Translation of 11th December 2021 by Afreen Noor
In the nineties, when Lal Krishna Advani started the “riot-expo” from Kashmir to Kanyakumari in India with a chariot, we did not think that thirty years later, there will be a “new configuration of power” in Asia or in the greater Middle East after hundred years of Ottoman Empire.
Yesterday, Prince Mohammed bin Salman of Saudi Arabia ended his GCC tour in Kuwait by visiting five countries.
First, Prince Salman went to Oman, whose population is 50 lakhs, one-fourth of the population of Mumbai. Omani and Saudi firms signed 13 memoranda of understanding (MoU) of $30 billion lucrative investment in the next five years. From Muscat he went to UAE.
In the UAE, Prince Salman visited Saudi Arabia’s Pavilion at EXPO 2020. Saudi’s thematic pavilion called the ‘Opportunity Pavilion’ has been designed by Australian architecture firm Cox Architecture. The pavilion has been made from organic materials, including timber, 2,500 tonnes of stone and 111 km of woven rope.
The Austria Pavilion designed by Querkraft has used 9,000-year-old soil to build its pavilion, which comprises 47 truncated cones. The innovative use of the cones keep the structure ventilated. The United Nations lists it as an ‘intangible cultural heritage’.
In his third round of visit, Prince Salman went to Qatar, which had a population of 10,000 thousand, hundred years ago and has three million population today. There Prince Salman visited twelve beautiful stadiums of FIFA 2022 and finally ended the journey by visiting Bahrain and Kuwait.
Everywhere, Prince Salman talked about development, investment in science and technology, artificial intelligence, life science and conflicts in Yemen, Libya, Syria, Lebanon, Sudan.
Within three months after the “Fall of Kabul”, Middle East-Turkey-Central Asia have signed a $90 billion investment that marks the recalibration of New World Order.
Seeing the new configuration of power in Asia, Imran Khan made the right decision by refusing to attend Biden’s democracy conference last week. Obama failed Arab Spring and Trump’s four years of rule have changed Asia and the world. Biden had called this democracy conference to draw a new “streak” but not successful.
Now next hundred years the world will continue to be polarized on the slogan of “Ahlan-wa-Sahlan”.
================
LUCRATIVE INVESTMENT IN GREATER MIDDLE EAST: A NEW CONFIGURATION OF POWER AFTER HUNDRED YEARS
नब्बे के दशक जब भारत मे लाल कृष्ण अदवाणी रथ लेकर कशमीर से कन्याकुमारी तक दंगा एक्सपो शुरू किया था तो हम लोगो ने नही सोंचा था कि तीस साल बाद दुनिया मे “व्यवस्था का प्रारूप” (कॉन्फिगरेशन ऑफ वर्ल्ड पावर) या शक्ति का विन्यास हो गा और वह एशिया मे होगा और वह ग्रेटर मिडिल ईस्ट मे होगा।
कल सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपनी जीसीसी यात्रा पॉच देशो मे घूम कर कोवैत मे ख़त्म किया। सब से पहले प्रिंस सलमान ओमान गये जिस की आबादी मुम्बई की एक चौथाई 50 लाख है और वहॉ अगले पॉच साल मे $30 billion लाभदायक निवेश (Lucrative investment) के क़ागज पर हस्ताक्षर किया। वहाँ से वह यूएई गये।
यूएई मे प्रिंस सलमान ने EXPO 2020 मे सऊदी अरब के थिमेटिक पवेलियन गये जिस को आस्ट्रेलिया के आर्किटेक्ट ने 2,500 पत्थर के टुकड़ा, लकड़ी, 111 km रस्सी और जैविक पदार्थ से बनाया है। इस पवेलियन का नाम “Opportunity Pavilion” रखा गया है।
तीसरे दौर की यात्रा मे प्रिंस सलमान कतर गये जिस की सौ साल पहले 10,000 हजार आबादी थी और आज तीस लाख है। वहॉ प्रिंस सलमान FIFA 2022 के बारह सुंदर स्टेडियम घूमे और अन्त मे बहरैन और कोवैत जा कर यात्रा खत्म किया। हर जगह विकास, साईंस एण्ड टेकनैलौजी, आर्टीफिशिल इंटेलिजेंस पर निवेश तथा यमन, लिबिया, सिरिया, लेबनान, सूडान के संघर्ष पर बात किया।
फॉल ऑफ काबूल के तीन महीना मे मिडिल ईस्ट-तुर्की-सेंट्रल एशिया ने $90 billion के निवेश पर हस्ताक्षर किया है जो न्यू वर्ल्ड ऑडर के न्यू कॉन्फिगरेशन ऑफ पावर का अगले सौ साल का नया अध्याय है।
————
एशिया मे नये कॉन्फिगरेशन ऑफ पावर को देखते हुए, इमरान खॉ ने बाईडेन के लोकतंत्र सम्मेलन के दावत को ठोकराने का सही फैसला लिया।ओबामा के अरब स्प्रिंग मे ज़लील होने और ट्रम्प के द्वारा दुनिया बदलने के बाद, बाईडेन ने यह लोकतंत्र सम्मेलन बोलाया था ताकि फिर एक नया “लकीर” खैंचा जाये।मगर अब कुछ नही होने वाला है क्योकि ट्र्म्प दुनिया बदल कर चला गया। अब सौ साल दुनिया “अहलन-व-सहलन” के नारा पर धुर्वीकरण (polarised) होती रहे गी।