Post of 26 April 2024
पाकिस्तान में भारतीय दूतावास में कार्यरत वरिष्ठ #घुसपैठिया Parmod Pahwa (prp) साहेब ने एक पोस्ट मे लिखा “लेकिन हमारा मुख्य सवाल ये है कि 1947 मे पाकिस्तान से आने वाले *पंजाबी* भी घुसपैठिये माने जाएंगे?”
डा० पहवा साहेब के पोस्ट का सारांश है कि पाकिस्तान से आये पंजाबी एंव सिंधी घुसपैठिया जिन को शरणार्थी बता कर रखा गया और उन का तुष्टिकरण किया और शिला दिक्षीत के पहले दिल्ली के सारे मुख्यमंत्री और उन की सरकार घुसपैठियों की ही रही मगर शिला दिक्षित के पहले दिल्ली का कभी विकास नहीं हुआ।
1947 के बाद अगर पाकिस्तान से आये किसी पंजाबी या सिंधी या गुजराती को कोई घुसपैठिया कह देता तो उस के साथ वैसा ही सलूक होता है जैसे यहूदी पर कुछ कहिये तो फ़ौरन उस पर Anti-Semitic होने का इलज़ाम लग जाता है और उस के साथ बूरा सलूक किया जाने लगता है।
डा० पहवा साहेब को अच्छी तरह मालूम है कि पंजाब या सिंध से भारत आये ज़्यादा तर घुसपैठियों ने संघ जोईन किया और आज भी संघ मे उन्हीं घुसपैठिया के बाल-बच्चे लाठी पटक रहे हैं और BJP में वरिष्ठ पद पर बैठे हैं।
#हमारा मुख्य सवाल है कि क्या भारत मे #मंगलसूत्र और मंदिरों में देवदासी प्रथा भी प्राचीन सभ्यता मेसोपोटामिया से भारत घुसपैठिये ले कर आये?
वेश्यावृत्ति को दुनिया का सबसे पुराना पेशा कहा जाता है।लोगों को पता है कि यह पेशा सब से पहले लगभग 5,000 साल पुराने सुमेरियन (Sumerian/Mesopotamia) मंदिरों के पुजारियों द्वारा शुरू किया गया था।
प्राचीन अभिलेखों में आधुनिक इराक के उरुक (Uruk) शहर जो अब कुवैत और सऊदी अरब की सीमा पर है वहॉ सुमेरियन पुजारियों द्वारा संचालित मंदिरों मे वेश्यालय का वर्णन है और यह वेश्यालय में देवदासी (औरतें) #मंगलसूत्र और #सोना का ज़ेवर नहीं पहनती थी क्योंकि वह वैशिया थी शादीशुदा नही होती थी। सुमेरियन प्राचीन सभ्यता मे विवाहित औरतें ही मंगलसूत्र और सोना का आभूषण पहनती थी।
प्रधानमंत्री ने चुनावी हंगामा मे मंगलसूत्र और सोना पर बोल कर भारत मे एक नया सवाल खड़ा कर दिया कि भारत मे ब्राह्मण पुजारी और भारतीय मंदिर मे देवदासी प्रथा या सोना क्या मेसोपोटामिया और मिस्री प्राचीन सभ्यता से पलायन कर आये घुसपैठियों द्वारा भारत लाया गया?
#नोट: प्रधानमंत्री ने घुसपैठिया और मंगलसूत्र का मुद्दा उठा कर मंदिर के पुजारी और पाकिस्तान से आये शरणार्थी पर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। संघ के घुसपैठिये सदस्य, उन के परिवार और मंदिर के ब्राह्मण पुजारी प्रधानमंत्री को कभी माफ नहीं करें गें।