FB POST OF 24th January 2021

आजरबाईजान और तुर्किमिन्स्तान ने कल कैस्पियन समुंदर मे एक साथ गैस-तेल निकालने का समझौता किया। 1992 मे रूस के टूटने के बाद 2019 मे कैस्पियन समुंदर को पुटिन ने रूस-ईरान-आजरबाईजान-तुर्किमिन्स्तान-कज़ाकिस्तान पॉच देशो के बीच बॉट दिया है।

कैस्पियन समुंदर मे गैस और तेल का भंडार है और आजरबाईजान अपने हिस्सा का तेल और गैस तुर्की और यूरोप को पाईप लाईन से दो साल से बेच रहा है और कतर के तरह पैसे से मालामाल है। अब आजरबाईजान पाईप लाईन से तुर्किमिन्स्तान का तेल और गैस तुर्की और यूरोप को बेचे गा।

आजरबाईजान और तुर्किमिन्स्तान ने दो हज़ार साल पुराना “लेपिस लाज़ूली रूट” तुर्की-जौरजिया-आजरबाईजान- तुर्किमिन्स्तान-अफगानिस्तान से सब देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर भी एक समझौता किया है। इस लेपिस-लाज़ेलू रूट को Asian Development Bank ने $2 billion मे बनाया है। इस रोड रूट में अब रेलवे सेवा भी शुरू होगी।

2018 मे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने हेरात राज्य से एक ट्र्क मेवा, कौटेन और तील भेजा का शुभारम्भ किया था। इसे रास्ते से 2000 साल से यूरोप सामान जाता था जिस मे अफगानिस्तान के लाजवर्त (Lapis Lazuli) के पहाड़ का पत्थर यूरोप जाता था लिवनार्डो दि वेंची ने रंग बना कर तीन मशहूर पेंटिंग बनाई थी जिस मे एक मोना लिसा की पेंटिंग है (मेरा दो पोस्ट इस पर है)

दिसंबर 2020 मे 40 कंटेनर की माल गाड़ी तुर्की, जौरजिया, आजरबाईजान, तुर्किमिन्स्तान और कजाकिस्तान से सामान लेते हुऐ 12 दिन मे चीन पहली बार गया था।

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मोदी जी सात साल मे 99 मूल्क घूमे मगर आज भारत न सीपेक (CPEC), लेपिस-लाज़ूली, बेल्ट और रोड (B&R), रिसेप (RCEP), आसियान (ASIAN), सार्क (SAARC) किसी मे भी नही है। चीन बेल्ट और रोड योजना से 70 मूल्क मे जाल बिछा चूका है मगर मेरे सभी नेता अपने को “भविष्य की राजनीति को पहचाने वाला” एक्सपर्ट ही समझते हैं।