आज दस (10) साल के बाद ओबामा-बाईडेन का अरब स्प्रिंग के नाम पर मुस्लिम दुनिया मे लगाया आग (2011) का लिबिया मे अन्त हो गया।जेनरल हफ़्तर और यूएन मान्यता प्राप्त प्रधानमंत्री सर्राज के बीच जेनेवा मे शांति समझौता हुआ।
लिबिया तक़रीबन 80 लाख आबादी का मूल्क है और अफ्रिका मे सब से ज्यादा तेल और गैस का मालिक है। यह मूल्क 1551 से 1911 तक तुर्की के औटोमन हकूमत मे रहा उस के बाद इटली और अमेरिका के हुक्मरानी मे रहा। यहॉ अफ्रीका और यूरोप या स्पेन के मुस्लिम बसते हैं। ग़द्दाफी 1969 से 2011 तक रहे और लिबिया खूब तरक्की किया। गद्दाफ़ी अफ्रिकन यूनियन (AU) के पैसा वाले लीडर भी रहे (मेरा 9 May 2020 का पोस्ट कौमेंट मे पढ ले)।
यह लड़ाई गद्दाफ़ी को फ्रांस और इंगलैण्ड के 2011 मे लिंचिंग कर मरवाया जाने के बाद चलती रही मगर जब अरदोगान कोरोना महामारी मे वहॉ कूदे और जेनरल हफ़्तर को ग़द्दार कहना शुरू किया और प्रधानमंत्री सर्राज को खूले आम सपोर्ट कर मेडिटेरेनियन समुंदर और फौजी समझौता किया तो सब दूम दबा कर भाग गये।
अभी जेनेवा ही मे सभी कबिला या लडने वाले ग्रूप के बीच एक नया नेता चूना जाये गा जो नवंबर मे शपत लेकर 18 महीना transitional government का प्रधानमंत्री होगा और उस के देख रेख मे संसद का चुनाव होगा।
अभी भी हफ़्तर के लड़ाके और रूस के मरसेनरिज़ लड़ाके वहॉ हैं जो तमाशा खडा कर सकते हैं और अभी तेल का सब एलाक़ा हफ़्तर के सहयोगी के ही पास है। तुर्की ने इटली के तेल कम्पनी को तेल निकालने की एजाज़त दे कर इटली को अपने तरफ कर लिया है और फ्रांस-ग्रीस को किनारे लगा दिया है।
हम को उमीद है यह शांति समझौता कामयाब होगा क्योकि कोरोना ने यूरोप से लेकर अमेरिका सब को 2025 तक तबाह कर दिया है और चीन सब को “सेरातल मुसतकीम” पर ला खडा कर दे गा।
Facebook Post of 23 October 2020