Post of 22 October 2022

Faisal Mohammad Ali साहेब ने आरएसएस के स्थापना दिवस और #विजयादशमी के अवसर पर हिन्दु से बौद्ध धर्म अपनाने के नागपुर मे 66 सालो से जारी धर्म परिवर्तन कर “बौद्ध धम्म दीक्षा” की जानकारी दिया।

भीमराव आंबेडकर जिन को बहुसंखयक समाज आज़ाद भारत के “महान विभूतियों” मे गिनती है जिन के बौद्ध धर्म अपनाने की 22 प्रतिज्ञाएँ हैं।प्रतिज्ञा में कहा जाता है कि “मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण को ईश्वर नही मानु गा और न ही उनकी पूजा करूँ गॉ।ईश्वर ने कभी अवतार लिया है ऐसी बात पर मै कभी विश्वास नही करूँ गॉ। भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं, मै इस को नही मानता हूँ और ऐसे प्रचार को पागल पन और झूठा मानता हूँ” (वीडीव सूनें)

66 साल से RSS मुख्यालय के शहर नागपुर मे धर्मान्तरण कर स्नातन धर्म त्यागना का सिलसिला अब उत्तर भारत के शहर मुरादाबाद मे भी शुरू हो गया। यह वही मुरादाबाद शहर है जहॉ 1980 मे चार महीना दंगा और नरसंहार करा कर हजारो मुस्लिम को मारा गया और करोड़ों करोड का GDP जला कर तॉबा और पितल के व्यापार को ख़त्म किया गया।

रोएँ गें हम हज़ार बार, क्योकिं आज तक 66 साल मे संघ का कोई आदमी या बहुसंख्यक बुद्धिजिवी बौद्ध दीक्षा के खेलाफ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट नही गया मगर शाह बानो के लिए न्यायालय मे न्याय मॉगने चला गया।संघ और दूसरे संगठन बाबर और राम के नाम पर एक धर्म विशेष (12%) के विरूद्ध ज़हर घोल कर स्नातन धर्म को बचाने का निरर्थक ड्रामा करते रहे, मगर आज उसी उत्तर प्रदेश मे राम और कृष्ण को ईश्वर का अवतार मानने तथा पूजा करने के लिए सरे बाज़ार इंकार किया जा रहा है। अल्लाह बहुत बडा कारसाज़ है, सबरन जमील।

हम इस पर ज्यादा लिखना नही चाहें गें मगर संघ और उस के प्रचारक तथा बहुसंख्यक कथित बूद्धिजीवियों और 12% धर्म विशेष के अल्पसंख्यक को इक़बाल और ग़ालिब का चंद शेर नज़र करते हैं:

“दुनिया के बुतकदो में पहला वह घर खुदा का
हम उस के पासबॉ हैं, वह पासबॉ हमारा” (इक़बाल)

“दिल ही तो है न संग-व- खिश्त दर्द से भर न आये क्यों
रोएँ गे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यों” (ग़ालिब)

“दैर नही, हरम नही, दर नही, आस्तॉ नही
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाये क्यों” (ग़ालिब)

Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman 130 करोड के आबादी मे 12% आबादी यानी 12 आदमी के धर्म को केन्द्र बना कर चालीस साल से 88% (88 आदमी) का धुर्वीकरण करते रहे नतीजा हुआ कि 30% (30 दलित) लोग अब धर्म छोड़ने पर 66 साल से संकल्प ले रहे हैं। मगर कोई आज तक कोर्ट मे जा कर केस नही कर रहा है। बहुत दु:खद।

Sanjay Nagtilak आरएसएस का मुख्यालय नागपूर में हैं वहा दीक्षाभूमी पर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दी गई 22 प्रतिज्ञा हर साल लाखों लोग दोहराते हैं, फिर भी आरएसएस ने कभी विरोध नहीं किया. अब उत्तर भारत में बीजेपी द्वारा 22 प्रतिज्ञा का विरोध क्यों किया जा रहा हैं?

  • S M Taqui Imam, Sanjay Nagtilak यही वह fertile जगह हैं जहाँ की जनता मूर्ख, जाहिल है जहाँ से bjp को अधीक सीट मिलने की आशा रहती है और मिलती भी है। इसीलिए यहाँ ड्रामा किया जाता है और ख़ूब ताली बजती है।

S M Taqui Imam संघ अब exposed हो चुका है की इनकी सोंच और विचाराधारा पूरी मानवता के लिए घातक है।