Post of 1st October 2023

दुनिया मे औरतों और मर्दों की सफाई, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए शौचालय रोजमर्रा की संस्कृति का हिस्सा रहा है, जबकि भारत में खेत, खलिहान, सड़क, रेलवे लाईन के किनारा ही शौच-स्थल रहा है।

जापान के आर्थिक विकास के साथ उच्च-तकनीक वाले शौचालयों जापान की शौचालय संस्कृति (Toilet Culture) को अपनी वर्तमान ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।

Nippon Foundation ने जापान में पारदर्शी दीवारों वाला शौचालय बनाया जो दरवाज़ा बंद होने पर अपारदर्शी हो जाता है, अवर ब्रिज के नीचे लकड़ी के तख्तों से खूबसूरती से ढका शौचालय बनाया, अंतरिक्ष यान जैसा गुंबददार सफेद शौचालय बना कर “शौचालय संस्कृति” को architectural wonders मे बदल दिया।

भारत छोड़, दुनिया शौचालय संस्कृति को सम्मान देता है।लंदन में प्रति 100,000 निवासियों पर 14 सार्वजनिक शौचालय हैं; टोक्यो में 53 हैं। उनकी उच्च तकनीक उल्लेखनीय हैं, गर्म सीटों और “Washlets” के अलावा, जो उपयोगकर्ताओं पर पानी छिड़कते हैं और हवा उड़ा कर सुखाती हैं।

#Note: Digital Bharat जहॉ “गंदा और महक” वाला शौचालय है,वहॉ अब गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत और स्वास्थ्य भारत बनाने के लिए “बॉंस के झाड़ू” से सफ़ाई अभियान चलाया गया है। कितने अफ़सोस की बात है कि डिजिटल भारत मे आज भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, सार्वजनिक पार्कों, राजधानी दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर बाँस की झाड़ू और कंबल से पोछा होता है।
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Some comments on the Post

कुलदीप सिंह मेरे गाँव में एस सी औरतें शाम को मैन रोड के दोनों तरफ शौच करती हैं लेट नाइट मैं गाड़ियों को निकालकर जब गांव आता हूं मुझको दोनों तरफ लैट्रिन पड़ी मिलती है या कभी औरतें गाड़ी को देखने के बाद भी उसी तरह लैट्रिन करती रहती हैं. मैं खुद नजर नीचे करके निकल जाता हूं सर ।।

Misbah Siddiki गांधीजी का चश्मा शौचालय की दीवारों और गांधीजी के नाम झाडू ही क्यों???
जबकि गांधीजी ने हाकिमों और अवामी राहनुमाओं के लिए अख़लाक़ीयात और अख़लाक़ी पाकीज़गी (नैतिकता और नैतिक शुचिता), मिसाली किरदार, शख़्सियत की तामीर और ज़िंदगी में इस्तेमाईयत और जामियत (आदर्श व्यक्तित्व-निर्माण और जीवन में सामूहिकता व समावेशिता) के ज़रिए सच्चाई और अदमतशद्दुद (सत्य-अहिंसा) का ख़ुद का तजरुबाती फ़लसफ़ा पेश किया था। कहाँ उनकी तालीम पर अमल करने के साथ उसे आम करना था।
कहाँ आवामी पाखानों, पेशाब घरों (सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों) की दीवारों पर गोल चश्मे के ठप्पे छापे जा रहे हैं, उनके नाम से झाडू मारी जा रही है।

Tur Khan वैसे अपने यहाँ कहा जाता है कि घर के शौचालय की हालत घरवालों के मानसिक स्तर को बयां कर देती है.
Tur Khan
जापान के शौचालय देखते ही वहाँ के लोगों का शौच का दबाव बढ़ जाता होगा ।यहाँ बने शौचालयों की हालत ऐसी है कि देखते ही शौच का दबाव खत्म हो जाता है.

सौबान रजा सर अभी भी हमारे गांव के और आसपास के क्षेत्रों के सड़कों के किनारे शाम ढलते ही हमारे क्षेत्र की बेचारी महिलाएं सड़कों पर शौच के लिए जाती हैं, और हमारे देश एवं प्रदेश की डबल इंजन सरकार के बेशर्म नेता ये कहते हुए नहीं थकते हैं कि मोदी का चौतरफा ढंका बज रहा है।

नीरजानंद कबीर मेरे बाबा जी के अलमारी से एक बहुत पुरानी पर बेशकीमती शब्दकोश मिला जिसमे विश्वगुरु का meaning सड़क छाप लिखा था। जो विचारधारा एक मनुष्य के सर पर अपना मैला लादने पर फक्र महसूस करती हो उसकी जापान से नही सूडान से ही तुलना की जा सकती है.

Imtiyaz Ahmad सबसे बुरे हालात राजधानी के हैं हॉ देश का राजधानी जहा की संघी सरकार मीडिया मे डेली बिकास बिकास चिल्लाती है लेकिन आज तक साफ टोवालेट नही दे सकी.

Alvee Firoz सर, हमारा देश भी तो तरक्की कर रहा है यहां शौचालय पर फिल्म तक बन चुकी हैं!. क्या इतनी शानदार बातें किसी और देश में होती हैं!