है ताकि दुनिया जो यूक्रेन वार में फंसी है उसको वापस इस्लामोफोबिया की तरफ मोड़ा जाये लेकिन लगता नही अब कुछ होगा..
    • Aquil Ahmed, Anish Akhtar ऐक बार फिर का मतलब यह हुआ अब इल्जाम से बाहर हो गए थे ? ….यह सिलसिला कम जरूर हुआ था , खत्म तो मुझे होता नही दिखा.
  • Mohammed Seemab ZamanAnish Akhtar साहेब, मेरे ख़्याल से यह frustration मे स्वीडन ने करवाया है क्योकि तुर्की इस को NATO का मेंमबर बनने नही दे रहा है। स्वीडन ने अपना कानून बदला है मगर तुर्की 130 आतंकी को मॉग रहा है जो वहॉ रह रहे हैं। बात यहॉ पर आ कर अटक गई है।

Parvez Ahmed Kya Algeria France ko gas dega?

  • Mohammed Seemab Zaman, Algeria ने फ्रांस और EU से गैस का contract करने से इंकार कर दिया है। EU अब अज़रबाइजान के पास गया है, वहॉ फ्रांस अलग आर्मेनिया लेकर फँस गया है। यूरोप बहुत बूरा फँस गया है।

Kamil Khan यूरोप वालों का सारा धन अपने घर को गरम रखने मे ही खत्म हो जायेगा, जब 70 के दशक मे अकेले कमज़ोर से saudi अरब ने यूरोप की चूलें हिला दीं थी तो अब तो saudi अरब पहले से बहुत ताक़त वर है और चीन रूस अफ्रिका के मुस्लिम देश उसके साथ खड़े हैं

  • Mohammed Seemab Zaman, सऊदी अरब ने कहा है कि World Economic Forum अब स्विट्ज़रलैंड मे न होकर सऊदी अरब मे हो क्योकि इस बार दुनिया का कोई बडा नेता वहॉ नही गया।

Bheem Singh Gill यहाँ का मेन मीडिया, एक पांखडी के पैरों में बार बार गिर रहा है, दरअसल तो यह समाझ गिर रहा है जो कुते गाए के नाम पर दिआलू होने का ढोंग करता है

  • Mohammed Seemab Zaman, यहॉ का मेन मीडिया एक कमरा से चलता है और कोई पढा लिखा पत्रकार नही है। सब कुऑ का मेढक है। हम देख रहे हैं चार दिन से सब लोग बाबा पर पोस्ट कर रहा है। हर जमाने मे “एक बाबा” रहे हैं, इसी मे उलझे रहने दिजये।

Lalit Mohan, सेक्युलर विचारधारा के प्रतिनिधियों के लिए ये खुश होने वाली बात तो बिलकुल भी नहीं है।जितने भी राष्ट्रवादी, अनसेक्यूलर विचारधारा के प्रतिनिधि है वे वास्तव में हवा को देखकर मात्र अपनी रणनीति को विराम देकर कुछ समय के लिए गंगा उल्टी बहा रहे हैं।ये समय सावधान होने का है।ओर उन्हें ऐसे किसी मौके को लेने नही देना चाहिए; जिससे वे सेक्युलर और सर्वजन के नेता लगते हो।बल्कि जब तक कि वे पूर्व की गलतियों के लिए क्षमा ना मांग लें.. उन शक्तियों का नाम ना बता दें जिन्होंने उन गलतियों को करने ओर आम जनता को राष्टवाद के नाम पर दंगों,दुखों और जानमाल के नुकसान तक होने दिए।
Seemab Zaman साहब आपको लगता है ये लोग सुधर गए है और इन्हें मौके दे दिए जाएं।जबकि इनकी विचारधारा की जितनी मजमत की जाए सेक्युलर समाज शांति के लिए जरूरी है।

  • Mohammed Seemab Zaman, Lalit Mohan साहेब, जिस तेज़ी से चार-पॉच साल मे दुनिया बदली, अच्छे अच्छे राष्ट्रवादी या षड्यंत्रकारी को समझ मे नही आया। यह लोग समझ रहे थे कि कोरोना के बाद फिर दुनिया नार्मल हो जाये गी और हम लोग वही “मार-काट” करते रहे गें। मगर रूस ने यूक्रेन मे इन लोगो को फँसा दिया। जब तक ट्र्म्प था कहीं लडाई नही हुई मगर बाईडेन आकर फिर यूक्रेन को लडाई का सामान देना शुरू किया ताकि रूस को डरा दें मगर रूस कूद गया।दुनिया तो ओबामा के अरब स्प्रिंग से बदलने लगी थी मगर इस तेज़ी से बदले गी, यह हम ने भी नही सोंचा था। अब तो पहले वाली दुनिया नही रही, “लोगो को देश बचाने के लिए सुधरना ही होगा”
  • Lalit Mohan, Mohammed Seemab Zaman सहमत हूं।लेकिन ये जो आज राष्ट्रवादी सेक्युलर बनकर विपरीत दिशा की ओर चल रहे हैं ये वास्तव में अपने लिए फिर से ध्रुवीकरण ओर राष्ट्रवादी खेल खेलने की फिराक में भी ना हो?इन्हें सुधरा हुआ ना समझें।